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दिल्ली यूनिवर्सिटी की लड़कियां हाफ गर्लफ्रेंड क्यों बनना चाहती हैं

क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?

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  • क्योंकि फीलिंग गर्लफ्रेंड वाली आनी चाहिए और रिश्ता सिर्फ दोस्ती का होना चाहिए?
  • क्योंकि एक बॉयफ्रेंड चाहिए लेकिन साथ में कमिटमेंट का टैग नहीं?
  • क्योंकि पता नहीं होता, लड़का परफेक्ट है या नहीं?
  • क्योंकि हाफ गर्लफ्रेंड के रिश्ते में कुछ तो बाकी रह जाता है...?
  • क्योंकि लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते वाले फंडे का काट निकालना है?
कभी ऐसा तो सुना ही होगा आपने, कि ‘’मैं तुम्हें पसंद करती हूं लेकिन एक दोस्त की तरह, बॉयफ्रेंड नहीं बना सकती’’
क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?
(फोटो: Giphy)

और यहीं जन्म होता है हाफ गर्लफ्रेंड का, जिसे एक कंधा चाहिए होता है लेकिन उस कंधे पर कमिटमेंट का बोझ नहीं. और एंट्री होती है बिहारी बॉयफ्रेंड की, जो हाफ के फंडे से परेशान होता है लेकिन उसका दिल है कि मानता नहीं, हाफ गर्लफ्रेंड के साथ गुजारा तो करता है लेकिन एक दिन फुल गर्लफ्रेंड की ख्वाहिश में चौड़ा हुए जाता है. आप लोग सोच रहे होंगे की हम हाफ गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड का जिक्र क्यों कर रहे हैं तो जरा ये ट्रेलर देखिए सब खुद-ब-खुद समझ में आ जाएगा.

कई हैं, जरा नजर घुमाइए, दिल्ली यूनिवर्सिटी होनहार के साथ- साथ फकैत बिहारियों से पटा पड़ा है. रफ एंड टफ, आशिकी के लिए परफेक्ट फीचर्स- थोड़ी आवारगी, थोड़ा सीरियसपना, पढ़ाई में तेज, खेल में आगे, नेतई भी और दोस्तों का गैंग भी. नहीं होता तो बस भूतकाल और भविष्यकाल: मतलब आते तो बिहार के किसी छोटे शहर से (तो दिल्ली के रईसों जैसे हाव-भाव नहीं होते) लेकिन सपना IAS IPS का होता है (यहां अनिश्चित्ता लंबी तैयारी पीरियड के वजह से आती है).

और फिर फुल गर्लफ्रेंड बनते बनते इनकी हाफ गर्लफ्रेंड बन जाती है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर एक बिहारी लड़के से हाफ इश्क क्यों? हाफ गर्लफ्रेंड क्यों?

1. इंटेलिजेंट

क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?
(फोटो: Giphy)

बिहार से होते हैं तो इंटेलिजेंट भी होते हैं. फैमिली में कोई न कोई IAS होता ही है. खुद पढ़ें ना पढ़ें लेकिन पढ़ाई में आपकी मदद जरूर करता है. बस दोस्ती करने की वजह मिल जाती है, प्यार से नोट्स मांगिए तो सही, पेपर से पहले आपको हंसते हंसते अपने नोट्स दे देगा. पढ़ाई में कमजोर है तो किसी इंटेलिजेंट दोस्त के नोट्स जुगाड़ कर दे देगा. बस गर्लफ्रेंड वाला अपनापन चाहिए तो वो हाफ गर्लफ्रेंड का फंडा पूरा कर देता है.

2. सैर-सपाटा किसी भी वक्त

क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?
(फोटो: Twitter)

कॉलेज की लाइफ में जेब तंग होती है, घूमने- फिरने के लिए ट्रेन, बस, मेट्रो के धक्के कौन खाएगा, तब महसूस होती है एक बाइक वाले दोस्त की जरूरत, एक कंधे की जो सरोजिनी की शॉपिंग में साथ रहे, साकेत की मूवी का टिकट भी खरीद दे. रात को दो बजे आइसक्रीम खाना है तो बाइक चमकाते हुए, चेहरे पर मुस्कुराहट लिए हाजिर हो जाए. दोस्ती में इतना जुनून कहां, तो फिर हाफ गर्लफ्रेंड वाला फॉर्मूला काम आता है.

3.इमोशनल सपोर्ट

क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?
(फोटो: Twitter)

जिंदगी में अप और डाउन तो आते ही रहते हैं. अब ऐसे में याद आती है हाफ बॉयफ्रेंड की. आप बस दुखी होकर फोन करते हैं और वो आपको राय भी देगा और सपोर्ट भी. जिसने दिल दुखाया उससे भिड़ने को भी तैयार हो जाएगा.

4.फ्रेंड गैंग

क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?
(फोटो: Giphy)

आप चाहे दोस्त हों लेकिन लड़के के दोस्त आपको इज्जत भाभी वाली ही देंगे. पिज्जा का बेस्ट पीस मिलेगा, चिकन की लेग पीस ही मिलेगी- अब भाभी का दर्जा जो मिल चुका है. आपकी पसंद सर आंखों पर, भले ही आप खुद को उसकी हाफ गर्लफ्रेंड ही समझती हों.

5.जुगाड़ू

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(फोटो: Giphy)

कॉलेज अटेंडेंस की प्रॉब्लम है, ट्रेन टिकट कंफर्म नहीं हुआ, बैंक जाना है तो चेतन भगत की हाफ गर्लफ्रेंड से ज्यादा फायदे में कोई नहीं रहेगा.

6.फ्री गिफ्टस

क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?
(फोटो: Giphy)

आपके जन्मदिन से लेकर आपके वेलैंटाइन डे तक. आपके लिए हर ओकेजन पर एक गिफ्ट आपके लिए जरुर होगा. ये भले ही ऑटो वाले से एक रुपये के पीछे झगड़ा करे लेकिन आपके लिए कोइ कंजूसी नहीं करता.

7.कमजोर अंग्रेजी

क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?
(फोटो: Giphy)

हाफ गर्लफ्रेंड का मतलब समझने में उसे टाइम लगेगा, पर पूरा वाक्या बड़ा दिलचस्प होगा, ठीक वैसे ही जैसे कि चेतन की फिल्म के ट्रेलर में है. अंग्रेजी टाइट होती है न बिहार के होनहारों की. लेकिन गौर फरमाइगा, अंग्रेजी बोलने में फंसते जरूर हैं लेकिन जब बोलते हैं तो स्टाइल हिट होता है.

8.न दिल जलता है न धुआं उठता है

क्यों चाहिए हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ बॉय फ्रेंड?
(फोटो: Giphy)

उनकी डैडीकेशन इतनी होती है की अगर एक बार आपके साथ अटैच हो गए तो भले ही कुछ भी क्यों ना हो जाए ये आपके अलावा किसी भी और लड़की की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखते.

(डिस्‍क्‍लेमर: ये तो रही चेतन भगत के उपन्‍यास पर बनी फिल्‍म 'हाफ गर्लफ्रेंड' की बात. ये पूरी तरह फिल्‍मी है, इसे बस फिल्‍म की तरह ही देखा जाना चाहिए. असल में न तो दिल्‍ली की लड़कियां ऐसी होती हैं, न ही बिहार के लड़के ऐसे होते हैं. )

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