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Election Result: TINA ने की चुनाव जीतने में PM मोदी और BJP की मदद

विपक्ष पर भारी पड़ा ये सवाल - मोदी नहीं तो कौन?

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नरेंद्र मोदी का जादू फिर चल गया. वाराणसी ही नहीं, उनके मोह में पूरा देश फिर बंध गया. बीजेपी को पिछली बार से ज्यादा सीटें. एनडीए को पिछली बार से  बड़ी जीत. पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों में बीजेपी और ताकतवर. ये सब काउंटिंग डे की बड़ी हेडलाइन्स हैं. लेकिन पीएम मोदी को इतनी बड़ी जीत मिली कैसे? उनके लिए TINA फैक्टर ने काम किया है.

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क्या है TINA फैक्टर?

TINA - यानी देयर इज  नो अल्टरनेटिव (There is no Alternative). पूरे चुनाव प्रचार के दौरान ये बड़ा मुद्दा रहा. बीजेपी ने इसे बड़ा सवाल बना दिया कि मोदी नहीं तो और कौन? वोटर के मन में ये बात बिठाई गई कि भले ही मोदी  सरकार में कुछ कमियां रही हों लेकिन मोदी के अलावा कोई विकल्प है ही नहीं. विपक्षी पार्टियां ये बात जानती थी कि ये बीजेपी के लिए बड़ा हथियार बन सकता है, लिहाजा मायावती ने बयान भी दिया

‘बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोग यह कहकर कि मोदी के मुकाबले विपक्ष का पीएम पद का उम्मीदवार कौन है, देश की 130 करोड़ जनता का बार-बार अपमान क्यों करते रहते है? ऐसा ही अहंकारी सवाल पहले उठाया गया था कि नेहरू के बाद कौन? लेकिन देश ने इस का तगड़ा व माकूल जवाब तब भी दिया था और आगे भी जरूर देगा’.
मायावती, बीएसपी चीफ

दरअसल ये सवाल उछाल कर बीजेपी प्रतियोगिता खत्म करना चाहती थी. चुनाव परिणाम देखने के बाद ये साबित होता है कि जनता को बीजेपी की ये बात रास आ गई. मोदी वाराणसी से खुद 4.50 लाख की मार्जिन से जीते ही, उनकी पार्टी ने 282 की अपनी आखिरी टैली में भी इजाफा कर लिया.

कैसे बढ़ता गया TINA इम्पैक्ट

ये चुनाव दरअसल मोदी बनाम रेस्ट का था. रेल टिकट से लेकर प्लेन के बोर्डिंग पास तक पर मोदी नजर आए. मेनिफेस्टो के मेन पेज पर कौन थे - नरेंद्र मोदी, थीम सॉन्ग में सबसे ज्यादा कौन - नरेंद्र मोदी.

बीजेपी का चुनावी नारा भी मोदी के नाम पर रहा. एक बार फिर मोदी सरकार. नमो टीवी और निजी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया पर मोदी ही मोदी छाए रहे. मोदी जी के नाम पर नमो ऐप, नमो मर्केंटाइल बनाए गए.

दरअसल बीजेपी का पूरा चुनाव कैंपेन ही मोदी के नाम पर था. कहीं से नारा चला ‘मोदी है तो मुमकिन है’. तो कहीं से आवाज आई’- ‘आएंगे तो मोदी ही’. जब कांग्रेस ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछाला तो पीएम मोदी ने ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान चलाया. इससे हुआ ये कि सारे मुद्दे गुम हो गए. मुद्दा सिर्फ एक बचा- मोदी. उससे  पहले मन की बात, योगा डे जैसे आयोजनों के जरिए भी मोदी मोदी ही छाए रहे. दरअसल पिछले पांच साल में कभी ऐसा हुआ ही नहीं कि मोदी वोटर के माइंड स्पेस से दूर गए हों.

चुनाव प्रचार में भी TINA

बीजेपी के लिए सारे प्रचारक एक तरफ थे तो मोदी एक तरफ. पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के लिए एक लाख किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की. चुनाव प्रचार खत्म होने पर खुद अमित शाह इसके बारे में बताया था.

देश की आजादी के बाद- सबसे ज्यादा परिश्रमी चुनाव अभियान, सबसे ज्यादा विस्तृत चुनाव अभियान, सबसे ज्यादा जनता को संपर्क करने वाला चुनाव अभियान मोदी जी ने किया.
अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष

मार्च से मई तक पीएम मोदी ने देश के हर कोने की यात्रा की. उन्होंने 46 डिग्री के तापमान में एमपी के इटारसी में रैली की तो 18 डिग्री के बीच अरुणाचल प्रदेश में जनसभा की. 142 जनसभाएं की. 4 रोड शो किए. जनसभाओं में 1.50 करोड़ लोगों से संपर्क किया. 10 हजार से ज्यादा वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क किया. रैलियों के दौरान योजनाओं के 7000 से ज्यादा लाभार्थियों से मुलाकात की. कई बार एक-एक दिन में 5 से ज्यादा जनसभाएं की. 3 दिन ऐसे थे जब एक ही दिन में 4 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की. जाहिर है जब मोदी ही सबसे बड़ा मुद्दा थे, तो उनके सीधे इतने लोगों तक पहुंचने का फायदा भी पार्टी को हुआ.

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विपक्ष ने नहीं दिया TINA का जवाब

जब पब्लिक से लेकर बीजेपी तक ने ये सवाल उछाला कि मोदी नहीं तो कौन तो विपक्ष ने इसका जवाब नहीं दिया. कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए न तो राहुल गांधी का नाम दिया गया और न ही किसी और का. खुद राहुल गांधी ने कभी सामने आकर नहीं कहा कि हां वो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.

गैर बीजेपी के दलों के किसी गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री के तौर पर कोई चेहरा पेश नहीं किया गया. माया से लेकर ममता और पवार से लेकर प्रणव तक का नाम उछला लेकिन, ये बात चुनाव बाद के समीकरणों पर छोड़ दी गई. इससे वोटर भी ऊहापोह की स्थिति में रहा कि आखिर मोदी नहीं तो कौन? ये संदेश भी गया कि विपक्ष के पास मोदी के खिलाफ कोई चेहरा है ही नहीं. कुलाकर मैसेज यही गया...There is no alternative..

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