‘एजुकेशन सेक्टर में सबसे बड़ी धांधली का नाम है मैनेजमेंट कोटा.’
6 जनवरी को बच्चों के नर्सरी एडमिशन के लिए जूझ रहे पेरेंट्स से मुलाकात के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह बयान दिया. साथ ही ऐलान किया कि दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों में अपनाया जा रहा ‘62 पॉइंट रूल’ तत्काल बंद कर दिया जाए. सरकार का मानना था कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों ने नर्सरी एडमिशन में अपनी स्वायत्तता का गलत इस्तेमाल किया है.
इस संबंध में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने 6 जनवरी को ही एक आदेश भी जारी किया, जिसका असर 01 से 22 जनवरी तक चलने वाले नर्सरी एडमिशन के रजिस्ट्रेशन पर पड़ना चाहिए था. लेकिन दिल्ली के तमाम प्राइवेट स्कूल अब भी बच्चों के नर्सरी रजिस्ट्रेशन पर कई बेतुकी शर्तें लगा रहे हैं.
प्राइवेट स्कूल चाहते हैं सीटों पर कब्जा
सरकार ने 25 परसेंट सीटों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित कर रखा है. ऐसे में ज्यादातर स्कूलों की यह कोशिश है कि बकाया 75 परसेंट सीटों पर कोई न कोई ऐसी शर्त रखी जाए, जिसपर मैनेजमेंट के फैसले को पेरेंट्स चैलेंज नहीं कर सकें.
इस मकसद से स्कूलों ने नर्सरी रजिस्ट्रेशन पर जो शर्तें लगा रखी हैं, वो गौरतलब हैं.
डॉक्टर, फौज के अफसर, सिविल सर्वेंट और राजनयिकों का अलग से कोटा
नो सिगरेट + नो शराब + सिर्फ शुद्ध शाकाहारी भोजन = 15 पॉइंट एक्सट्रा
दादा और परदादा के भी एक्सट्रा पॉइंट्स
आई-फोन वाले आगे आएं, एंड्रॉयड वाले पीछे जाएं
इन पॉइट्स के पीछे स्कूल मैनेजमेंट के तर्क
- नॉन स्मोकर पेरेंट्स- पेरेंट्स की जीवनशैली का सीधा असर बच्चों पर दिखता है. इसलिए पेरेंट्स की अच्छी आदतें होना चाहिए, ताकि स्कूल में अच्छे बच्चे आएं.
- दादा को एलुम्नाई मानना- इससे परिवार और स्कूल के बीच एक परंपरा कायम रहती है और बच्चे स्कूल के साथ बेहतर कनेक्ट बना पाते हैं.
- हाई प्रोफाइल परिवारों को वरियता देना- इससे स्कूल का एलुम्नाई लेवल स्ट्रॉन्ग होता है. बच्चों को अच्छा नेटवर्क बनाने में मदद मिलती है.
प्राइवेट स्कूलों को दिल्ली सरकार का जवाब
- पेरेंट्स की एजुकेशन के आधार पर बच्चों में अंतर करना उचित नहीं है. वो भी तब, जब देश में अक्षर ज्ञान रखने वालों की संख्या भी 100 परसेंट नहीं है.
- पेरेंट्स की जीवनशैली के आधार पर बच्चों में भेदभाव कानूनन गलत है.
- फैमिली प्रोफाइल देखकर नर्सरी एडमिशन देना, एक ऐसे समाज को तैयार करेगा, जो आपस में भेदभाव करे. इसलिए यह मानक स्वीकर नहीं किया जा सकता.
प्राइवेट स्कूलों को शिक्षा की दुकान में तबदील नहीं होना चाहिए. कुछ स्कूल एंट्री लेवल एजुकेशन के लिए बच्चों का इंटरव्यू ले रहे हैं, जोकि गलत है.
एजुकेशन एक्सपर्ट्स प्राइवेट स्कूलों के इन मानदंडों को एडमिशन के दौरान मैनेजमेंट कोटे के जरिए बच्चों को बैक डोर एंट्री दिलाने का जरिया मानते हैं. देखें यह वीडियो
आपको बता दें कि प्राइवेट स्कूलों की असोसिएशन ने भी हाल ही में सभी प्राइवेट स्कूलों को मैनेजमेंट कोटे के अलावा छोटे-बड़े तमाम मानदंडों को वापस लेने का सुझाव दिया है. मैनेजमेंट कोटे को स्कूलों का अधिकार बताने वाली प्राइवेट स्कूल असोसिएशन जल्द ही दिल्ली सरकार से मैनेजमेंट कोटे को नहीं हटाने की मांग के साथ मिलने वाली है.
वहीं फरवरी में 3 फेज में दाखिले की प्रक्रिया को पूरा किया जाना है, ऐसे में दिल्ली सरकार को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाना होगा, ताकि जिन पैमानों पर नर्सरी रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं, कुछ उसी तरह के पैमानों पर दाखिले नहीं हो जाएं.
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