दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में चुनाव लड़ने वाली कुल 79 महिला उम्मीदवारों में से केवल 8 महिलाओं ने जीत दर्ज की है. ये सभी महिला विधायक आम आदमी पार्टी (AAP) से हैं. 2015 में, दिल्ली विधानसभा में 6 महिलाएं जीतकर आईं थीं और ये सभी AAP से थीं.
2020 विधानसभा चुनावों में AAP, बीजेपी और कांग्रेस से कुल 24 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिसमें कांग्रेस से सबसे ज्यादा (10) उम्मीदवार थे. AAP ने दिल्ली चुनाव में 9 महिला उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 8 जीती हैं. AAP की इकलौती महिला उम्मीदवार, जिन्हें चुनावों में हार मिली हैं, वो सरिता सिंह हैं . रोहतास नगर में बीजेपी के जीतेंद्र महाजन ने AAP की सरिता सिंह को 12,998 वोटों से हराया.
आतिशी की पहली जीत
2019 लोकसभा चुनावों में हार के बाद, आतिशी को पूर्वी दिल्ली के कालकाजी से अवतार सिंह की जगह उतारा गया. आतिशी ने 11,300 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की.
आम आदमी पार्टी का पॉपुलर चेहरा, आतिशी को दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलने का श्रेय दिया जाता है.
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी, आतिशी के खिलाफ लड़ी थीं.
कांग्रेस छोड़कर AAP में आईं, जीतीं
चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर AAP ज्वाइन करने वालीं धनवंती चंदेला और राजकुमारी ढिल्लो ने पहली ही बार में जीत दर्ज कर ली. दोनों ने 20,000 ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की.
अमीर उम्मीदवारों में से एक चंदेला ने रजौरी गार्डन से जीत दर्ज की. वहीं, ढिल्लो ने हरि नगर सीट पर बीजेपी के तजिंदर पाल सिंह बग्गा को हराया.
27 सालों में पहली बार हरि नगर सीट पर किसी बड़ी पार्टी ने महिला उम्मीदवार को उतारा था.
AAP महिलाओं ने वापस दर्ज की जीत
AAP छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुईं अल्का लांबा चांदनी चौक से हार मिली है. उन्हें केवल 5 फीसदी वोट मिले.
इन चार AAP महिला उम्मीदवारों ने फिर दर्ज की अपनी सीट पर जीत:
- वंदना कुमारी ने शालीमार बाग सीट पर बीजेपी की रेखा गुप्ता को 3,400 वोटों से हराया.
- भावना गौड़ ने पालम सीट पर बीजेपी के विजय पंडित को 32,000 वोटों से हराया.
- प्रमिला टोकस ने आरके पुरम सीट पर बीजेपी के अनिल कुमार शर्मा को 10,000 वोटों से हराया.
- राखी बिड़ला ने मंगोलपुरी सीट पर बीजेपी के करम सिंह को 30,000 वोटों से हराया.
दिल्ली में महिला उम्मीदवारों का इतिहास
साल 1993 में दिल्ली विधानसभा के पहले चुनाव के बाद से कुल 31 महिलाएं इस विधानसभा के लिए चुनी गई हैं, जिनमें 22 साल की अवधि में 2015 तक कांग्रेस से सबसे ज्यादा 20 विधायक हैं.
1993 में दिल्ली की पहली विधानसभा में सदन के लिए तीन महिलाएं चुनी गईं, जबकि उनमें से दो कांग्रेस से और एक बीजेपी से थीं.
1998 में जब शीला दीक्षित पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, सदन में सबसे ज्यादा महिलाएं चुनी गई थीं. उस बार 9 महिलाएं चुनाव जीती थीं, जिनमें से 8 कांग्रेस से और 1 बीजेपी से सुषमा स्वराज थीं, जो हौजखास से चुनी गई थीं.
ये एक ऐतिहासिक साल था, क्योंकि इसके बाद से आज तक कोई भी महिला बीजेपी नेता सदन के लिए नहीं चुनी गई हैं.
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