वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
केंद्रीय मंत्री, लालू प्रसाद यादव के चिर प्रतिद्वंद्वी, 6 बार बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की एक बार फिर सत्ता में वापसी हुई है. नजदीकी मुकाबले में बहुत कम अंतर से उन्होंने महागठबंधन को चुनाव में हराया. जिसके बाद एक बार फिर वो बिहार का सीएम बनने के लिए तैयार हैं. एनडीए के विधायक दल की संयुक्त बैठक में राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार के नाम पर औपचारिक मुहर लग गई है.
जितना शानदार दिखता है नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर उतना भी आसान नहीं रहा है. 2005 में बिहार में जीत हासिल करने के बाद नीतीश कुमार ने अपने प्रयासों से राज्य को विकसित करने के लिए काफी प्रसिद्धि पाई.
‘सुशासन बाबू’ पर अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अपनी निष्ठा बदलने का भी आरोप लगता रहा है और इसलिए, RJD सुप्रीमो लालू यादव नेउन्हें ‘पलटूराम’ का नाम दिया था.
नीतीश का जन्म 1951 में हुआ. उनके पिता कविराज राम लखन सिंह आयुर्वेदिक डॉक्टर थे. उन्होंने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, जिसे अब NIT पटना के नाम से भी जाना जाता है. 1974 से 1977 तक, एक छात्र के तौर पर नीतीश जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आपातकाल के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा रहे थे.नीतीश इस सिलसिले में जेल भी गए थे.
1985 में वो बिहार विधानसभा में नीतीश स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुने गए. 1987 में वो युवा लोक दल के अध्यक्ष बनाए गए और 1989 तक, नीतीश कुमार बिहार जनता दल के महासचिव बन गए.
कभी लालू यादव के 'चाणक्य' कहे जाने वाले नीतीश कुमार ने 1994 में जनता दल से नाता तोड़कर समता पार्टी बनाई. जिसके बाद दोनों दोस्त एक दूसरे के प्रतिद्वंदी बन गए. कुछ सालों बाद, उन्होंने बीजेपी से हाथ मिला लिया.
नीतीश ने इन पदों पर सेवाएं दीं
- भूतल परिवहन मंत्री (1998-1999)
- कृषि मंत्री (1999-2001)
- रेल मंत्री (1998-1999 AND 2001-2004)
2000 में नीतीश सिर्फ 7 दिनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बनें. 2005 में लालू यादव और राबड़ी देवी के 15 सालों के शासन का अंत कर वो फिर से मुख्यमंत्री बनें.
मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने को लेकर 2013 में उन्होंने NDA से नाता तोड़ लिया. RJD और कांग्रेस के साथ 'महागठबंधन' बनाकर 2015 विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल कीलेकिन गठबंधन लंबा नहीं चला.
2017 में सीएम ने एक बार फिर यू-टर्न लिया और NDA का दामन थाम लिया. नीतीश का पिछला कार्यकाल उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
इन मुद्दों पर नीतीश की आलोचना
- मुजफ्फरपुर शेल्टर होम
- शराब बंदी
- प्रवासी संकट
- बेरोजगारी
2020 चुनाव प्रचार के दौरान आलोचना झेलने के बावजूद नीतीश कुमार बिहार चुनावों में जीत हासिल करने में कामयाब रहें
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