इंफोसिस के को-फाउंडर एन.आर.नारायण मूर्ति ने नंदन नीलेकणि की वापसी को सुधार की दिशा में किया गया काम बताया है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा है कि बोर्ड के कायाकल्प का काम अभी जारी है.
मंगलवार को मूर्ति ने पिछले बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की जमकर आलोचना की है, उन्होंने कहा कि बोर्ड ने घटिया कॉर्पोरेट मैनेजमेंट का परिचल दिया. उन्होंने इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टमेंट के एक सम्मेलन में कहा, इन्वेस्टर के रूप में मेरी चिंता पिछले बोर्ड का खराब प्रशासन है.
कंपनी ने असामान्य करार किया: मूर्ति
साल 2015 के अक्टूबर में कंपनी ने पूर्व CFO राजीव बंसल को पैकेज में दी गई मोटी रकम को लेकर मूर्ति ने कहा कि कंपनी ने बंसल को अत्यधिकर रकम देने के लिए असामान्य करार किया है. मूर्ति ने याद करते हुए कहा कि जरा ध्यान ध्यान दें. कंपनी ने अभी तक न ही किसी पिछले सीएफओ और न ही वर्तमान सीएफओ को उनके कांट्रैक्ट में इतनी बड़ी रकम देने का वादा किया. उन्होंने कहा-
18 जून, 2016 को आर शेशासाई (पूर्व चैयरमैन, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) ने शेयरधारकों को AGM में बताया कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने उस राशि को बंसल में देने के लिए सहमति दी थी, क्योंकि वो ‘सीएफओ के रूप में बहुत अधिक संवेदनशील जानकारी रखने वाले’ थे
मूर्ति ने कहा कि बंसल को इतनी बड़ी रकम के भुगतान पर प्रतिकूल मीडिया रिपोर्ट्स के बाद, मौजूदा गैर-कार्यकारी अध्यक्ष नंदन नीलेकणि और दूसरे को-फाउंडर्स ने 28 जून 2016 को शेशासायी से कहा था कि इस तरह के एक बड़े राशि का भुगतान करने के लिए एक अजीब निर्णय कैसे लिया?
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से मिली ऐसी प्रतिक्रियाओं को देखते हुए क्या कोई भी इन्वेस्टर इस निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाया कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स पारदर्शी नहीं है ? और शायद हमें और इन्वेस्टर्स को भ्रमित कर रहा है?नारायण मूर्ति
बता दें कि काफी समय से कंपनी में चल रही उठापटक के बाद हाल ही में कंपनी के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि ने दोबारा वापसी की है. साथ ही कंपनी के सीईओ और एमडी विशाल सिक्का, को-चैयरमैन रवि वेंकटेशन समेत 4 बोर्ड मेंबर्स ने इस्तीफा दे दिया है.
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