कश्मीर के इतिहास ने कई कहानियों को जन्म दिया है. इसके बहुत से उदाहरण बॉलीवुड की फिल्मों में भी मिल जाएंगे. ऐसी कई फिल्में हैं, जो बदलते वक्त के साथ कश्मीर से जुड़ी अलग-अलग कहानियां बयां करती है. किसी फिल्म ने कश्मीर की खूबसूरती को पर्दे पर दिखाया, तो किसी ने उस जन्नत में रहने वाले लोगों के दर्द को.
देखिए वो 8 फिल्में, जो उस हिंसा और आतंक को करीब से दिखाती हैं, जो कश्मीर जैसी खूबसूरत जगह को झेलनी पड़ी हैं.
1. रोजा(1992)
मणि रत्नम की फिल्म ‘रोजा’ एक सीधी-सादी लड़की रोजा (मधु) की कहानी है, जिसकी शादी ऋषि (अरविंद स्वामि) से होती है. फिल्म में रोजा के संघर्ष को दिखाया है. कश्मीर में ट्रांस्फर होने के बाद ऋषि को उग्रवादी किडनैप कर लेते हैं और रोजा सरकार से मदद की गुहार लगाती है ताकि उसके पति को छुड़ाया जा सके, वहीं दूसरी ओर ऋषि भी उग्रवादी से अपनी की रिहाई के लिए बात करता रहता है. इन उग्रवादियों का मकसद कश्मीर को भारत से आजाद करवाना होता है.
2. मिशन कश्मीर(2000)
ये कहानी अल्ताफ (ऋतिक रोशन) की है जिसे बचपन में ही काफी कुछ झेलना पड़ जाता है. पुलिसवाले अल्ताफ के पिता को मार देते हैं. बाद में इंस्पेक्टर इनायत खान (संजय दत्त) और उसकी पत्नी उसे गोद लेते हैं. कहानी में बड़ा मोड़ तब आता है जह अल्ताफ को पता चलता है कि इनायत खान ने ही उसके पिता को मारा है और अब अल्ताफ बदला लेने के लिए तैयार हो जाता है. अल्ताफ वापस वहां जाता है जहां सब बर्बाद हुआ था. विधु विनोद चोपड़ा की ये फिल्म बदले और धोखे की भावना के इर्द-गिर्द घूमती है और दिखाती है कि कैसे कश्मीर का माहौल दोनों (अल्ताफ और इनायत खान) की जिंदगियों पर असर करता है.
3. यहां(2005)
शूजीत सरकार की डायरेक्टोरियल डेब्यू ने बॉक्स ऑफिस पर कुछा खास कमाल तो नहीं किया, लेकिन दर्शकों पर इसका असर जरूर हुआ था. ये फिल्म अदा (मिनिषा लांबा) और अमन (जिमी शेरगिल) के प्यार की कहानी है, लेकिन इनकी लव स्टोरी में एक ब्रेक है. अमन आर्मी ऑफिसर है और अदा का भाई शकील आतंकियों के साथ मिलकर कश्मीर को आजाद करवाना चाहता है. इनका प्यार ज्यादा दिनों तक छुप नहीं पाता और इंडियन आर्मी भी जल्द ही अमन कि तरफ पीठ फेर लेती है, लेकिन इतनी परेशानियों के बीच भी कैसे इनके प्यार की जीत होती है, यही फिल्म में दिखाया गया है.
4. तहान(2008)
संतोष सिवान कि ये फिल्म एक मासूम बच्चे की कहानी है जो अपने गधे बीरबल के ढूंढ रहा है. वो खुद को तब मुश्किल में पाता है जब एक बार उसे ग्रेनेड की डिलीवरी करने के लिए कहा जाता है. जब तहान अपने गधे को वापस पाने की कोशिशें करता है ,इस दौरान उसकी मासूमियत ही उसकी कमजोरी और ताकत बनते हैं. कड़ाके की सर्दी और बर्फ के बीच फिल्माई गई इस फिल्म का क्लाइमैक्स आतंकवाद के घिनौने चेहरे और लोगों के मासूमियत को दिखाता है जो कि काफी असरदार है.
5. सिकंदर(2009)
पीयूष झा की सिकंदर एक ऐसे टीनेजर की मानसिकता की खोज पर बनी है जो एक कॉन्फ्लिक्ट जोन में पला-बढ़ा है. 14 साल का सिकंदर तब आतंक की दुनिया में घुसता है जब एक दिन उसे स्कूल से वापस लौटते हुए एक बंदूक मिलती है. सिकंदर आतंकियों के साथ काम करने लगता है. एक वक्त ऐसा आता है जब वो मजबूर और लाचार हो जाता है और इस दौरान कई जिंदगियां खत्म हो जाती है. इस फिल्म में संजय सुरी, आर माधवन और आएशा कपूर हैं
6. हारुद (2010)
अपने भाई की मौत से दुखी रफीक कश्मीर छोड़कर पाकिस्तान जाने की कोशिश करता हैं. नाकाम होने के बाद वापस आता है और उसके हाथ लगता है उसके भाई का कैमरा. इसके बाद दिखाया गया है कि कैसे रफीक खुद को पाने की तलाश के सफर पर निकलता है. आमिर बशीर की हारुद, कश्मीर घाटी में पनपे आतंकवाद से कैसे जिंदगियों के छोटे-बड़े पहलुओं पर असर करती है, इसी की कहानी है. श्रीनगर में बनी इस फिल्म में शाहनवाज भट्ट और रेजा नाजी हैं.
7. हैदर(2014)
शेक्सपियर की हैमलेट से इंस्पायर्ड विशाल भारद्वाज की ‘हैदर’ AFSPA और मिलिटेंसी के इर्द-गीर्द घूमती है. ये कहानी है हैदर नाम के एक लड़के की है, जो बचपन के ट्रॉमा से जूझ रहा है और बदले की आग में जल रहा है. पढ़ाई के दौरान जब वो वापस घर आता है तो अपने पिता की मौत, और चाचा संग मां के संबंधों को लेकर उसे धक्का लगता है. घर वापस आने के बाद वो अपने पिता की तलाश में लग जाता है और फिर शुरू होता है हैदर का सफर... जिसमें कश्मीर की राजनीति, परेशानियों वाली जिंदगी, AFSPA, प्यार, आतंकवाद को दिखाया गया है.
8. हामिद(2018)
पत्थरबाजी और गोलीबारियों की सच्चाई दिखाती फिल्म ‘हामिद’ उम्मीद की कहानी है. आज के कश्मीर पर आधारित ये फिल्म हामिद नाम के बच्चे की कहानी है, जो ये मानने लगता है कि 786 भगवान का नंबर है. फिर शुरू होती है भगवान को ढूंढने का सफर इस दौरान हामिद की दोस्ती होती है एक सीआरपीएफ जवान से जिसका नाम है अभय. अभय और हामिद एक-दूसरे संग अपनी जिंदगी के अहम पल शेयर करते हैं और फिर दोनों की जिंदगियों में एक-दूसरे का होना मायने रखने लगता है. इस फिल्म में रसिका दुग्गल, विकास कुमार और तलहा अरशद रेशी है.
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