अखिलेश यादव ने शुक्रवार को BSP की अध्यक्ष मायावती द्वारा गेस्ट हाउस कांड में मुलायम सिंह यादव पर दर्ज किए गए केस को वापस लेने पर उनका आभार जताया है. उन्होंने कहा कि ये फैसला स्वागत योग्य है.
अखिलेश ने सरकार केंद्र सरकार पर साधा निशाना
अखिलेश यादव ने शुक्रवार को नोटबंदी के तीन साल पूरे होने पर SP कार्यालय में नोटबंदी के दौरान पैदा हुए बच्चे खजांची का केक काटकर जन्मदिन मनाया और उसे शुभकामनाएं दी. खजांची का जन्म नोटबंदी के दौरान बैंक में लगी लाइन के बीच हुआ था. इस दौरान अखिलेश ने मोदी सरकार पर जमकर तंज कसा. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से न तो आतंकवाद रुका न भ्रष्टाचार, अलबत्ता अर्थव्यवस्था चौपट हुई.
“नोटबंदी से व्यापार बर्बाद हो गए हैं. युवाओं की नौकरियां चली गई हैं. कहा तो गया था कि आतंकवाद और नक्सलवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. लेकिन सरकार लगातार लोगों का ध्यान बंटाने का काम कर रही है.”अखिलेश यादव, अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी
उन्होंने कहा, "लोगों के दुख और तकलीफें देखकर हम कह सकते हैं कि लोग इस सरकार से छुटकारा पाना चाहते हैं और यूपी में 2022 में एसपी की सरकार बनेगी. लोग परेशान हैं, उनके पास काम नहीं है और जानवर किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं."
एसपी मुखिया ने यूपीपीसीएल में हुए पीएफ घोटाले पर कहा, "सरकार को बताना चाहिए कि कर्मचारियों का पैसा कब-कब निवेश किया गया. सरकार बताए कि वह किसको बचाने का प्रयास कर रही है. ऊर्जा मंत्री को हटाया जाना चाहिए, लेकिन वह तो अब तक अपनी कुर्सी पर बैठे हुए हैं."
झूठी रिपोर्ट लिखाई गई थी: शिवपाल सिंह यादव
वहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने बीएसपी मुखिया मायावती द्वारा गेस्ट हाउस कांड के वापस लेने पर शुक्रवार को कहा कि यह मामला नौ माह पहले ही कोर्ट से खत्म हो चुका है.
“यह मामला नौ महीने पहले ही कोर्ट से खत्म हो चुका था. इसमें नया कुछ नहीं है. जब यह घटना हुई थी तब मैं उस समय था ही नहीं. झूठी रिपोर्ट लिखाई गई थी.”शिवपाल सिंह यादव
गेस्टहाउस कांड में बीएसपी नेतृत्व ने फरवरी में ही सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर केस वापस ले लिया था. इस मामले में समाजवादी पार्टी (एसपी) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, आजम खान समेत पार्टी के कई नेताओं को आरोपी बनाया गया था.
सूत्र बताते हैं कि जनवरी में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए एसपी और बीएसपी के बीच हुए गठबंधन के बाद अखिलेश यादव ने मायावती से मुलायम सिंह यादव के खिलाफ केस वापस लेने का आग्रह किया था. जिसके बाद बीएसपी की ओर से फरवरी में हलफनामा दाखिल कर केस वापस ले लिया गया था. हालांकि इस मामले को ज्यादा सामने नहीं आने दिया गया था.
क्या था गेस्ट हाउस कांड?
करीब 25 साल पहले साल 1993 में हुए बीएसपी-एसपी गठबंधन की डोर 1995 में टूट गई. जोड़तोड़ की तमाम कोशिशें भी मुलायम सरकार को बचाते नहीं दिख रखी थी. कार्यकर्ता गुस्से में थे. आखिरकार, 2 जून 1995 को दोपहर 3 बजे लखनऊ के मीराबाई गेस्ट हाउस में जो हुआ उसकी कड़वाहट आज भी बीएसपी-एसपी कार्यकर्ताओं में देखी जा सकती है. इस गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 1 में मायावती अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं.
अचानक एसपी कार्यकर्ताओं का एक हुजूम उनके कमरे की तरफ बढ़ा. रिपोर्ट्स के मुताबिक कमरे में तोड़फोड़ हुई, अपशब्द शब्द बोले गए और मायावती के साथ बदसलूकी भी की गई. कहा जाता है कि कमरे में मौजूद विधायक भी मायावती को बचाने के लिए नहीं आए और फरार हो गए.
बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी, कमरे के अंदर दाखिल हुए और मायावती की जान बच सकी थी. इससे पहले कई घंटे तक मायावती कमरे में बंद रही. गेस्ट हाउस कांड की कई ऐसी चीजें हैं जो आजतक सामने नहीं आ सकी हैं. लेकिन कई रिपोर्ट्स में मायावती के साथ गाली गलौज, मारपीट तक की बात मिलती है.
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