कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने की एक और कोशिश सफल होती नजर आ रही है. अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन ने फेज 3 ट्रायल में अच्छे नतीजे दिए हैं. 16 नवंबर को जारी किए अंतरिम आकलन में सामने आया है कि मॉडर्ना वैक्सीन 94.5% प्रभावी है. ये नतीजे 95 कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों पर टेस्टिंग के आधार पर दिए गए हैं.
इन नतीजों से पहले कोरोना वैक्सीन को लेकर सकारात्मक खबरों में फाइजर की वैक्सीन के नतीजे आए थे. इस महीने की शुरुआत में जर्मन फर्म BioNTech और फाइजर की संयुक्त वैक्सीन संक्रमण रोकने में 90% प्रभावी पाई गई.
मॉडर्ना वैक्सीन के फेज 3 ट्रायल में 90 मरीजों को प्लेसिबो दिया गया और बाकी पांच को असल कोरोना वायरस वैक्सीन.
अब आगे क्या होगा?
मॉडर्ना ने कहा है कि वो अब अमेरिकी रेगुलेटर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) में इमरजेंसी-यूज ऑथोराइजेशन के लिए अप्लाई करेगी. हालांकि, अमेरिका के बाहर ये वैक्सीन अगले साल तक उपलब्ध नहीं होगी.
कंपनी का कहना है कि वो 2020 के खत्म होने से पहले अमेरिका में जगह-जगह भेजे जाने के लिए 20 मिलियन डोज तैयार करेगी. इसके अलावा कंपनी अगले साल वैश्विक स्तर पर डिस्ट्रीब्यूशन के लिए 500 मिलियन से 1 बिलियन डोज तक तैयार करेगी.
फाइजर की तरह ही मॉडर्ना वैक्सीन भी mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इस वैक्सीन का FDA फाइनल आकलन 151 कोरोना मरीजों पर कर सकता है. दो महीने से ज्यादा तक इन मरीजों की स्थिति की निगरानी की जाएगी.
जहां फाइजर की वैक्सीन को प्रोडक्शन फैसिलिटी से मरीज तक जाने के लिए अल्ट्राकोल्ड फ्रीजिंग -70C और -80C के बीच का तापमान चाहिए, वहीं मॉडर्ना का कहना है कि उसने अपनी वैक्सीन की शेल्फ लाइफ और स्थिरता में सुधार किया है. कंपनी ने कहा कि वैक्सीन को 30 दिनों के लिए 2C से 8C तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. साथ ही शिपिंग और लॉन्ग-टर्म स्टोरेज के लिए वैक्सीन को छह महीने तक -20C तापमान पर स्टोर किया जा सकता है.
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