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देख तेरे बिहार को क्या हुआ बापू? नेताओं पर पत्थर और चप्पल  

नेताओं के बोली कड़वी होती जा रही है तो जनता भी पीछे नहीं है. सूबे के सीएम पर पत्थर और प्याज फेंके जा रहे हैं.

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

"देख बापू तेरे बिहार में क्या हो रहा है, नेताओं पर कभी प्याज, कभी पत्थर तो कभी चप्पल चल रहा है.'

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे फैसले की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे नेताओं के साथ-साथ जनता भी समझदारी से दूर होती जा रही है. नेताओं के बोली कड़वी होती जा रही है तो जनता भी पीछे नहीं है. सूबे के सीएम पर पत्थर और प्याज फेंके जा रहे हैं. सवाल ये है कि क्या ये पत्थर लोकतंत्र पर चोट नहीं कर रहे हैं? अगर आज बापू होते तो वो भी बिहार के लोगों से पूछते जरूर जनाब ऐसे कैसे?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मधुबनी जिले के हरलाखी में एक चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे. इस दौरान मंच से जैसे ही वह भाषण देने लगे, उतने में ही सामने से एक-दो युवकों ने मंच पर प्याज फेंक दिया. मंच पर मौजूद सुरक्षाकर्मी नीतीश कुमार के बचाव में सामने आ गए. सुरक्षाकर्मी प्याज फेंकने वालों को ढूंढने लगे. नीतीश कुमार ने भी नाराज होकर कहा- खूब फेंको, खूब फेंको.

मुख्यमंत्री नीतीश ने अपना संबोधन नहीं रोका और सभा में आए लोगों से कहा, “आप समझ सकते हैं. रोजगार का कितना अवसर पैदा होगा.”

ये पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार के खिलाफ उनकी रैलियों में लोगों ने हंगामे किए हैं. इससे पहले परसा में जब वो जनता दल (यू) के प्रत्याशी चंद्रिका राय के लिए प्रचार करने आए थे तब लोगों ने सभा में लालू जिंदाबाद के नारे लगाए. तब भी नीतीश भड़क गए थे और लोगों से कहा था- तुमको अगर वोट नहीं देना है मत दो.. यहां पर हल्ला मत करो.

ऐसी ही एक घटना तेजस्वी यादव के साथ भी हुई थी. बिहार के औरंगाबाद के कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र में तेजस्वी यादव पर चुनावी सभा के दौरान एक युवक ने चप्पल फेंकी थी. हालांकि युवक का कहना था कि उसने तेजस्वी पर नहीं बल्कि उनके विधायक पर फेंकी थी.

लेकिन इन सबके बीच सवाल ये है कि बिहार में चप्पल-जूते से विरोध कब से होने लगा. आप जनता जनार्दन हैं, आपने इंदिरा गांधी से लेकर जेपी तक को आसमां से जमीन पर पहुंचाया है. हमला करना है, नाराजगी जाहिर करनी है तो वोट से नाराजगी जाहिर कीजिए. जो काम नहीं करे उसके खिलाफ जोर से ईवीएम दबाइए. 
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एक कहावत है कि महाजनो येन गत: स पन्था...लेकिन नेता जिस राह जाएं उसी पर हमेशा चला जाए जरूरी नहीं है....ऐ भाई जरा देख के चलो क्योंकि कई नेता आपको राह भटकाने की कोशिश कर रहे हैं.

नेता बिहार के असल मुद्दे छोड़कर कश्मीर, राम मंदिर, जय श्री राम, भारत माता की जय में अपको उलझाने में लगे  हैं. कोई कह रहा है कि विपक्ष पाकिस्तान प्रेमी है, कोई परिवार की मर्यादा की बात कर रहा है. कोई कह रहा है कि भारत विरोधी एकजुट हो गए हैं. जबकि बड़े मुददे हैं बेरोजगारी, पलायन, सेहत, शिक्षा. कम से कम आप इन मुद्दों को मत छोड़िए.

नेताओं के मंच से लोकतंत्र को उछाला ही जा रहा है कम से कम आप तो प्याज उछाल कर उनकी तरह खुद को मत बनाइए. अगर नेताओं की जातिवादी, सांप्रादिक सोच को गेट वेल सून कहना है तो पहले आप तो ठीक रहिए. फिर देखिए कैसे बापू के सपनों का भारत बनता है. नहीं तो बापू कहेंगे जनाब ऐसे कैसे?

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