भारत में कोरोना वायरस की खतरनाक दूसरी लहर के लिए डेल्टा वेरिएंट जिम्मेदार है. सरकार की एक स्टडी में ये खुलासा हुआ है. भारत में सबसे पहले मिलने वाला डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) यूके में मिले अल्फा वेरिएंट (B.1.1.7) से 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक है. INSACOG और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के वैज्ञानिकों की एक साझा स्टडी में ये सामने आया है.
भारत में कोविड जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए कंसोर्टियम INSACOG और NDMC की स्टडी के मुताबिक, B.1.617 और B.1.617.2 वेरिएंट भारत में कोरोना की दूसरी लहर का कारण थे.
स्टडी के मुताबिक, डेल्टा वेरिएंट अल्फा वेरिएंट से 50% ज्यादा संक्रामक है. ब्रेकथ्रू इंफेक्शन्स (वैक्सीन के बाद इंफेक्शन) में भी डेल्टा वेरिएंट को बड़े तौर पर देखा गया है. स्टडी में हालांकि अभी तक ज्यादा मौतों या मामलों की गंभीरता में डेल्टा वेरिएंट की भूमिका साबित नहीं हुई है.
INSACOG पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्थापित 10 नेशनल लैब्स का एक ग्रुप है. ये जीनोम सीक्वेंसिंग और सर्कुलेट हो रहे कोविड वायरस का विश्लेषण कर रहा है.
ऑस्ट्रेलिया, यूके में भी डेल्टा वेरिएंट के केस
यूनाइटेड किंगडम (यूके) में डेल्टा वेरिएंट के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूके में अल्फा वेरिएंट से ज्यादा मामले अब डेल्टा वेरिएंट के देखे जा रहे हैं. अल्फा वेरिएंट सबसे पहले इंग्लैंड के केंट में देखा गया था.
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया स्टेट में भी डेल्टा वेरिएंट का पहला केस सामने आया है. WHO ने डेल्टा वेरिएंट को चार वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VOC) में रखा है, यानी कि ये वेरिएंट चिंता का विषय है.
भारत की दूसरी लहर में 4 लाख तक गए दैनिक आंकड़े
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारी तबाही मचाई है. अप्रैल और मई के महीने में कोरोना वायरस के केस तेजी से बढ़े. देश में कोविड के दैनिक मामले 4 लाख और मौत का आंकड़ा 4 हजार पार कर गया था. दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में ऑक्सीजन, आईसीयू बेड्स, रेमडेसिवीर जैसी दवाइयों की भारी किल्लत देखी गई. कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से की लोगों की जान चली गई.
भारत में कोरोना के मामलों में अब गिरावट देखी जा रही है. 4 जून तक, देश में कोविड के 16 लाख एक्टिव केस हैं, और 3.40 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. भारत दुनिया का तीसरा देश है जहां कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं.
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