देश में कोविड की दूसरी लहर के चलते हालात काफी खराब हैं. ऐसे में एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि आने वाले दिनों में और तेजी से मरीज बढ़ेंगे और मेडिकल सिस्टम को संसाधनों की कमी से जूझना पड़ेगा. सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. मौजूदा दौर में जहां एक ओर हर दिन तीन लाख से ऊपर कोविड मरीज सामने आ रहे हैं. वहीं अस्पतालों में बेड्स, ऑक्सीजन, दवा और कोविड वैक्सीन की भारी कमी देखने को मिल रही है. एक्सपर्ट यह भी बता रहे हैं कि आखिर कैसे इससे बचा जाए.
कोविड की दूसरी लहर देखते हुए एक्सपर्ट्स ने कहा कि आने वाले दिनों में एक्टिव मरीज बढ़ेंगे, मेडिकल स्टाफ में भारी कमी देखने को मिलेगी. जानकार इसे सरकार की विफलता बता रहे हैं.
“पीक के दौरान हो सकते हैं 38-48 लाख एक्टिव केस”
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक मणींद्र अग्रवाल ने अपनी नई रिसर्च के मुताबिक बताया कि एक्टिव केसों के लिए पीक की टाइमिंग 14-18 मई और नए केसों के लिए 4-8 मई है. पीक के दौरान एक्टिव केस 38-48 लाख और नए केस 3.4-4.4 लाख होंगे. डॉ अग्रवाल के मुताबिक, भारत में एक्टिव केसों की संख्या में गिरावट से पहले मिड मई तक लगातार वृद्धि होती रहेगी. मौजूदा मॉडल के मुताबिक, इस बार पीक के दौरान पिछले साल की तुलना में एक्टिव केस लगभग चार गुना अधिक होंगे.
“मई के मध्य तक बढ़ेंगी कोविड मौतें”
द हिंदू के मुताबिक, अमेरिका में मिशिगन यूनिवर्सिटी में महामारी विशेषज्ञ भ्रमर मुखर्जी ने कोरोना की स्थिति को लेकर आगाह किया है. उनका कहना है कि मध्य मई के दौरान रोजाना 8-10 लाख केस सामने आ सकते हैं. उन्होंने आशंका जताई कि 23 मई के आसपास रोजाना 4,500 लोग कोरोना से जान गंवा सकते हैं.
भ्रामर मुखर्जी कहती हैं कि “बहुत मुमकिन है कि यह अंतिम लहर नहीं हो. यह कोई आखिरी वेरिएंट नहीं होगा जो हम अभी देख रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि “हमें एक दुरुस्त हेल्थ सिस्टम तैयार करने की जरूरत है. हमें डेटा, विज्ञान और मानवता द्वारा संचालित इस स्थिति से निपटने के लिए एक चुस्त सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता है. हमें स्वास्थ्य सेवा क्षमता, ऑक्सीजन आपूर्ति, आईसीयू बेड का निर्माण जारी रखना होगा.”
“तेजी से फैलते हैं नए वैरिएंट”
CSIR के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी के डायरेक्टर डॉ राकेश मिश्रा कहते हैं, “कोविड के मामले में हुआ यह कि कुछ वेरिएंट ज्यादा हावी हो गए हैं और ज्यादा संक्रामक हो गए हैं.”
“पहला बड़ा वेरिएंट जो मशहूर हुआ वह यूके वेरिएंट था. यह भारत में भी आया है और पंजाब और दिल्ली समेत कई इलाकों में हावी लगता है. तब से, कई दूसरे बड़े वेरिएंट भारत में भी पाए गए हैं. नए वेरिएंट के साथ अभी तक फिक्र की इकलौती वजह यह है कि वे बहुत तेजी से फैल रहे हैं.”डॉ राकेश मिश्रा, डायरेक्टर, CSIR के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी
“मोदी हैं कोविड के सुपर स्प्रेडर”
इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ नवजोत दहिया ने पीएम मोदी को कोविड-19 का ‘सुपर-स्प्रेडर' बताया है. द ट्रिब्यून के मुताबिक दहिया ने कहा,
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, दहिया ने कहा कि “जब जनवरी 2020 में भारत में कोरोना वायरस का पहला रोगी पाया गया था, तो प्रधानमंत्री ने संक्रमण से निपटने के लिए व्यवस्था करने के बजाय गुजरात में एक लाख से अधिक लोगों की सभाओं का आयोजन किया और तत्कालीन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का स्वागत किया. अब जब कोविड-19 की दूसरी लहर अभी तक अपने चरम पर नहीं है, तो संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली विफल हो रही है, क्योंकि पीएम ने पूरे वर्ष के दौरान इसे मजबूत करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.”
“खराब टीकाकरण व्यवस्था सरकार की विफलता दर्शाती है”
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर और वर्ल्ड बैंक पूर्व मुख्य इकोनॉमिस्ट कौशिक बसु ने कहा है कि न्यूयॉर्क टाइम्स के 28 अप्रैल के आर्टिकल के मुताबिक, भारत में केवल 1.7 भारतीयों का ही पूरा टीकाकरण हो पाया है.
कौशिक ने लिखा कि वैक्सीनेशन करने के मामले में भारत 63 देशों से पीछे है. जबकि भारत के पास दुनिया की कुछ बेहतरीन फार्मा कंपनियां, बेस्ट डॉक्टर और सफल टीकाकरण कार्यक्रम का इतिहास रहा है. ऐसे में कोविड टीकाकरण का यह खराब प्रदर्शन सरकार की विफलता को दर्शाता है.
“सरकार हेडलाइन मैनेजमेंट और अपनी पीठ थपथपाने में लगी”
जाने-माने अर्थशास्त्री और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकला प्रभाकर ने अपने यूट्यूब चैनल के एक प्रोग्राम में कहा है कि कोरोना संकट में वंचितों की मदद करने की जगह सरकार हेडलाइन मैनेज कर रही है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार किसी ऐसे सवाल का जवाब देने से बच रही है जो उसे परेशान करने वाला हो.
अपने कार्यक्रम में परकला प्रभाकर घटती टेस्टिंग और वैक्सिनेशन की कमजोर गति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि डॉक्टर हमें बता रहे हैं कि स्थिति चिंताजनक हो रही है. कोरोना की जांच घट रही है. हॉस्पिटल और लैब जांच करने से बच रहे हैं, क्योंकि उनपर काम का दबाव बढ़ गया है, वे सभी सैंपल का टेस्ट नहीं कर सकते. जैसा कि रिपोर्ट आ रही है कि महामारी अभी रुकने वाली नहीं है. ऐसे में क्या सरकार इसके लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि पार्टी और सरकार अभी भी अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं और उन्हें लगता है कि यह समय भी निकल जाएगा.
“मेडिकल स्टाफ, नर्सों की भर्ती करें”
जाने-मानें कार्डियक सर्जन और नारायण हेल्थ के चेयरमैन डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी ने आगाह करते हुए कहा है कि भारत में जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उस हिसाब से अगले कुछ हफ्तों में ही आईसीयू बेड और मेडिकल स्टाफ की भारी जरूरत होगी.
डॉ शेट्टी ने कहा कि महामारी शुरू होने से पहले ही सरकारी अस्पतालों में 78 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी थी. हमें कम से कम दो लाख नर्सों और डेढ़ लाख डॉक्टरों की अगले कुछ हफ्तों में जरूरत है जो अगले एक साल तक कोविड-19 मरीजों का इलाज कर सके, क्योंकि मौजूदा महामारी करीब चार से पांच महीने तक रहेगी और उसके बाद हमें तीसरी लहर के लिए तैयार रहना चाहिए.
“जान बचाने के लिए करें ये उपाय”
इन दिनों देश में कुछ जगहों पर ऑक्सीजन बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी किल्लत हो रही है. ऐसे में क्विंट को पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ मैथ्यू वर्गीज ने बताया कि ऐसा क्या किया जाए कि ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड की जरूरत ही न पड़े. डॉ वर्गीज ने कहा कि अब ये देखना है कि लोगों की जान कैसे बचाई जाए.
“जो हल्के लक्षण वाले केस हैं, जहां सामान्य ऑक्सीजन सप्लाई से काम चल जाएगा, उन्हें एक फैसिलिटी में ले लिया जाए. वहां रोजाना टैंकर सप्लाई होना चाहिए. और ये काम तुरंत शुरू होना चाहिए.”डॉ मैथ्यू वर्गीज, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट
डॉ मैथ्यू वर्गीज कहते हैं कि अगर आपको पहले लक्षण से पांचवें दिन तक भी बुखार और खांसी है तो आपको टेस्ट करा लेना चाहिए. डॉ वर्गीज ने कहा, “ये समय स्टिरॉइड और ब्लड थिन करने वाली दवाई लेने का है. इससे पहले नहीं लेनी है वरना बीमारी लंबी खिंच जाएगी.”
“नए वेरिएंट में प्रभावी है भारत की कोवैक्सीन”
व्हाइट हाउस के चीफ मेडिकल एडवाइजर और अमेरिका के मशहूर महामारी विशेषज्ञ एंथनी फाउची ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत की स्वदेशी कोवैक्सीन कोरोना वायरस के 617 वेरिएंट को निष्क्रिय करने में सफल रही है.
उन्होंने कहा कि ये ऐसा मामला है जहां हम रोजाना आ रहे डेटा को स्टडी कर रहे हैं. लेकिन, हालिया डेटा यही कहता है कि कोवैक्सीन 617 वेरिएंट्स को निष्क्रिय करने में सफल रही है. भारत में जो मुश्किलें हम देख रहे हैं, वैक्सीनेशन इन मुश्किलों को बेहद अहम साबित हो सकता है.
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