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आर्थिक मंदी से बेहाल भारत,अब दक्षिण एशिया में भी पिछड़ने का खतरा

भारतीय इकनॉमी का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है, इससे इसके एनुअल जीडीपी ग्रोथ पर पड़ सकता है असर

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मोदी सरकार ने देश की इकनॉमी को 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का वादा किया है. लेकिन पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान जिस तरह से जीडीपी ग्रोथ में लगातार कमी आ रही है, उससे इस लक्ष्य पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 5 फीसदी पर पहुंच गया. अब यह आशंका जताई जा रही है कि भारत एनुअल जीडीपी ग्रोथ में अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों से भी पिछड़ सकता है.

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जीडीपी ग्रोथ रेट ने किया निराश

वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भारत की वार्षिक जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. लेकिन पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में इसने निराशाजनक प्रदर्शन किया. देश में पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी ने इकनॉमी का झटका दिया. इससे धीमी हुई ग्रोथ अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सकी है.

लगभग हर सेक्टर में भारत का प्रदर्शन बुरा दिख रहा है. देश में खपत में कमी दर्ज की जा रही है और निवेश घटता जा रहा है. एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटो सेक्टर की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई है. रोजगार के आंकड़े निराशाजनक दिख रहे हैं. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार में कमी आई है. यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ के रफ्तार अच्छी रहने के प्रति आशंका जताई जा रही है.

बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी पिछड़ने का खतरा

हालात यही रहे तो भारत एनुअल जीडीपी ग्रोथ रेट में अपने पड़ोसियों से पीछे रह सकता है. वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान बांग्लादेश का जीडीपी ग्रोथ रेट 7.9 फीसदी रहा था. वहीं नेपाल का जीडीपी ग्रोथ रेट 7.1 और पाकिस्तान का 5.2 फीसदी रहा था.

इस साल आर्थिक सर्वे में मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था. आरबीआई ने अगस्त में जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया था. जून की मॉनेटरी पॉलिसी में रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया था. 
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दरअसल इकनॉमी के कई सेक्टरों के खराब प्रदर्शन की वजह से सुस्त ग्रोथ रेट को और झटका लगा है. पिछले साल पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन में 5.1 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हुई थी. लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन में सिर्फ 3.6 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है.

इस बीच ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कोर सेक्टर के प्रदर्शन में भारी गिरावट आई है. पिछले साल जुलाई में इसकी ग्रोथ 7.3 फीसदी थी, लेकिन इस साल जुलाई में यह घट कर 2.1 फीसदी पर आ गई.

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