फाइेंशियल ईयर 2020-21 की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ के आंकड़े 40 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गए और ग्रोथ रेट -23.9% रहा. पहली तिमाही में GDP के ये आंकड़े आने के बाद इस पूरे फाइनेंशियल ईयर के लिए भी रेटिंग एजेंसियों ने अनुमान घटा दिए हैं. लेकिन इन दिग्गज रेटिंग एजेंसियों का अनुमान है कि अगले फाइनेंशियल ईयर यानि कि FY22 में भारत की GDP ग्रोथ तेजी से रिकवरी कर सकती है.
रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि अभी जो फाइनेंशियल ईयर चल रहा है उसमें भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर -10.5% कर दिया है. लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2022 के लिए फिच का अनुमान है कि भारतीय इकनॉमी की ग्रोथ रेट 11% रह सकती है.
घरेलू डेटा एजेंसी इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि इस फाइनेंशियल ईयर में जीडीपी ग्रोथ -11.8% रह सकती है वहीं अगले फाइनेंशियल ईयर FY22 में जीडीपी ग्रोथ अच्छी रिकवरी के साथ 9.9% तक जा सकती है.
मॉर्गन स्टैनली ने इस फाइनेंशियल ईयर में भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान -5% रखा है. वहीं अगले फाइनेंशियल ईयर FY22 में ग्रोथ 9.5% रहने का अनुमान है.
गोल्डमैन सैक्स ने इस फाइनेंशियल ईयर के लिए अपना अनुमान घटाकर -14.8% कर दिया है. वहीं FY22 में ग्रोथ 15.7% रहने का अनुमान है.
पहले से था GDP के खराब आंकड़ों का अनुमान
ऐसा नहीं है कि ये आंकड़े अचानक आ गए और किसी को अनुमान नहीं था. ब्लूमबर्ग के 15 इकनॉमिस्ट के सर्वे के मुताबिक अनुमान था कि अप्रैल-जून 2020 में इकनॉमी 19.2% तक गिर सकती है. वहीं GVA और भी ज्यादा करीब 19.8% तक गिर सकती है.
वहीं बिजनेस अखबार इकनॉमिक टाइम्स के किए 11 दिग्गज इकनॉमिस्ट के पोल में फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में ही भारत की इकनॉमी में एक चौथाई की गिरावट देखने को मिल सकती है.
पहले से ही गिर रही थी जीडीपी
जीडीपी के आंकड़ों में इतनी बड़ी गिरावट के पीछे कोरोना वायरस संकट सबसे अहम कारण है लेकिन पिछली 7 तिमाहियों के आंकड़े. 6.2 से गिरते गिरते इकनॉमी 3.1 परसेंट पर आ ही चुके थे. इसका मतलब है कि हमारी इकनॉमी पहले से ही गिर रही थी लेकिन कोरोना ने बुरी तरह हिलाकर रख दिया है.
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