असली नतीजों से 3 दिन पहले, नतीजों के अनुमान और उनपर सियासी पंडितों के निकल रहे अरमान. स्वागत है आपका एग्जिट पोल डे में. डी डे से पहले एग्जिट पोल डे ने अपना डिसिजन दे दिया है. और डिसिजन ये है कि 23 मई को फिर कमल खिलने जा रहा है. बीजेपी सत्ता में वापस आ रही है यानी ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ की हुंकार का जनता ने किया है जय-जयकार. एग्जिट पोल का परिंदा एनडीए की अटरिया पर बैठ तो गया है, लेकिन उसकी गुटरगूं सस्पेंस से भरी है. ये परिंदा जो बोल रहा है उसे ध्यान से सुनें तो बीजेपी के लिए हर जगह गुड न्यूज नहीं है, वहीं गैर-बीजेपी खेमे के लिए हर जगह मातम नहीं है.
बीजेपी का दक्षिण में दुख बरकरार है तो उत्तर में उसे वोटर से पॉजिटिव उत्तर मिला है. पूरब में उसका सूरज चढ़ा है और पश्चिम में पश्चाताप जैसी कोई बात नहीं. कांग्रेस की किश्ती वहां डूबी है, जहां उसके अपने खेवैया हैं.
एग्जिट पोल का ताव दिखाने के लिए किसी चैनल ने स्टूडियो में हेलिकॉप्टर उड़ाया तो किसी ने घोड़े दौड़ाए. एक चैनल ने तो सर्वे करने वालों की ग्रांड एंट्री बेशकीमती कार और बाइक पर कराई. लेकिन सारे पोल की बोल एक ही थी-मोदी की लहर पांच साल बाद भी बरकरार है. एक मैसेज ये भी है कि पांच साल के काम के बाद भी एनडीए की स्थिति सुधरी नहीं है. ज्यादातर पोल्स में एनडीए को पिछली बार से कम सीटें मिल रही हैं. एक तस्वीर ये है कि पिछली बार 60 सीटें जीतने वाली यूपीए की स्थिति सुधरी है. ज्यादातर पोल्स में उसे पिछली बार से दोगुनी सीटें मिलती दिख रही हैं. उसके लिए दुख की बात है कि ये नंबर बहुमत के जादुई आंकड़े यानी 272 से बहुत पीछे है.
कांग्रेस की किश्ती डूबी वहां, जहां पानी कम था
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश. ये तीन राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस को बड़ी कामयाबी की उम्मीद थी. लेकिन अगर एग्जिट पोल्स की मानें तो यहां कांग्रेस को करारी हार मिल रही है. 2014 में बीजेपी को एमपी में 29 में से 27 सीटें मिली थीं. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने के बावजूद यहां बीजेपी को बड़ा नुकसान नहीं हुआ. ज्यादातर एग्जिट पोल में उसे 24 के आसपास सीटें मिल रही हैं.
राजस्थान की 2014 में 25 में से 25 सीटें मिली थीं. यहां भी 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन ज्यादातर एग्जिट पोल्स अब भी बीजेपी को 22 के आसपास सीटें दे रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में 2014 में बीजेपी को 11 में से 10 सीटें मिली थीं. विधानसभा चुनाव जीतने के बावजूद कांग्रेस को कोई खास कामयाबी मिलती नहीं दिख रही. यहां 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 7 के करीब सीटें मिलती दिख रही है.
वेस्ट एनडीए के लिए अब भी बेस्ट
गुजरात में 2014 एनडीए को 26 में से 26 सीटें मिली थीं. इस बार भी उसे 22 से 24 सीटें मिलती दिख रही हैं. महाराष्ट्र में 2014 में एनडीए ने 41 सीटें जीती थीं. 2019 में एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन हुआ तो यूपीए की उम्मीद जगी लेकिन इस बार भी एनडीए को महज दो चार सीटों का नुकसान होता दिख रहा है.
बंगाल की लड़ाई में ममता को चोट
चुनाव के सातों चरणों में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच घमासान दिखा. जमकर हिंसा हुई. जाहिर है यहां बीजेपी ने पूरी ताकत झोंकी थी. एग्जिट पोल के नतीजे भी कह रहे हैं कि राज्य में बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस को बड़ी चोट दी है. बीजेपी को पिछली बार महज दो सीटें मिली थीं लेकिन इस बार ज्यादातर सर्वे में उसे 10 से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं. आजतक-एक्सिस एग्जिट पोल में तो उसे 23 सीटें मिली है. जाहिर है ये सारी सीटें तृणमूल के 34 के आंकड़े से ही कटेंगी. लेफ्ट का नामोनिशान मिट गया दिखता है.
दक्षिण अब भी दूर
उत्तर से पश्चिम और पूर्व तक चला एनडीए का विजय रथ दक्कन का पठार पार नहीं कर पाया. तमिलनाडु में उसे करारा झटका मिला है. एनडीए की सहयोगी मानी जा रही AIADMK को पिछली बार 37 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार हर पोल में उसे 7 से कम सीटें मिल रही हैं. कर्नाटक में वो 17 सीटों से महज 2-3 सीटें आगे बढ़ती दिख रही है.
आंध्र प्रदेश में YSRCP सिरमौर है. एनडीए का हिस्सा रही TDP ने पिछली बार 25 में से 15 सीटें जीती थीं. बीजेपी की दो मिलाकर एनडीए को 17 सीटें मिलीं. लेकिन इस बार TDP अलग लड़ी और तबाह हो गई. ज्यादातर पोल्स कह रहे हैं कि YSRCP का आंकड़ा 8 से डबल हो सकता है. केरल में राहुल गांधी के जाने का कुछ फायदा कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन UDF को जरूर हुआ है.
बाकी सब ठीक ठाक है
पिछली बार दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी ने जीती थीं, इस बार भी कहानी वही दिख रही है. यहां आम आदमी पार्टी का सफाया हो सकता है. हरियाणा में भी एनडीए की पकड़ बरकरार है. पंजाब में उसे जरूर नुकसान हुआ है. दिल्ली की तरह यहां भी आम आदमी पार्टी गायब हो सकती है. कांग्रेस को पंजाब में 3 के बजाय 10 सीटें मिलती दिख रही हैं. एनडीए 6 से घटकर एक-दो तक सिमट सकती है. बंगाल की तरह ओड़िशा में बीजेपी की गाड़ी आगे बढ़ सकती है. बिहार में फिर एक बार बीजेपी के लिए बहार है. झारखंड में एनडीए को कुछ घाटा हो सकता है. 12 से आंकड़ा 7-8 तक गिर सकता है.
एग्जिट पोल - कितने सही बोल?
एग्जिट पोल का परिंदा एनडीए के आंगन में बैठ तो गया है, लेकिन उसकी नजर लगातार 23 तारीख पर रहेगी. अगर मतगणना के आंकड़ों से निकले कंकड़ उसपर गिरे तो वो कब फुर्र हो जाए, कौन जानता है? ममता दीदी ने तो उसे अभी से उड़ा दिया है.
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