वाराणसी लोकसभा सीट पर इस बार पीएम नरेंद्र मोदी के सामने तेलंगाना के 50 किसान भी चुनावी मैदान में होंगे. ये किसान अपना नामांकन दाखिल करने के लिए शनिवार को वाराणसी पहुंचे. इन हल्दी किसानों का कहना है कि वे अपनी समस्याओं और मांगों को हाईलाइट करने के लिए वाराणसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
निजामाबाद के इन किसानों में से एक ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, ‘’हम किसी का विरोध नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ अपनी समस्याओं और मांगों को हाईलाइट करना चाहते हैं. हमारी मांगें एक टर्मरिक बोर्ड के गठन और हल्दी के लिए 15000 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की हैं.’’
‘ना UPA ने हमारी सुनी, ना ही NDA ने’
इन किसानों का आरोप है कि ना तो मौजूदा एनडीए सरकार में उनकी समस्याएं सुनी गईं और ना ही पिछली यूपीए सरकार ने उन पर ध्यान दिया था. एक किसान ने कहा, ''हमारी समस्याओं का यूपीए के कार्यकाल में भी समाधान नहीं हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही किया. हम उनके खिलाफ नहीं हैं और हम किसी के खिलाफ प्रचार भी नहीं कर रहे हैं.''
PM के खिलाफ किसान से लेकर जवान तक
बीजेपी के चुनाव प्रचार में किसानों और जवानों का काफी जिक्र होता है. मगर इस बार वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ किसान और जवान दोनों हैं. तेलंगाना के किसानों से पहले तमिलनाडु के किसानों ने भी वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.
इसके अलावा बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर ने भी पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. ये वही तेज बहादुर हैं, जिन्होंने बीएसएफ में ‘घटिया खाने’ पर एक वीडियो बनाकर सुर्खियां बटोरी थीं.
वाराणसी लोकसभा सीट पर पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस के अजय राय और एसपी की शालिनी यादव भी चुनाव लड़ रही हैं. 2014 में इस सीट पर नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. वाराणसी में इस बार लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण यानी 19 मई को वोटिंग होगी.
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