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लंबी तेजी के बाद गिरावट, शेयर बाजार में आखिर हो क्या रहा है?

एक बार फिर से निवेशकों के मन में सवाल है कि जो हालिया तेजी देखी गई थी क्या वो टिकाऊ नहीं थी?

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शेयर बाजार में कई दिन की रैली आखिरकर बुधवार को थम गई. सुबह पूरे जोश के साथ चला सेंसेक्स शाम को 1.58% की गिरावट के साथ 34,868 पर ठिठक गया, यानी 560 अंकों की गिरावट. निफ्टी में भी इतने परसेंट की गिरावट देखी गई और ये 166 अंक नीचे 10,305 पर बंद हुआ. कुल मिलाकर एक बार फिर से निवेशकों के मन में सवाल है कि जो हालिया तेजी देखी गई थी क्या वो टिकाऊ नहीं थी? क्योंकि पिछले 1 हफ्ते में बाजार में करीब 4% की तेजी देखने को मिली थी. ऐसे में निवेशक आगे क्या करें?

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बाजार ने अचानक यूटर्न कैसे लिया?

इसे समझने के लिए ये जानने की कोशिश करते हैं बुधवार को सरपट भागते बाजार ने अचानक यूटर्न क्यों ले लिया? गौर करने वाली बात ये है कि गिरावट का नेतृत्व बैंकिंग सेक्टर ने किया. ऐसा क्यों हुआ है. बुधवार को एक खबर आई कि को-ऑपरेटिव बैंक अब आरबीआई की निगरानी में रहेंगे. कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि संभव है इसी से बैंकिंग के शेयर घबराए हों..बैंकिंग सेक्टर में भी ICICI बैंक को 7% के साथ सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.

बैंकिंग के अलावा मेटल और फार्मा भी गिरे. कुल मिलाकर BSE पर 30 में 24 शेयर टूटे. हालांकि एशियन पेंट्स के कारण थोड़ा रंग जमा. इसके शेयर 4% की तेजी के साथ बंद हुए. सुवेन फार्मा में तो 10% का लोअर सर्किट लगने के बाद कारोबार रोकना पड़ा. कोरोना काल में जब फार्मा सेक्टर को मजबूत माना जा रहा है तो इसमें लोअर सर्किट चौंका सकता है लेकिन ये भी समझने वाली है कि पिछले पांच सेशन इसके शेयर चढ़ रहे थे. निफ्टी में भी FMCG को छोड़कर सारे गिरे.

एक बात ये भी देखने वाली है कि हालिया तेजी कोई व्यापक ट्रेंड था या फिर कुछ कंपनियां कमाल दिखा रही थीं. गौर करेंगे तो पता लगेगा कि एक्रॉस द मार्केट सेहत अच्छी नहीं थी. तो इससे भी अंदाजा लगा सकते हैं.

एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं?

जाहिर है एक्सपर्ट बुधवार की गिरावट को लगातार बढ़ोतरी के बाद का करेक्शन भी बता रहे हैं तो कुछ मानते हैं कि ग्लोबल संकेतों के कारण ऐसा हुआ है. दुनिया में अब भी कोरोना का खतरा बना हुआ है, खासकर अमेरिका जिसके बाजार और इकनॉमी का पूरी दुनिया पर असर पड़ता है. दूसरा अपने देश में कोरोना की स्थिति काबू में नहीं है तो निवेशक अब भी बहुत सचेत है.

कोरोना लॉकडाउन के कारण इकनॉमी के बेसिक्स अब भी गड़बड़ हैं, लिहाजा बाजार का जज्बा कब तक कायम रहेगा इस पर बड़ा सवाल था ही. बुधवार को ही इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अनुमान निकाला है कि इस साल देश की इकनॉमी ग्रोथ रेट-5.3 % तक गिर सकती है. अब ये कितनी भयानक स्थिति है, ये समझने के लिए बस इतना लीजिए कि ऐसा भारत के पूरे इतिहास में कभी नहीं हुआ.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि मुनाफावसूली और अस्थिरता जारी रह सकती है. ऐसे में खासकर छोटे निवेशकों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है. मिडकैप में सचेत रहें. मेटल और ऑटो में करेक्शन के बाद निवेश के बारे में सोच सकते हैं. लेकिन मार्केट में अभी कुछ दिन कंसोलिडेशन देखने को मिलेगा भी तो लॉन्ग रन में आपको शेयर मार्केट अच्छे रिटर्न दिलाता है. इसलिए SIP के जरिए अच्छे फंड चुने और उनमें निवेश करें.

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