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'कोविशील्ड का असर 3 महीने में खत्म' वाली स्टडी पर एक्सपर्ट ने उठाए सवाल

एक्सपर्ट ने कहा कि, "किसी को भी आंख बंद करके निष्कर्ष पर नहीं जाना चाहिए"

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हाल ही में लैंसेट (Lancet) की एक स्टडी में सामने आया था कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका (Oxford-Astrazenaca) की बनाई गई कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) से मिलने वाली सुरक्षा 3 महीने के बाद कम हो जाती है. अब इसे एक्सपर्ट ने गलत बताया है.

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए विशेषज्ञ ने बताया कि, लैंसेट की स्टडी में गलत तरीके से कोविशील्ड के बारे में बताया गया है.

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लगातार बन रही हैं एंटीबॉडी

आईएमए के अध्यक्ष डॉ जेए जयला ने कहा, "उपलब्ध डेटा बताता है कि वैक्सीन एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिरक्षा प्रदान करता है. ये कुछ तथ्यों पर आधारित है. देश-विदेश में व्यापक रूप से किए गए परीक्षणों ने साबित कर दिया है कि वैक्सीन द्वारा बनती एंटीबॉडी न केवल कम हो रही है बल्कि यह लागातार बनना जारी है.

आईएमए के अध्यक्ष ने कहा कि, दुर्भाग्य से इस स्टडी में एक अलग ही मेथडोलॉजी है, जिसे मेरे साथियों सहित हममें से किसी ने भी पहले कभी नहीं देखा था. इसलिए मेरा कहना है, किसी को भी आंख बंद करके निष्कर्ष पर नहीं जाना चाहिए.

वहीं केरल स्टेट आईएमए की रिसर्च सेल के वाइस चेयरमैन डॉ राजीव जयदेवन ने कहा कि "हमेशा कार्यप्रणाली को देखें और डेटा को देखें और अगर हम नहीं समझ सकते तो किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इसे किसी ऐसे व्यक्ति को दिखाए जो इसे जानता हो. दुर्भाग्य से अध्ययन को गलत तरीके से पेश किया गया है और पूरी दुनिया में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने वाले लोगों में दहशत फैल गई”.

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