भारत में बढ़ती महंगाई (Inflation) के बीच अभी चार महीने पहले ही सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक (Wheat Export) लगाई थी अब इसी तरह सरकार ने चावल को लेकर भी सख्ती बरती है. गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर 20 फीसदी ड्यूटी लगाई गई है और चावल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए टुकड़ा चावल के एक्सपोर्ट पर बैन (Rice Export Ban) लगा दिया है.
चावल पर बैन लगाने की बड़ी वजह क्या है?
पिछले हफ्ते गुरुवार को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर गैर बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर 20 फीसदी शुल्क लगा दिया है और उसी रात टुकड़ा चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया.
इसके पीछे दो कारण हैं. पहला उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बारिश कम हुई जिसकी वजह से भारत के चावल उत्पादन में गिरावट दर्ज हो सकती है. 1 जून से 9 सितंबर तक खरीफ फसल का सीजन होता है इस दौरान किसानों ने पिछले साल की तुलना में 21 लाख हेक्टेयर कम रकबे में धान की बुवाई (क्षेत्रफल) की है.
दूसरा कारण इसके भंडारण (स्टॉक) को लेकर है. 1 अगस्त को चावल का स्टॉक 40.99 मिलियन टन था जो पिछले साल 2021 में 44.46 मिलियन टन से कम है, गेहूं के स्टॉक का भी यही हाल है, गेहूं का स्टॉक 26.65 मिलियन टन था, जो पिछले 14 सालों में सबसे कम था.
स्टॉक में कमी सप्लाय को कम करती है जो कीमतों में उछाल का कारण बनती है.
केंद्र सरकार की सख्ती से चावल के एक्सपोर्ट पर क्या असर पड़ेगा?
भारत ने 2021-22 (अप्रैल-मार्च) में 9.66 बिलियन डॉलर के 21.21 मिलियन टन चावल का रिकॉर्ड निर्यात किया था. इसमें 3.54 बिलियन डॉलर (जिस पर कोई प्रतिबंध नहीं है) के 3.95 मिलियन टन बासमती चावल और 6.12 बिलियन डॉलर के 17.26 मिलियन टन गैर-बासमती चावल का निर्यात शामिल हैं.
केंद्र सरकार की सख्ती केवल 9.83 मिलियन टन चावल पर ही है जिसका मूल्य 3.36 बिलियन डॉलर है. इसमें 3.89 मिलियन टन (1.13 बिलियन डॉलर) टूटे चावल शामिल हैं, जिनका निर्यात प्रतिबंधित कर दिया गया है और 5.94 मिलियन टन (2.23 बिलियन डॉलर) गैर-बासमती चावल है जिसके निर्यात पर 20% शुल्क लगाया है.
ये आंकड़े बताते हैं कि चावल के निर्यात का 50 फीसदी भी प्रभावित नहीं हो रहा है और इसके मूल्य का एक तिहाई प्रभावित हो रहा है.
भारत किन देशों में चावल एक्सपोर्ट करता है?
भारत चावल के मामले में सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है. पिछले साल 75% से भी ज्यादा बासमती चावल ईरान और अरब के देशों में एक्सपोर्ट किया था. अमेरिका, यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी 10% एक्सपोर्ट हुआ था.
वहीं लगभग 55% गैर-बासमती चावल कई अफ्रीकी देशों में एक्सपोर्ट किए गए. नेपाल को भी 8 फीसदी एक्सपोर्ट किया जाता है जबकि चीन मुख्य रूप से टूटे हुए चावल की ही मांग करता है जिन्हें अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. ऐसे में चीन को परेशानी हो सकती है, क्योंकि चीन, टूटे चावल से नूडल्स, पशुओं का चारा और वाइन बनाता है.
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