लॉकडाउन के बाद लोगों की नौकरियां जाने की बहुत खबरें आईं. बेरोजगारी दर भी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. लेकिन EPFO रजिस्ट्रेशन का जो डाटा आया है कि उसके मुताबिक लॉकडाउन लगने के बाद से EPFO के रजिस्ट्रेशन में तेजी से कमी आई है. सबसे ज्यादा असर अप्रैल महीने में देखने को मिला है, अप्रैल ही वो महीना था जिसने सबसे कड़े और लंबे नेशनल लॉकडाउन का सामना किया था.
EPF का डाटा सितंबर 2017 से व्यवस्थित रूप से उपल्बध है. EPFO रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों में हम साल 2017 से ही लगातार गिरावट देख सकते हैं. ये गिरावट कोरोना वायरस संकट के बाद लगे लॉकडाउन की वजह से और बढ़ी है. रजिस्ट्रेशन में मार्च और अप्रैल में बड़ी गिरावट देखने को मिली लेकिन इसके बाद मई में फिर से थोड़ा सुधार देखने को मिला है.
21 साल या उससे कम उम्र के लोगों के रजिस्ट्रेशन गिरे
उम्र के हिसाब से अगर बांटकर देखें तो 21 साल या उससे कम उम्र के लोगों का पिछले सालों में रजिस्ट्रेश में हिस्सा लगातार बढ़ रहा था. सितंबर 2017 में 24.7% से बढ़कर फरवरी में 27.1% पर आ गया था लेकिन अब अप्रैल और मई में ये हिस्सेदारी गिकर 22.2% पर आ गई. मतलब 21 साल या उससे कम उम्र के युवाओं पर लॉकडाउन का खास असर पड़ा है.
22-28 साल की उम्र के लोगों की हिस्सेदारी कम हई
EPFO के डेटा के मुताबिक 22 से 28 साल के लोगों की कुल रजिस्ट्रेशन में हिस्सेदारी लॉकडाउन के पहले 38-39% थी, जो कि अप्रैल-मई 2020 में गिरकर 33.4% पर आ गई.
30 साल से कम उम्र के लोगों की गई नौकरियां
पिछले फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में कुल रोजगार पाने वालो में से 20.9% लोग 30 साल या उससे कम उम्र के थे. वहीं ये आंकड़ा अप्रैल-जून 2020 में घटकर 18.8% पर आ गया. साफ है 30 साल से कम उम्र के लोगों की नौकरियां गई हैं.
महिलाओं के रोजगार पर खासा असर
EPFO रजिस्ट्रेशन में साल 2017 से लगातार महिलाओं की हिस्सेदारी गिरी. सितंबर 2017 में महिलाओं की हिस्सेदारी 4.2% थी जो फरवरी 2020 में गिरकर 3.5% पर आ गई. EPFO रजिस्ट्रेश में हिस्सेदारी गिरने का मतलब साफ है कि महिलाओं की नौकरियां जाने की तादाद ज्यादा है.
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