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रिव्यू: शानदार, जबरदस्त, सुपरहिट है सोनम की नीरजा

वाकई देखने लायक फिल्म है नीरजा.

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नीरजा का ट्रेलर ही इतना गजब का था कि हम उत्सुकता में अपने नाखून चबाने के लिए मजबूर हो गए. और, मैं आपको बता दूं, क्लाइमेक्स के बारे में सोचकर नर्वस होने वाली फीलिंग नहीं आई थी.

ये तय माना जा रहा था कि बहादुर नीरजा भनोट जिसने पैन एम फ्लाइट 73 के यात्रियों की आतंकियों से जान बचाने की कोशिश में अपनी जान दे दी उसकी कहानी फिल्म में भी उतनी ही दमदार होगी.

और, वो सोनम कपूर थीं जिन्होंने हमारी नींद उड़ा दी. क्या, वो इस फिल्म के साथ न्याय कर पाएगी, क्या वो नीरजा के किरदार को पर्दे पर जी पाएगी, या फिर हर दूसरी फिल्म की तरह ही निराश करेगी. ये फिल्म, दिमाग में यही सवाल घूमते रहते थे.

वाकई देखने लायक फिल्म है नीरजा.
पर्दे पर नीरजा के किरदार में सोनम ने जान फूूंक दी है. (फोटो: Neerja’s trailer)

नीरजा के किरदार में परफेक्ट हैं सोनम

अब हम यहां सच में हैरान रह गए. डायरेक्टर राम माधवाणी का विज्ञापन के दिनों वालों अनुभव काम आ गया. और, सोनम की अदाकारी को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है.

नीरजा के किरदार में सोनम बिल्कुल फिट बैठी हैं. आखों में वही चमक, जिंदादिल 23 साल की लड़की जो एक मुश्किल हालात में फंस जाती है और मानवता की मिसाल बन जाती है.

वाकई देखने लायक फिल्म है नीरजा.
सोनम की अदाकारी आपका दिल छू लेगी. (फोटो: Neerja’s trailer)

आमतौर पर सोनम की आलोचना करना काफी आसान है और सच मानिए तो उनकी राजकुमारी जैसी आवाज पचा पाना मुश्किल है. लेकिन, बतौर नीरजा वो स्क्रीन पर जादी कर देती हैं. उनके कैरेक्टर में ग्रोथ दिखती है, जिस तरह से वो अपनी खामियों से लड़ती हैं, जिस तरीके से वो डर का सामना करती हैं, सच में लाजवाब है.

फिल्म आगे बढ़ती है और आहिस्ते - आहिस्ते दूसरे कलाकारों का शानदार अभिनय आपके जेहन में घुलने लगता है. चाहे वो हाइजैकर्स हों जिनका घूरना सिहरन पैदा कर देता है या फिर नीरजा के माता- पिता के किरदार में शबाना आजमी और योगेंद्र टिकू.

122 मिनट की दिलचस्प फिल्म

वाकई देखने लायक फिल्म है नीरजा.
शेखर राजीवानी का फिल्म में छोटा रोल है.(फोटो: Neerja’s trailer)

साइलेंस का इस्तेमाल बखूबी किया गया है. फिल्म में जिस तरह से शांत पल दिखाए गए हैं. जिस तरह से उनकी आवाज लड़खड़ाने लगती है जब हाइजैकिंग की खबर ब्रेक होती है, और फिर उम्मीद की डोर के सहारे जिस तरह से फिल्म आगे बढ़ती है- ये सब शानदार है, 122 मिनट अद्भुत है.

शेखर रवजियानी छोटे से रोल में हैं, वो नीरजा के बॉयफ्रेंड के किरदार में हैं. राम माधवानी बखूबी इस मेलोड्रामा को दर्शकों तक पहुंचाते हैं, जो नीरजा की सबसे बड़ी ताकत है.

80 के दशक की खूबसूरती को बारीकी से उतारना, सोनम से अच्छी एक्टिंग करवाना, इससे अच्छी वजहें क्या हो सकती हैं इस फिल्म को देखने के लिए. अपने दोस्तों, परिवार या गर्लफ्रेंड के साथ ये फिल्म देखने जरुर जाइए, हां साथ में टिश्यू या फिर रुमाल ले जाना मत भूलिएगा.

मैं इस फिल्म को 5 में से 5 क्विंट देती हूं. शानदार है नीरजा!

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