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कोविड वैक्सीन देने में नंबर 1 भूटान,इजराल नंबर 2, समझिए भारत कहां?

इस छोटे से देश ने वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया के विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है.

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एक तरह जहां भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बुरी तरह जूझ रहा है, तो वहीं पड़ोसी देश भूटान से एक अच्छी खबर सामने आई है. हिमालय में बसे इस छोटे से देश ने वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया के विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है. भूटान अपने 62 फीसदी लोगों को कोरोना वायरस वैक्सीन की डोज दे चुका है. अपने लोगों को वैक्सीन का कम से कम एक डोज देने के मामले में भूटान, अमेरिका और ब्रिटेन से भी ज्यादा तेज रहा.

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वैक्सीनेशन की इस दौड़ में भूटान यूं ही आगे नहीं निकल गया, बल्कि इसके पीछे सरकार और स्वास्थ्य अधिकारियों की कड़ी मेहनत है.

हिमालयी क्षेत्र होने के कारण ऊंचाई वाले इलाकों में वैक्सीन हेलिकॉप्टर से भी पहुंचाई गई. द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भूटान का लुनाना काफी ऊंचाई पर स्थित है. यहां के लोगों को वैक्सीनेट करने के लिए हेलिकॉप्टर से वैक्सीन लाई गई. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बर्फ में पैदल चलकर गांव-गांव में लोगों को वैक्सीन दी.

worldometers के डेटा के मुताबिक, भूटान में कोरोना वायरस के अब तक 927 मामले सामने आए हैं, जिसमें से 1 की मौत हो गई है और 878 मरीज रिकवर कर चुके हैं. जनवरी 2021 में पीक देखा गया था, जब देश में 300 से ज्यादा एक्टिव केस थे.

भूटान की आबादी करीब साढ़े 7 लाख से 8 लाख के बीच है. 27 मार्च से लेकर अब तक, भूटान 93% फीसदी युवाओं को वैक्सीन दे चुका है. कुल आबादी की बात की जाए तो 60% लोगों को वैक्सीन लग चुकी है.

ourworldindata के मुताबिक, अपनी ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीन देने के मामले में भूटान केवल सेशेल्स से पीछे है, जो अपनी 67% आबादी को वैक्सीन दे चुका है. सेशेल्स की आबादी करीब एक लाख है.

भारत के मैत्री कार्यक्रम के तहत, भूटान में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की सीरम इंस्टीट्यूट में बनी वैक्सीन कोविशील्ड एक्सपोर्ट की गई थी. आर्थिक रूप से कमजोर देशों में वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने ये स्कीम शुरू की है.

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भूटान के बाद इजरायल ने मारी बाजी

भूटान के बाद जिस देश की वाहवाही हो रही है, वो है इजरायल, जो अपनी 61% आबादी को वैक्सीन दे चुका है.

देश में मास वैक्सीनेशन और कोरोना के कम होते आंकड़ों को देखते हुए इजरायली सरकार ने हाल ही में पब्लिक में मास्क पहनने की अनिवर्यता को भी खत्म कर दिया. इसके अलावा, इजरायल में स्कूलों को भी पूरी तरह से खोला जा रहा है.

करीब 90 लाख की आबादी वाले इजरायल में 20 दिसंबर को कोराना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन शुरू हुआ था. इजरायल में नागरिकों को फाइजर और मॉर्डना वैक्सीन लगाई गई हैं.

इस छोटे से देश ने वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया के विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है.
वैक्सीन की कम से कम एक डोज देने वाले टॉप देश
(फोटो: ourworldindata)
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UK और चिली में भी तेजी से हो रहा वैक्सीनेशन

6 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाला यूनाइडेट किंगडम कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक है. UK में कोविड से सवा लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और अभी भी वहां एक लाख से ऊपर एक्टिव केस हैं. कोरोना से बुरी तरह चरमरा चुके हेल्थ सिस्टम के बावजूद UK वैक्सीन देने के मामले में टॉप 5 देशों में से एक है.

ये देश अपनी 48% आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दे चुका है. UK में मॉडर्ना, फाइजर और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को मंजूरी मिली हुई है.

करीब 2 करोड़ की आबादी वाला दक्षिण अमेरिका का देश चिली भी वैक्सीनेशन की दौड़ में विकसित देशों से काफी आगे है. चिली में करीब 40% आबादी को वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. चिली में कोविड के 11 लाख से ऊपर केस हैं और 25 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

हालांकि, मास वैक्सीनेशन के बावजूद पिछले कुछ दिनों में चिली में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है.

इस छोटे से देश ने वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया के विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है.
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वैक्सीनेशन में भारत कहां?

अब सवाल उठता है कि वैक्सीनेशन की इस सक्सेस स्टोरी में अपना देश भारत कहां खड़ा है. तो जवाब है, काफी पीछे. भारत की आबादी करीब 130 करोड़ है, और स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 12.30 करोड़ लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज दी चुकी है. ये आबादी का दस फीसदी भी नहीं है.

इस छोटे से देश ने वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया के विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है.

भारत में वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए टीका उत्सव जैसे कार्यक्रम भी चलाए गए, लेकिन उसके बावजूद टीकाकरण में कोई खास तेजी नहीं है. टीका उत्सव के चार दिनों में केवल 1.12 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी गई.

ये तर्क दिया जा सकता है कि वैक्सीनेशन में हमसे आगे चल रहे देशों की आबादी कम है, लेकिन ये भी तथ्य है कि हमें भी पहले से मालूम था कि हमारी आबादी कितनी है, इस हिसाब से हमें तैयारियां करनी चाहिए थीं, जो हमने नहीं की.

भारत में जनवरी 2021 में सीरम इंस्टीट्यूट में बनने वाली ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई. 16 जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू हुआ, और तीन महीने बाद हम केवल 12 करोड़ लोगों को वैक्सीन दे पाए हैं, और वो भी दोनों डोज नहीं.

इस छोटे से देश ने वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया के विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है.

दूसरी वैक्सीनों को मंजूरी मिलने में देरी, मौजूदा वैक्सीन के प्रोडक्शन में कमी, औकात से ज्यादा वैक्सीन दूसरे देशों में एक्सपोर्ट करना... ऐसी कई गलतियां हैं जिसके कारण आज भारत धीमे टीकाकरण का खामियाजा भुगत रहा है. तीन महीने गुजरजाने के बाद 13 अप्रैल को भारत में रूस की वैक्सीन Sputnik V को मंजूरी दी गई. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने विदेशी कोविड वैक्सीनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया फास्ट-ट्रैक कर दी है.

लेकिन अब देर हो चुकी है. इंडियास्पेंड के एक एनालिसिस के मुताबिक, अगर भारत में वैक्सीन की रफ्तार इसी तरह रही तो भारत दिसंबर 2021 तक केवल 40% आबादी को वैक्सीन दे पाएगा. वहीं, 60% आबादी का वैक्सीनेशन करने में मई 2022 तक समय लग जाएगा.

यानी अगर हम इसी रफ्तार से वैक्सीन देते रहे, तो टॉप 5 तो क्या, टॉप 10 में पहुंचने में भी महीनों लग जाएंगे.

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