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सुहाना को ट्रोल क्यों किया? अब रफी और साहिर लुधियानवी के भजन सुनो

मोहम्मद रफी मुसलमान थे, लेकिन उनके गाए भजन आज भी मंदिरों में बजते हैं- जानते हैं क्यों?

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सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स को चैन नहीं हैं. उन्हें हर दिन एक नया शिकार चाहिए होता है.

कर्नाटक के शिमोगा जिले की एक लड़की को सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया गया. उसे गालियां सुननी पड़ी..क्यों..सिर्फ इसलिए की उसने मुस्लिम होकर भजन, हिंदू देवी-देवताओं के लिए भक्ति गीत गा दिए.

गंगा-जमुनी तहजीब को लेकर बड़े-बड़े भाषण जब मंचों से दिए जाते हैं तो अपने देश के कल्चर को लेकर सीना चौड़ा करना नहीं भूलते. लेकिन हाल के दिनों की कुछेक घटनाओं पर नजर डालें तो जाति-धर्म, मजहब के नाम पर फूट डालने वालों का मनोबल बढ़ता हुआ मालूम पड़ता है. ये दरार छोटी-छोटी सी बातों पर चौड़ी हो कर प्रेम, भाईचारे, एकता को निगलने लगती हैं.

जी कन्नड़ चैनल के एक सिंगिंग रियलिटी शो में कंटेस्टेंट 22 साल की सुहाना सईद ने बुर्का पहने जब भक्ति गीत की परफाॅर्मेंस दी तो उसके टैलेंट के लिए जजों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया.

लेकिन ये बात धर्म के तथाकथित ठेकेदारों को नहीं सुहाई. फिर क्या था ..सोशल मीडिया को अपनी गंदी सोच का सस्ता हथियार बनाने वाले उन ठेकेदारों ने मंगलोर मुस्लिम ग्रुप नाम के पेज के जरिए फेसबुक पर सुहाना को ट्रोल करना शुरु कर दिया.

वो एक रियलिटी शो था, सुहाना एक कलाकार थी और उसे अपना हुनर दिखाना था. इसमें जात-पात और धर्म का पेंच कहां फंसता है?

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इस ग्रुप ने सुहाना को कहा कि सुहाना, तुमने मुस्लिम समुदाय को कलंकित किया है. बुर्का पहनना छोड़ दो क्योंकि तुम इसके लायक नहीं हो.

इन्हें मालूम होना चाहिए की इन्हें मजहबी दरार को नहीं बल्कि अपने सोच, पॉजिटिव नजरिए को बढ़ाने की जरुरत है. ये सुहाना जैसी लड़कियों को बर्दाश्त नहीं कर पाते, जलते हैं.

इसलिए हम लेकर आए हैं एक स्पेशल ज्यूकबाॅक्स

जो इन ट्रोलर्स के जले पर नमक छिड़कने के लिए जरुरी है साथ ही इनकी दिमाग की गंदगी निकालने के लिए भी. ताकि उनके समझ में आए कि इस देश को सुहाना जैसे टैलेंट की जरूरत ज्यादा है और आप जैसे ट्रोलर्स की बिल्कुल नहीं.

हमारे बाॅलीवुड के गीत-संगीत ने कई बेहतरीन मिसालें पेश की हैं. कई ऐसे भजन और गीत हैं जो मुस्लिम कलाकारों ने हमारे सामने रखे हैं. मंदिरों में वो पूजा के समय बजाए जाते हैं.

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मो. रफी ने कई फिल्मी भक्ति गीतों को अपनी आवाज दी है.

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मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी का मजहब तो अलग था लेकिन उनके रचे भक्ति गीत अमर हो गए.

फिल्म-काजल (1965)

फिल्म-हम दोनों (1961)

फिल्म-नया रास्ता (1970)

वैसे इन गानों को सुनकर ट्रोलर्स का मन खीझ उठेगा . बहुत जोर से जलेगी उनकी. मन में आ आएगा कि मो. रफी और साहिर लुधियानवी तो उनके जहरीले ट्रोल और सोच के काबिल थे.

खैर, उन्हें पेशेंस रखना चाहिए. जाते-जाते एक और गाना उनके लिए. सप्रेम. इस गाने की खासियत जानना बेहद जरुरी है क्योंकि इसे तो पूरी की पूरी मुस्लिम टीम ने ही तैयार की है.

सिंगर हैं मो. रफी और आमिर खान. लिरिक्स-शकील बदायूंनी, कंपोजर और म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद अली.

ट्रोलर्स जली ? जोर से जली...

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