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लॉकडाउन 2.0: पीएम का प्लान साफ है- जिंदगी पहले, इकनॉमी बाद में

पीएम ने देशभर में लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया है

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

देशभर में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन को बढ़ाने का ऐलान किया है. 25 मार्च को लागू किया गया ये लॉकडाउन, जो 14 अप्रैल को खत्म हो रहा था, उसे अब 3 मई के लिए बढ़ा दिया गया है. ये तो पहले ही लग रहा था कि लॉकडाउन बढ़ेगा, लेकिन उम्मीद थी कि पीएम, परेशान लोगों के लिए कुछ राहतों का ऐलान करेंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

पीएम ने अपने संबोधन में ये तो साफ कर दिया है कि कि जब तक हॉटस्पॉट में केस आएंगे, तब तक सख्ती कम नहीं की जाएगी. जहां कोई केस नहीं है, वहां थोड़ी सी राहत दी जा सकती है.

सख्ती और बढ़ भी सकती है, क्योंकि कर्व फ्लैट होती नहीं दिख रही है. जहां पहले केस 800 प्रतिदिन की रफ्तार से बढ़ रहे थे, वहीं अब ये 1200-1300 पहुंच गए हैं. इसलिए लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इससे मतलब साफ है कि सरकार को और समय चाहिए.

ये बात भी ध्यान देने वाली है कि भारत अभी तक सिर्फ सवा दो लाख टेस्टिंग कर पाया है, जिसमें एक लाख 10 हजार से ज्यादा टेस्टिंग केवल चार राज्यों में हुए हैं- महाराष्ट्र, दिल्ली, केरल और राजस्थान में.
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सीमित संसाधनों से लड़ रहे कोरोना की जंग

पीएम ने अपने संबोधन में सीमित संसाधनों का भी जिक्र किया. इसका मतलब क्या है? ICMR के आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगा सकते हैं कि अभी करीब साढ़े 8 लाख की टेस्टिंग किट है, और बाहर से जो शिपमेंट आने हैं, उसमें वक्त लग रहा है. भारत के लिए जो सामान मिलना है, उसे दूसरे देश बारगेन कर के ले जा रहे हैं. ये भी एक समस्या सामने आ रही है.

ये बात भी साफ है कि देश में बेचैनी बढ़ रही है. लोगों को खाने-पीने की दिक्कत हो रही है, गरीब-मजदूरों की हालत सबसे ज्यादा बेहाल हो गई है.

सरकार के मुखिया के तौर पर पीएम ने ये साफ नहीं किया कि उनकी सरकार क्या कर रही है और आगे क्या करने वाली है.

पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि कई देशों ने देर से एक्शन लिया, वहीं भारत ने जल्द ही इसपर कार्रवाई शुरू कर दी थी. ये बात सही है कि इतना सख्त और इतना बड़ा लॉकडाउन दूसरे देशों में नहीं हुआ है, लेकिन ध्यान दें कि जहां भी लॉकडाउन हुआ है, वहां वो 6-8 हफ्तों तक चला है.

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विदेशियों की पूरी जांच, क्वॉरन्टीन क्यों नहीं किया?

सरकार स्क्रीनिंग के आंकड़े पेश करने में हमेशा आगे रही है. सरकार का कहना है कि 23 मार्च तक बाहर से आने वाले 15 लाख लोगों की टेस्टिंग बाद में शुरू की गई. अगर इन कुछ लोगों को समय से क्वॉरन्टीन कर लिया जाता, तो ये समस्या इस तरह से देश में नहीं फैलती जिस तरह से फैल गई है.

एक्सपर्ट्स का भी यही कहना है कि क्योंकि ये हवाई सफर से आया है, तो एयरपोर्ट पर बाहर से आए यात्रियों को अगर कंट्रोल कर लेते, तो इसे जल्दी काबू में किया जा सकता था. बात अब हाथ के बाहर चली गई है.

कुल मिलाकर पीएम के संदेश का मतलब यही है कि अभी राहत नहीं है और सख्ती-सावधानी जरूरी है.

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