देवभूमि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Election) की 68 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती जारी है. यहां हम आपको एक साथ बताते हैं कि प्रदेश की 10 हॉट विधानसभा सीटों (Himachal Pradesh Hot Seats) पर कितने प्रतिशत वोट पड़े थे? इन 10 सीटों पर सबकी नजरें क्यों हैं? इससे पहले के 2 चुनावों में यहां वोटिंग पैटर्न क्या रहा है?
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1. सेराज
सेराज विधानसभा की सीट हिमाचल प्रदेश चुनावों की सबसे हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है और इसपर सबकी नजर है. इस सीट पर आज 74% वोट डाले गए. सीएम और बीजेपी नेता जय राम ठाकुर इसी सीट से लगातार 5 बार से विधायक हैं और छठी बार भी मैदान में हैं. मंडी जिले से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले पहले नेता- जय राम ठाकुर के सामने कांग्रेस ने चेतराम ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि आम आदमी पार्टी ने भी एक ठाकुर उम्मीदवार- गीता नंद ठाकुर पर भरोसा जताया है.
2017 के चुनाव में यहां 84.50% वोटिंग हुई थी और जय राम ठाकुर 11254 वोट से जीते थे जबकि 2012 में 85.19% वोटिंग हुई और तब जय राम ठाकुर 5752 वोट से जीते थे.
2. हरोली
यहां से इस बार भी कांग्रेस ने मुकेश अग्निहोत्री को टिकट दिया है जो इस सीट से मौजूदा विधायक भी हैं और इस बार के चुनाव में वे जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं. मुकेश अग्निहोत्री ने 2017 के चुनाव में बीजेपी के राम कुमार को 7377 वोटों से हराया था. दूसरी ओर बीजेपी ने एक बार फिर राम कुमार पर भरोसा जताया है जो लगातार दो बार मुकेश अग्निहोत्री से चुनाव हार चुके हैं. इस सीट पर आज 69.90 % वोट डाले गए.
2017 के चुनाव में यहां 79.63% वोटिंग हुई थी और मुकेश अग्निहोत्री 7377 वोट से जीते थे जबकि 2012 में 75.87% वोटिंग हुई और तब मुकेश अग्निहोत्री 5172 वोट से जीते थे.
3. शिमला ग्रामीण
देवभूमि हिमाचल में सबसे अधिक 6 बार मुख्यमंत्री बनने वाले कांग्रेस के दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य शिमला ग्रामीण सीट से दूसरी बार जीतने की तैयारी में हैं. बीजेपी ने विक्रमादित्य के खिलाफ रवि मेहता को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि आम आदमी पार्टी ने प्रेम ठाकुर को मैदान में उतारा है. इस सीट पर आज 66.35 % वोट डाले गए.
2017 के चुनाव में यहां 74.02% वोटिंग हुई थी और विक्रमादित्य ने बीजेपी के डॉ प्रमोद शर्मा को 4880 वोट से हराया था जबकि 2012 में 59.32% वोटिंग हुई और तब वीरभद्र सिंह 20000 वोट से जीते थे.
4. मंडी सदर
हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में 'फीनिक्स' कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पंडित सुखराम के विधानसभा क्षेत्र मंडी सदर की सीट भी हॉट सीटों में है. यहां बीजेपी का बागी ही बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर दे रहा है. बीजेपी ने यहां पंडित सुखराम के बेटे अनिल शर्मा को खड़ा किया है जबकि कांग्रेस ने चंपा ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है. टिकट न मिलने से नाराज प्रवीण शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. प्रवीण शर्मा आरोप लगा रहे हैं कि भगवा पार्टी कांग्रेस छोड़ पैरासूट से आए नेता को तरजीह दे रही है. इस सीट पर आज 72.90% वोट डाले गए.
2017 के चुनाव में यहां 77.44 % वोटिंग हुई थी और अनिल शर्मा ने कांग्रेस के चंपा ठाकुर को 10257 वोट से हराया था जबकि 2012 में 74.93% वोटिंग हुई और तब कांग्रेस उम्मीदवार रहे अनिल ठाकुर 3930 वोट से जीते थे.
5. फतेहपुर
फतेहपुर सीट भी सुर्खियों में है और इसका कनेक्शन पीएम मोदी से जुड़ा है. वायरल हो रहे वीडियो में पीएम मोदी इस सीट से बीजेपी के बागी नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार को बगावत छोड़ कर चुनाव से हटने को कहते सुने गए. कांग्रेस ने एक बार फिर भवानी सिंह पठानिया को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि बीजेपी ने राकेश पठानिया पर भरोसा दिखाया है. इससे नाराज कृपाल परमार ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया और पीएम के फोन के बावजूद वो पीछे नहीं हटे हैं. बीजेपी ने कृपाल परमार को पार्टी से निकाल दिया है. इस सीट पर आज 66.64% वोट डाले गए.
2017 के चुनाव में यहां 72.61% वोट डाले गए थे. इस चुनाव में BJP ने कृपाल परमार को टिकट दिया था लेकिन तब वे कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया से चुनाव हार गए. 2020 में पठानिया के निधन के बाद फिर चुनाव हुआ लेकिन बीजेपी ने इस बार बलदेव ठाकुर को टिकट दे दिया. चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और सुजान सिंह के बेटे भवानी पठानिया ने बलदेव ठाकुर को 5789 मतों से शिकस्त दी थी. इस उपचुनाव में 66.20% वोट डाले गए थे.
6. कांगड़ा
कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के पवन काजल, कांग्रेस के सुरेंद्र काकू, BSP के विजय कुमार, AAP के राज कुमार तथा निर्दलीय प्रत्याशी कुलभाष चंद और अमित वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. 2017 के चुनाव में यहां 77.15% वोटिंग हुई थी और तब कांग्रेस में रहे पवन कुमार काजल 6208 वोट से जीते थे जबकि 2012 में 74.06% वोटिंग हुई और तब निर्दलीय उम्मीदवार रहे पवन कुमार काजल 563 वोट से जीते थे. इस सीट पर आज 71.00% वोट डाले गए.
7. ठियोग
ठियोग विधानसभा सीट शिमला जिले में आती है और यह इकलौती ऐसी सीट थी जहां CPI(M) ने 2017 के चुनाव में जीत हासिल की थी. CPI(M) के सीटिंग MLA राकेश सिंघा फिर पार्टी की टिकट पर मैदान में हैं, बीजेपी ने अजय श्याम को मौका दिया है जबकि कांग्रेस ने कुलदीप सिंह राठौर को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर आज 71.00% वोट डाले गए.
2017 के चुनाव में यहां 73.94% वोटिंग हुई थी और तब राकेश सिंघा ने बीजेपी के राकेश वर्मा को 1983 वोट से हराया था. 2012 में 74.96% वोटिंग हुई और तब कांग्रेस उम्मीदवार विद्या ने बीजेपी के राकेश वर्मा को 4276 वोट से हराया था.
8. कसुम्पटी
कांग्रेस के गढ़ कसुम्पटी से पार्टी के मौजूदा विधायक अनिरुद्ध सिंह जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं. यहां 20 सालों से बीजेपी नहीं जीत सकी है. बीजेपी ने अपना उम्मीदवार राज्य के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज को बनाया है. वहीं AAP ने यहां से राजेश चन्ना को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है. इस सीट पर आज 57.00% वोट डाले गए.
2017 के चुनाव में यहां 67.55% वोटिंग हुई थी और अनिरुद्ध सिंह ने बीजेपी की विजय ज्योति को 9397 वोट से हराया था. 2012 में 60.48% वोटिंग हुई और तब कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध सिंह ने बीजेपी के प्रेम सिंह को 9886 वोट से हराया था.
9. बिलासपुर सदर
बिलासपुर सदर विधानसभा सीट बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का होम टर्फ है यानी उनकी गृह सीट है. इसी कारण इस सीट पर दिलचस्पी ली जा रही है. बिलासपुर सदर में खुद जेपी नड्डा से लेकर उनके परिजन बीजेपी उम्मीदवार त्रिलोक जम्वाल के लिए वोट मांग रहे हैं. उनके सामने कांग्रेस के बंबर ठाकुर हैं. लेकिन बीजेपी और नड्डा के लिए सबसे बढ़ी फजीहत सुभाष ठाकुर बने हैं जो कभी नड्डा के वफादारों में गिने जाते थे और सिटिंग बीजेपी हैं. इस सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद सुभाष शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर आज 66.54% वोट डाले गए.
2017 के चुनाव में यहां 75.58% वोटिंग हुई थी और सुभाष ठाकुर ने कांग्रेस के बंबर ठाकुर को 6862 वोट से हराया था. 2012 में 71.28% वोटिंग हुई और तब कांग्रेस उम्मीदवार बंबर ठाकुर ने बीजेपी के सुरेश चंदेल को 5141 वोट से हराया था.
10. मनाली
राजनीतिक और पर्यटन के लिहाज से चर्चित मनाली की सीट पर 2012 से बीजेपी नेता गोविंद सिंह ठाकुर का कब्जा है. लेकिन इस बार असंतुष्ट अधिवक्ता महेंद्र ठाकुर ने निर्दलीय मैदान में उतर कर मुकाबले को रोचक बना दिया है. कांग्रेस ने इस सीट से 2012 में चुनाव लड़ चुके भुवनेश्वर गौर को मौका दिया है. इस सीट पर आज 67.02% वोट डाले गए.
2017 के चुनाव में यहां 80.04% वोटिंग हुई थी और गोविंद सिंह ठाकुर ने कांग्रेस के हरि चंद शर्मा को 3005 वोट से हराया था. 2012 में 80.64% वोटिंग हुई और तब गोविंद सिंह ठाकुर ने कांग्रेस उम्मीदवार भुवनेश्वर गौर को 3198 वोट से हराया था.
यानी अगर इन 10 VIP सीटों की बात करें तो इनपर पिछले 2 चुनावों की अपेक्षा कम वोट पड़े हैं. जब वोटिंग परसेंट बहुत ज्यादा होता है तब उसे एंटी इंकम्बेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर का संकेत माना जाता है. लेकिन इसके उलट इस बार वोटिंग परसेंट गिरा है, यानी यह संकेत दे रहा है कि जनता सूबे में सरकार बदलने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है. एंटी इंकम्बेंसी की लहर को मापने का यह पैमाना कई बार गलत भी साबित हुआ है लेकिन अबतक के ओपिनियन पोल के साथ इस वोटिंग पैटर्न को देखें तो नजर आता है कि सरकार के खिलाफ लहर जैसी बात नहीं है.
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