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क्रिटिक्स रिव्यू:‘ब्लैकमेल’ में सितारे की तरह चमकते हैं इरफान  

फिल्म ब्लैकमेल पर जाने क्या कहते है एंटरटेनमेंट के एक्सपर्ट 

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फिल्म: ब्लैकमेल

कास्ट- इरफान खान, कीर्ति कुल्हारी, अरुणोदय सिंह, दिव्या दत्ता, प्रद्युम्न सिंह,अनुजा साठे गोखले,ओमी वैद्य

डायरेक्टर:अभिनय देव

फिल्म ब्लैकमेल पर एक्सपर्ट की राय

कोई भी दूध का धुला नहीं होता...इरफान की फिल्म ब्लैकमेल इसी पटरी पर चलती हुई दिखाई देती है. चेहरे के रगों के साथ किरदारों को कैसे सजाएं ये शायद इरफान से बेहतर और कोई नहीं जानता. इरफान ने अपने किरदार में जान डाल दी है. फिल्म में गोखले ने एक संस्कारी और 'अच्छी लड़की' के किरदार से निकलकर अपना असली चेहरा दिखाया.

कुछ चौंकाने वाली चीजें जरूर सामने आती हैं. खासतौर पर गोखले और इरफान के सीन, जहां वो अपनी अच्छी लड़की की इमेज से निकलकर शातिराना अंदाज दिखाती हैं, तो वहीं इरफान कुछ कदम पीछे हटकर नई रणनीति बनाने में जुट जाते हैं. इंटरवल के बाद की फिल्म यूं तो जल्दी खत्म हो जाती है, लेकिन फिर भी उबाऊ है. लेकिन जो फिल्म से आखिरी तक बांधे रखता है वो हैं इरफान. एक साधारण इंसान जो अपनी बेहतरीन अदाकारी से और सरलता से बुरे काम को अंजाम देता है. ये कहना गलत नहीं होगा कि इरफान हर किरदार में बेहतरीन तरीके से फिट हो जाते हैं और उसमें जान फूंक देते हैं.

शुभ्रा गुप्ता, द इंडियन एक्सप्रेस

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अगर फिल्म बैल्कमेल की बात की जाए तो वास्तव में वो फिल्म नहीं लगती.जहां एक तरफ फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत ढीली है, वहीं दूसरी तरफ फिल्म की लाइटिंग बहुत खराब है. फिल्म में ड्रामा इतना है कि लगता है कि जबरदस्ती सीन को डाला गया है.

जैसे कि फिल्म मेकर हमें दुखी एक्टर अपनी छोटी आंखों के जरिए दुनिया दिखाने की कोशिश कर रहा हो. लेकिन वो स्क्रीन पर वो ऐसा करने में कामयाब नहीं हो पाता. असल में वो कुछ भी दिखाने में सफल रहे हैं..फिल्म का एंड, हीरो इरफान खान और फिल्म में उनकी परफॉर्मेंस ठीक नहीं है.

राजा सेन, एनडीटीवी

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फिल्म को घुमावदार और पेंचीदा बनाने की तमाम कोशिश के बावजूद 139 मिनट की ये फिल्म आखिर में दोहरी और निरर्थक लगने लगती है. हालांकि फिल्म में कॉमेडी डायलॉग्स जबरदस्ती भरे हुए नहीं लगते, लेकिन इसे और ज्यादा असरदार बनाया जा सकता था. जिसके लिए इसकी लंबाई थोड़ी कम की जा सकती है. ब्लैकमेल एक अच्छी तरह से बनी हुई फिल्म लगती है ,जो अपने आप में पूरी कहानी कहती है, इस तरह की फिल्मों में ये बात होना मुश्किल है, लेकिन कुछ ऐसी चीजें फिल्म से कम की जा सकती थी, जिनकी जरूरत नहीं थी.

नंदीनी रामनाथ , Scroll.in

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