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रोज का डोज : क्या EVM के जरिए वोटर के साथ धोखा हो रहा है?

EVM : क्या कोई हमारे वोट के अधिकार में लगा रहा है सेंध?

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चुनाव
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इस देश में गरीब-अनपढ़-किसान-मजदूर के पास सिर्फ एक मुकम्मल अधिकार है. वोट का अधिकार. वैसे तो देश के हर नागरिक को वोट देने का हक है लेकिन सच मानिए तो शोषित वंचित वर्ग के लोगों के पास यही एक हथियार है जिससे वो अपना हक मांग सकें. लेकिन क्या इस अधिकार का भी हनन हो रहा है? किसी की टेढ़ी नजर इस पर लगी है? क्या हम जिसे वोट दे रहे हैं उसी को वोट पहुंच रहा है या बीच में कोई सेंधमारी कर रहा है. विपक्ष बार-बार ऐसे ही आरोप लगा रहा है. अब सवाल है कि किया क्या जा सकता है?

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चुनाव के तीन चरण निकल गए लेकिन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू लगातार एक ही बात कह रहे हैं कि EVM में गड़बड़ी है. मंगलवार को मुंबई में उनके साथ विपक्षी नेताओं ने बैठकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. शरद पवार थे, सुशील कुमार शिंदे थे, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह थे. यहां चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि EVM को हैक भी किया जा सकता है.

ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है और उनमें गड़बड़ी भी पैदा होती है. इसके अलावा इनकी प्रोग्रामिंग भी की जा सकती है.
चंद्रबाबू नायडू, सीएम, आंध्र प्रदेश

नायडू ने मांग की कि 50% VVPAT स्लीप की गिनती की जानी चाहिए. नायडू के मुताबिक 23 पार्टियों ने इसपर याचिका दी है.आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह ने चुनाव आयोग पर धृतराष्ट्र की तरह आचरण करने का आरोप लगाते हुए कहा -’आप ईवीएम का कोई भी बटन दबाइए, वोट बीजेपी को जाता है. EVM को लेकर मचे हंगामे पर आम तौर से यही प्रतिक्रिया आ रही है कि जिन दलों को चुनाव हारने का डर है, वही ऐसे सवाल उठा रहे हैं. हो सकता है. लेकिन इस बीच वोटर का क्या? जरा सोचिए अगर वोटर का भरोसा लोकतंत्र के सबसे जरूरी यंत्र पर से ही उठ जाए तो क्या होगा? जरूरी है कि इस कन्फ्यूजन को चुनाव आयोग दूर करे. दूध का दूध और पानी का पानी करे ताकि हमारे चुनावों पर किसी को कोई शक न रह जाए. खासकर वोटर का भरोसा कायम रहे.

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फिर बोलीं प्रज्ञा ठाकुर

बीजेपी के टिकट पर भोपाल से उम्मीदवारी की चुनौती देने वाली याचिका पर प्रज्ञा ठाकुर ने जवाब दिया है. जवाब क्या दिया है, प्रज्ञा ने इस याचिका को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. 2008 के मालेगांव ब्लास्ट में अपने बेटे को खोने वाले निसार सईद ने मुंबई स्थित विशेष NIA अदालत में प्रज्ञा के खिलाफ याचिका दाखिल की थी.

यह राजनीति से प्रेरित है। यह केवल पब्लिसिटी स्टंट के लिए किया गया काम है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट का समय बर्बाद किया है। उस पर जुर्माना लगाकर याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
प्रज्ञा ठाकुर, भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार
EVM : क्या कोई हमारे वोट के अधिकार में लगा रहा है सेंध?

प्रज्ञा का जवाब दिल दुखाने वाला है. एक परिवार जिसने बम ब्लास्ट में अपना बेटा खोया है, उस पर ऐसी तोहमत गैरजरूरी है. क्या प्रज्ञा के पास अपने दावे के सपोर्ट में कोई सबूत है? याचिका में सवाल उठाया गया था कि प्रज्ञा को जमानत मिली थी हेल्थ के ग्राउंड पर तो चुनाव कैसे लड़ रही हैं. तो होना ये चाहिए था कि इस सवाल का जवाब देतीं, न कि सवाल उठाने वाले को ही सवालों के घेरे में खड़ा करतीं. प्रज्ञा की बेतुकी बयानबाजियों से चुनावी माहौल पहले से ही कड़वा हो रहा है. अब इसका विस्तार कोर्ट तक हो गया है.

नोटिस से सुनेंगी प्रज्ञा?

हकीकत ये है कि जब से प्रज्ञा को बीजेपी ने टिकट दिया है, वो लगातार आचार संहिता का उल्लंघन कर रही हैं, दायरे तोड़ रही हैं. पहले उन्होंने मुंबई हमलों के शहीद हेमंत करकरे को श्राप दे दिया, फिर बताया कि बाबरी मस्जिद तोड़ने में वो शामिल थीं. मंगलवार को तो उन्होंने हद कर दी. भोपाल में रोड शो निकाला तो एक बैनर लेकर चलीं जिसपर लिखा था - मैं हिंदू भगवाधारी हूं'. अब आदर्श आचार संहिता का इससे खुलेआम उल्लंघन क्या हो सकता है? बाबरी मस्जिद को लेकर बयान पर चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस दिया है लेकिन अब शायद नोटिसों से काम नहीं चलने वाला.

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क्यों नरम पड़े उदित राज?

बीजेपी के एक सांसद हैं. उदित राज. नॉर्थ दिल्ली से फिर टिकट मांग रहे थे.कह रहे थे कि टिकट नहीं दिया तो पार्टी छोड़ दूंगा, अपने बूते लड़ूंगा. सोमवार से ही उदित राज गरम तेवर में थे. धड़ाधड़ धमकियों के ट्वीट कर रहे थे. रात में समर्थकों के साथ जाकर पार्टी दफ्तर पर प्रदर्शन भी किया. सुबह तक भी पार्टी को घुड़कियां देते रहे कि दस बजे तक इंतजार करूंगा, टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय के रूप में नामांकन भरूंगा. लेकिन पार्टी ने एक न सुनी. वहां से सिंगर हंस राज हंस को टिकट दे दिया.

अपने ट्विटर हैंडल पर उदित राज ने अपने नाम के आगे से चौकीदार शब्द तक हटा लिया. डॉ. उदित राज बन गए. लेकिन थोड़ी देर बाद ही फिर से चौकीदार डॉ. उदित बन गए. 
EVM : क्या कोई हमारे वोट के अधिकार में लगा रहा है सेंध?
बीजेपी के दलित सांसद डॉ. उदित राज.
(फोटो: क्विंट/ कनिष्क दांगी)

ट्विटर पर एक बार फिर उदित राज के डॉक्टर से चौकीदार बनने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी उन्हें मनाने में कामयाब हो गई. हालांकि ये भी हो सकता है कि दाल न गलती देख उदित राज खुद नरम पड़ गए हों. देखा जाए तो उनके पास कोई चारा भी नहीं है. उदित राज ने अपनी इंडियन जस्टिस पार्टी का विलय उस बीजेपी के साथ किया था, जिसे आमतौर पर दलित समर्थन नहीं करते. अब जब बीजेपी ने भी उदित राज को किनारे कर दिया तो एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्हें दलित कितना समर्थन देंगे, ये अपने आप में एक सवाल है. शायद यही सवाल उदित राज के सामने मुंह बाएं खड़ा था जो वो पीछे हट गए?

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दिल्ली में 'पेज थ्री पार्टी'

दिल्ली से अलग-अलग दलों ने कई पेज थ्री चेहरों को उम्मीदवार बनाया है. एक तरफ बीजेपी ने सिंगर और एक्टर मनोज तिवारी और हंस राज हंस को टिकट दिया है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने चैंपियन बॉक्सर विजेंदर सिंह को टिकट दिया है. बीजेपी ने एक और स्टार क्रिकेटर गौतम गंभीर को पूर्वी दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया है.

EVM : क्या कोई हमारे वोट के अधिकार में लगा रहा है सेंध?
नामांकन भरने जाते समय गौतम गंभीर का रोड शो
(फोटो:पीटीआई)

इन तमाम लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में खासी कामयाबी हासिल की है और बतौर नागरिक उन्हें चुनाव लड़ने का भी हक है. लेकिन इनकी उम्मीदवारी इन पार्टियों के बारे में एक सवाल भी उठाती है. क्या दिल्ली जैसे छोटे राज्य जहां सिर्फ सात सीटें हैं वहां इन्हें सियासी बैकग्राउंड वाले जीताऊ उम्मीदवार भी नहीं मिल रहे? दूसरा सवाल ये भी है कि क्या स्टारडम की बदौलत चुनाव जीत कर आने वाले उम्मीदवार जनता के लिए जमकर काम करेंगे? रिकॉर्ड तो अच्छा नहीं है.

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