बीते 2 सालों से पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में है, अब तक पूरी दुनिया में 18 करोड़ से भी ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और लाखों लोग अपनी जान गवां चुके हैं. आए दिन हम कोरोना के नए नए नामों के बारे में सुनते रहते हैं. इसी कड़ी में अब एक नया नाम जुड़ गया है "कप्पा". उत्तर प्रदेश में कप्पा वेरिएंट के 2 मामले मिलने के बाद अब राजस्थान में इसके 11 मामले सामने आए हैं. आइए विस्तार से जानते हैं इस कप्पा वेरिएंट के बारे में.
क्या है कप्पा वेरिएंट?
कप्पा दरअसल डेल्टा की तरह ही डबल म्यूटेंट मतलब दो बदलावों से सामने आया है. जहां डेल्टा को B.1.617.2 से दर्शाया जा रहा है वहीं कप्पा को B.1.617.1 से दर्शाया जा रहा है. यह दोनों वेरिएंट को भाई बहन कहा जा सकता है क्योंकि इनका मूल एक ही है.
कैसे हुआ कप्पा का नामकरण
पहले कोरोना वायरस के प्रचलित रूपों को उस देश के नाम के साथ बुलाया जाता था जहां वो पहली बार पाया गया हो. जैसे ब्राजील वेरिएंट, यूके वेरिएंट, साउथ अफ्रीका वेरिएंट. इसके साथ ही जो डबल म्यूटेंट (B.1.617) वायरस था उसको इंडियन वेरिएंट के नाम से बुलाया गया. लेकिन कई देशों की इसपर आपत्ति के बाद WHO ने इसे खत्म कर दिया और अब इन्हें ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों से दर्शाने लगे. लेकिन B.1.617 पहले ही तीन बड़े वेरिएंट में बदल चुका था इसलिए उन्हें B.1.617.1, B.1.617.2, B.1.617.3 कहा जाने लगा. और फिर B.1.617.1 को कप्पा नाम दिया गया. B.1.617.2 को डेल्टा बुलाया गया. हालांकि B.1.617.3 को अब तक कोई नया नाम नहीं दिया गया है क्योंकि वो अभी व्यापक रूप से फैला नहीं है. इसी तरह यूके में फैले वेरिएंट को अल्फा, साउथ अफ्रीका में फैले वेरिएंट को बीटा और ब्राजील के वेरिएंट को गामा नाम दिया गया.
कितना खतरनाक है कप्पा वेरिएंट
उत्तर प्रदेश में कप्पा वेरिएंट मिलने के बाद प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने कहा था कि इसमें कोई चिंता का विषय नहीं है. यह सिर्फ कोरोना का बस एक अलग वेरिएंट है, जिसे ठीक किया जा सकता है. हमारे पास अप्रैल से कप्पा वेरिएंट के मामले हैं. साथ ही कप्पा वेरिएंट को अभी WHO ने "वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट" ( जिससे ज्यादा खतरा न हो) में रखा है जबकि डेल्टा वेरिएंट को "वेरिएंट ऑफ कंसर्न " की श्रेणी में रखा हुआ है. जिसका मतलब डेल्टा ज्यादा खतरनाक है कप्पा वेरिएंट की तुलना में.
भारत में कहां मिल चुका है कप्पा वेरिएंट?
9 जुलाई को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में गए 109 नमूनों की जांच में 2 केस कप्पा के सामने आए थे. लेकिन अब राजस्थान से इसके कुल 11 केस मिल चुके हैं. जिसमे से 4-4 केस अलवर और जयपुर और 2-2 भीलवाड़ा, बाड़मेर से पाए गए हैं.
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