मध्य प्रदेश के चुनावी समर (MP Election 2023) के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी कमर कस ली है. अखिलेश यादव 28 सितबंर 2023 को छत्तरपुर के राजनगर में एक आदिवासी के घर पहुंचे और उसके आंगन में जमीन पर बैठकर पत्तल में खाना खाया. इसके बाद से राजनीतिक विश्लेषकों ने कयास लगाना शुरू कर दिया कि अखिलेश ने PDA (पिछड़ा, दलित, आदिवासी) पर अब पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया है.
क्या यादव वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर अखिलेश पिछड़ा, दलित और आदिवासी को भी साधने में जुट गए हैं? लेकिन, सवाल है कि मध्य प्रदेश के चुनाव में अखिलेश कितने कामयाब होंगे? क्या अखिलेश को गैर यादव समाज का वोट हासिल होगा? इसके साथ ही ये भी जानने की कोशिश करेंगे कि क्या अखिलेश अपने पिता के साल 2003 एमपी चुनाव का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे, क्योंकि उन्होंने दावा किया है कि इस चुनाव में वो सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करेंगे.
बता दें कि समाजवादी पार्टी ने साल 2003 में मुलायम सिंह के नेतृत्व में मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा था. तब एसपी ने 161 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें उसे 7 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जो अभी तक एमपी चुनाव में एसपी की सर्वाधिक विधानसभा सीट है.
MP में क्या है SP का जनाधार?
अखिलेश यादव ने हाल ही में बयान दिया कि "समाजवादी पार्टी का संगठन जिन क्षेत्रों में मजबूत है और जहां पर हमारे प्रत्याशी जीतने की स्थिति में हैं, वहां पर चुनाव लड़ेंगे."
दरअसल, यूपी में एसपी का कोर वोटर यादव और मुस्लिम रहा है, जिससे प्रदेश में सरकार बनती रही है. उसी यादव वोट बैंक को साधने के लिए एसपी ने एमपी में भी दांव खेला है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमपी में 12 से 14 फीसदी यादव वोट बैंक है. इसी यादव वोट बैंक पर एसपी की नजर है. इसके अलावा अखिलेश ने जो PDA का नारा दिया है, उसको भी फलीभूत करने में लगे हैं. इसके लिए उनका साथ भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर 'रावण' दे रहे हैं.
एसपी का मुख्य फोकस यूपी से सटे मध्य प्रदेश के जिलों पर है. बुंदेलखंड में कुल छह जिले हैं. इन छह जिलों में विधानसभा की कुल 26 सीटें हैं. साल 2018 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी 17, कांग्रेस को 7 और एसपी-बीएसपी को एक-एक सीट मिली थी. छत्तरपुर की बिजावर सीट एमपी की एकलौती सीट थी, जहां से समाजवादी पार्टी को जीत हासिल हुई थी.
2018 में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ी थी एसपी?
SP ने साल 2018 विधानसभा चुनाव में 52 उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से सिर्फ एक ही उम्मीदवार राजेश उर्फ बबलू शुक्ला की बिजावर से जीत हासिल हुई थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार पुष्पेंद्र पाठक को 36714 वोटों के अंतर से हराया था. बिजावर सीट पर एसपी को 67,623 यानी 47% वोट मिले थे. हालांकि, बाद में एसपी विधायक राजेश उर्फ बबलू शुक्ला ने 2021 में बीजेपी की सदस्यता ले ली और यह सीट अब बीजेपी के खाते में पहुंच गई है.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को कुल 496025 वोट मिल थे यानी 1.30% वोट हासिल हुआ था.
MP चुनाव में क्या है एसपी का प्लान?
इस बार एसपी ने यादवों के अलावा दलित और आदिवासियों को भी साधने की कोशिश की है. PDA के फॉर्मूले पर आग बढ़ रहे अखिलेश यादव ने एक आदिवासी के घर जमीन पर बैठक पत्तल में खाना खाया. अखिलेश यादव ने कहा...
"अगर एसपी किसी पार्टी के साथ सत्ता में भागीदार होती है तो आदिवासियों को उनका अधिकार और सम्मान दिलाने की दिशा में काम करेगी. आदिवासियों को घर बनाने में एक लाख रुपए का मदद दिलाने का काम करेगी. साथ ही आबादी में उनकी हिस्सेदारी के अनुसार समाज के विभिन्न वर्गों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए मप्र में जाति जनगणना करवाएगी."
वहीं, दलित वोट बैंक को साधने के लिए अखिलेश भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर 'रावण' को लेकर चल रहे हैं. क्योंकि, बुंदलेखंड रीजन में दलित, आदिवासी वोट बैंक सबसे ज्यादा है, जिसपर एसपी की नजर है. यहां बीएसपी का अच्छा खासा जनाधार है, जिसमें सेंध लगाने के लिए अखिलेश यादव जोर लगा रहे हैं.
आधी आबादी यानी महिलाओं को साधने के लिए अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि इस बार एसपी 20 फीसदी महिलाओं को टिकट देगी. साथ ही ये भी ऐलान किया है कि अगर एसपी किसी पार्टी के साथ सत्ता में भागीदार होती है तो महिलाओं को 6000 रुपए प्रतिमाह दिलवाने का काम करेगी.
तो क्या 'INDIA' गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित?
समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान भी कर दिया है. जानकारों का मानना है कि 'INDIA' गठबंधन में जो पार्टी जहां मजबूत है, वो वहां समझौता करने के लिए तैयार नहीं है. जैसे पंजाब, दिल्ली में AAP, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और केरल में कम्युनिस्ट पार्टी. यही हाल कांग्रेस के साथ भी है. एमपी में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है. ऐसे में विधानसभा चुनाव में 'INDIA' गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं है.
वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित का मानना है कि 'INDIA' गठबंधन की ओर से भले ही ये ऐलान नहीं किया गया हो, लेकिन ये गठबंधन लोकसभा चुनाव के तहत ही तैयार किया जा रहा है. क्योंकि, एमपी में 'INDIA' गठबंधन के साथियों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी भी उनमें से एक है. अगर ऐसा होता है तो एसपी को फायदा हो या ना हो लेकिन, कांग्रेस को नुकसान जरूर होगा. क्योंकि, यूपी से सटे कुछ जिलों में एसपी का वोट बैंक है, जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है.
एमपी चुनाव में कितना सफल होंगे अखिलेश?
इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित का कहना है...
"अखिलेश यादव एमपी चुनाव में उतना प्रभाव नहीं छोड़ेंगे जितना प्रभाव उनका यूपी में है. क्योंकि, जिस यादव वोट बैंक की अखिलेश यादव राजनीति करते हैं, वो एमपी में बंटा हुआ है. हां, ये जरूर है कि छत्तरपुर और टीकमगढ़ जिले में कुछ प्रभाव दिखा सकें, लेकिन वो बीजेपी को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे. जहां, तक भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर 'रावण' की बात रही तो वो बीएसपी के वोट बैंक में कितना सेंध लगा पाएंगे वो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा, लेकिन अखिलेश और चंद्रशेखर की जोड़ी एमपी चुनाव में कुछ खास कमाल नहीं कर पाएगी."
हालांकि, अखिलेश यादव ने ऐलान तो किया है कि इस चुनाव में एसपी अभी तक के चुनावों से ज्यादा सीट लाएगी, लेकिन ये तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि आदिवासी के घर खाना खाना, महिलाओं को 20 फीसदी टिकट देना और PDA को साथ लेकर चलने की बात करने वाले पर अखिलेश यादव पर ये वर्ग कितना भरोसा करता है?
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