जिनको हर काम एप के जरिए करने की आदत है उन्हें इसके लिए 18 परसेंट जीएसटी चुकाना पड़ेगा. इसलिए या तो आदत सुधार लें या जेब खाली करने के लिए तैयार रहें. इसे ऐसे समझिए कि अगर आपके पड़ोस का मैकेनिक एसी की सर्विसिंग के 1000 रुपए लेता है तो मोबाइल एप से बुलाया गया मैकेनिक 1180 रुपए लेगा मतलब 180 रुपए ज्यादा. यह बात कारपेंटर, प्लंबर, ब्यूटीशियन जैसी तमाम छोटी लेकिन रोजमर्रा की घरेलू सर्विस पर लागू होगी.
घरेलू काम पर जीएसटी की मार
नल ठीक कराना है या एसी सर्विस कराना या फिऱ घर ठीक कराना पिछले कुछ दिनों से लोग तपाक से एप के जरिए बुकिंग कराकर फुर्सत हो जाते हैं. घर और दफ्तर के छोटे मोटे काम कराने के लिए अर्बनक्लेप, क्विकर और हाउसजॉय जैसे स्टार्ट अप बहुत तेजी से पॉपुलर हुए हैं. ये बहुत आसान है. एक क्लिक और कुछ देर में या आपके बताए वक्त पर कारपेंटर या इलेक्ट्रिशन हाजिर. लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद ये सभी सर्विस टैक्स के दायरे में आ गई हैं.
एप से आया मैकेनिक महंगा पड़ेगा..
अभी तक पड़ोस के मैकेनिक और एप से मैकेनिक के चार्ज में खास फर्क नहीं था, लेकिन जीएसटी लगने के बाद एप के जरिए आया मैकेनिक का चार्ज करीब बीस परसेंट महंगा हो जाएगा. इसकी वजह है कि फोन के जरिए आप जिस मैकेनिक को बुलाएंगे वो कैश में रकम लेगा और उसे कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. सर्विस चार्ज में यही फर्क स्टार्ट अप कंपनियों को परेशान कर रहा है, उन्हें फिक्र है अगर वो ये चार्ज कस्टमर से लेते हैं तो महंगे हो जाते हैं, नहीं लेते तो जेब से भरना पड़ेगा और इस धंधे में मार्जिन इतना कम है कि इसकी गुंजाइश नहीं है.
मैकेनिक और स्टार्ट अप परेशान
प्लंबर, ब्यूटीशियन, इलेक्ट्रिशन जैसी सर्विस देने वाले ऑफलाइन मैकेनिक जीएसटी के दायरे में नहीं आएंगे क्योंकि ज्यादातर का टर्नओवर 20 लाख रुपए से कम है. लेकिन इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए ली गई हर सर्विस पर जीएसटी लगेगा। अब टैक्स इतना ज्यादा है कि कंपनियों को लगता है कि लोगों को पड़ोस के मैकेनिक से काम कराने में बचत होगी इसलिए भला कोई एप का इस्तेमाल क्यों करेगा?
अगस्त में जीएसटी पर आए नोटिफिकेशन में साफ किया गया है कि टर्नओवर चाहे जो हो ई-प्लेटफॉर्म के जरिए दी गई हर सर्विस पर टैक्स लगेगा. ऐसे में एप के जरिए सर्विस देने वालों को नियमित तौर पर रिटर्न फाइल करना होगा और रिकॉर्ड रखना होगा.
इंडस्ट्री का एतराज
घरेलू कामकाज के लिए प्लेटफॉर्म बनी स्टार्ट अप कंपनियों की फिक्र है कि अगर टैक्स नहीं हटाया गया तो उनका बिजनेस ही ठप पड़ने का खतरा है. अनुमान है कि इस नेटवर्क में 1 लाख से ज्यादा मैकनिक जुड़े हैं जो 2020 में बढ़कर दस लाख तक पहुंचने का अनुमान है.
- टैक्स लगा तो लेवल प्लेइंग फील्ड का सिद्धांत फेल हो जाएगा
- एक ही तरह की सर्विस में एक टैक्स फ्री और दूसरे पर टैक्स
- डिजिटल इकोनॉमी के सरकार के अभियान को झटका लगेगा
- स्टार्ट अप कंपनियों के बिजनेस मॉडल पर बुरा असर
छोटी सर्विस पर भारी निवेश
अर्बन क्लेप, हाउसजॉय जैसी एप आधारित स्टार्ट अप कंपनियां इतनी बड़ी हो चुकी हैं कि उन पर बड़े पैमाने पर निवेश हुआ है. अर्बन क्लेप में तो टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने भी बड़ी रकम लगाई है. हाउसजॉय में अमेजन ने भी 150 करोड़ रुपए का निवेश किया है. हाउसजॉय का दावा है कि 2 साल में उसके 10 लाख संतुष्ट कस्टमर हैं और 10 हजार छोटे छोटे मैकेनिकों को वो काम दिला रहे हैं.
एप के जरिए सर्विस
- प्लंबर
- एसी मैकेनिक
- इलेक्ट्रिशियन
इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक जल्द सरकार को इसका तरीका निकालना चाहिए. उनका मानना है कि इससे कस्टमर, स्टार्टअप और मैकेनिक तीनों को नुकसान होगा. खासतौर पर एप अब लोगों की लाइफ का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं, ऐसे में टेक्नोलॉजी को अहमियत ना देना डिजिटल इंडिया मिशन के लिए भी ठीक नहीं है.
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