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बिहार चुनाव: सबसे बड़ा ‘विनर’ और ‘लूजर’ कौन?

‘पॉलिटिकल पंडित’ इस पूछताछ में भी लगे हुए हैं कि इन चुनाव का सबसे बड़ा ‘विनर’ और सबसे बड़ा ‘लूजर’ कौन साबित हुआ है.

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बिहार की सियासत में गठबंधनों के बीच 'बड़े भाई- छोटे भाई' वाला फॉर्मूला खूब चलता है. इन चुनाव नतीजों ने ये तो साफ कर दिया है कि अब नीतीश कुमार का 'बड़ा भाई' वाला टैग चला गया है. एनडीए गठबंधन में 74 सीटों के साथ बीजेपी ने जहां जोरदार प्रदर्शन किया है वहीं जेडीयू का स्ट्राइक रेट कहीं कम रहा और बमुश्किल 43 सीटें ही पार्टी जीत सकी है.

ऐसे में 'पॉलिटिकल पंडित' इस पूछताछ में भी लगे हुए हैं कि इन चुनाव का सबसे बड़ा 'विनर' और सबसे बड़ा 'लूजर' कौन साबित हुआ है.

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नीतीश कुमार CM तो बन जाएंगे, ठसक कम रहेगी!

नीतीश कुमार पिछले 15 सालों में 7वीं बार शपथ लेंगे. एंटी-इनकंबेंसी के बावजूद भी कुर्सी बची रही तो इसमें बड़ा हाथ बीजेपी और सहयोगी दलों का भी माना जा सकता है. ऐसे में इस कार्यकाल में नीतीश कुमार की 'ठसक' में थोड़ी कमी दे सकती है. सहयोगी पार्टियों जैसे जीतन राम मांझी की हम और विकासशील इंसान पार्टी ने भी 4-4 सीटों पर जीत दर्ज की है, ऐसे में वो भी 'जताने' से पीछे नहीं रहेंगे.

2015 विधानसभा चुनाव नतीजे

‘पॉलिटिकल पंडित’ इस पूछताछ में भी लगे हुए हैं कि इन चुनाव का सबसे बड़ा ‘विनर’ और सबसे बड़ा ‘लूजर’ कौन साबित हुआ है.

2020 विधानसभा चुनाव नतीजे

‘पॉलिटिकल पंडित’ इस पूछताछ में भी लगे हुए हैं कि इन चुनाव का सबसे बड़ा ‘विनर’ और सबसे बड़ा ‘लूजर’ कौन साबित हुआ है.

जेडीयू का स्ट्राइक रेट खराब!

सीट बंटवारे के दौरान एनडीए में शामिल बीजेपी के हिस्से जहां 121 सीटें आई थी, वहीं जनता दल युनाइटेड के हिस्से 122 सीटें आई थी. इसमें से जेडीयू ने खुद के हिस्से की आई सीटों में से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को सात सीटें दी जबकि बीजेपी ने अपने हिस्से की 11 सीटें विकासशील इंसान पार्टी को दे दी.

अब 122 सीटों में से 15.4 फीसदी वोट शेटर के साथ जेडीयू ने 43 सीट ही हासिल किए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो पार्टी कम सीटों पर लड़ी थी, 101 सीटों पर लड़कर 71 हासिल किए थे, वोट शेयर भी 16.8 फीसदी रहा था.
‘पॉलिटिकल पंडित’ इस पूछताछ में भी लगे हुए हैं कि इन चुनाव का सबसे बड़ा ‘विनर’ और सबसे बड़ा ‘लूजर’ कौन साबित हुआ है.
चुनाव आयोग

बीजेपी के लिए Win-Win वाली स्थिति

इसके मुकाबले बीजेपी ने इस बार 74 सीटें हासिल की हैं, पिछले चुनाव में 157 सीटों पर लड़कर बीजेपी 53 ही जीत सकी थी. मतलब साफ है कि जहां एक तरफ बीजेपी को फायदा मिला है उसकी सहयोगी पार्टी जेडीयू पर दबाव बढ़ा है.

इसका असर भी इस बार के नीतीश कार्यकाल पर दिख सकता है और बीजेपी का 'दखल' पिछली सरकारों की तुलना में इस बार बढ़ सकता है. सीएम कोई भी हो, बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में होगी.

बीजेपी सांसद और इसके स्टार प्रचारक मनोज तिवारी की एक लाइन भी इस बात को साफ करती है- "सरकार एनडीए द्वारा बनाई जाएगी जो नीतीश कुमार के नेतृत्व में और नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से बनेगी."

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तेजस्वी यादव 'नेता' बन गए हैं!

अब बात एक और 'विनर' की करें तो वो हैं तेजस्वी यादव. तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया है और आरजेडी 75 सीटों के साथ इकलौती सबसे बड़ी पार्टी बनी है. शिवसेना, एनसीपी समेत तमाम सियासी दल आरजेडी और खासकर तेजस्वी यादव की तारीफ करते दिख रहे हैं. शिवसेना ने तो अपने संपादकीय में लिखा है- हमें नहीं लगता कि तेजस्वी यादव हार गए हैं. यह क्षण देश के राजनीतिक इतिहास में दर्ज किया जाएगा,.बिहार के चुनाव ने देश की राजनीति में तेजस्वी यादव का एक नया नाम दिया है। उनकी जितनी भी तारीफ की जाए, कम है.

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