रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने वैश्विक मंदी के बीच ऑयल रिफाइनिंग कंपनियों के लिए चिंता जताई है. रिलायंस का कहना है कि वैश्विक मंदी इन कंपनियों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है.
दुनिया की सबसे बड़े रिफाइनिंग कंपनी यानी रिलायंस को उम्मीद से कम मुनाफा हुआ है जिसके बाद कंपनी वैश्विक मंदी को लेकर चिंतित है. रिलायंस के संयुक्त मुख्य वित्तीय अधिकारी वी श्रीकांत ने शुक्रवार को बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा,
"मंदी की आशंका तेल बाजार की बुनियादी बातों से आगे निकल रही है, जिसके चलते कीमतों और मार्जिन में कमी आई है...रिलायंस जैसे तेल रिफाइनर को अप्रत्याशित लाभ हुआ है, वहीं बढ़ते माल और इनपुट कीमतों के कारण खर्च में बढ़ोतरी हुई है, जिससे नुकसान हो रहा है. जून तिमाही में कच्चे माल की लागत 76 फीसदी बढ़ी."
रिलायंस के रणनीति और समीक्षा डायरेक्टर, सेयला पजारबासियोग्लू के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष इस महीने के अंत तक अपने अगले अपडेट में वैश्विक आर्थिक विकास दर में काफी कटौती करेगा. उन्होंने कहा कि खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि, उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह धीमा होना, कोरोना महामारी और चीन में मंदी, इन सब के चलते चुनौतियां बढ़ रही हैं.
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर
पिछले दो हफ्तों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है और अगर इस सप्ताह कीमत फिर गिरती है, तो ये तीसरी साप्ताहिक गिरावट होगी. इस समय बाजार आशंकित है कि वैश्विक मंदी ईंधन की मांग को कम कर सकती है, इसी के चलते ये इस साल की सबसे लंबी गिरावट होगी.
पिछले कुछ महीनों में, रिलायंस के रिफाइनिंग बिजनेस ने तेजी दिखाई थी, क्योंकि यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच रूसी तेल सस्ता हो गया था जिसे रिजर्व कर लिया था. तब रिलायंस ये तेल ऊंची कीमतों पर बेचकर मुनाफा कमा रहा था, लेकिन अब वो मुनाफा नहीं हो पो रहा है.
1 जुलाई को, भारत ने बढ़ती कीमतों से अप्रत्याशित लाभ प्राप्त करने के लिए ईंधन निर्यात और कच्चे तेल के उत्पादन पर टैक्स लगाया था, लेकिन इस सप्ताह इसे घटा दिया. इस टैक्स कटौती से देश से तेल के निर्यात में कमी आने की संभावना है.
इनपुट: बिजनेस स्टैंडर्ड
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