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इंजीनियरिंग,बैकग्राउंड डांसर से बॉलीवुड तक,हर जगह अव्वल थे सुशांत

छिछोरे फिल्म का कॉन्सेप्ट ही था कि आखिर कैसे हार-जीत से अलग जिंदगी को जिंदादिल बनाए रखना है.

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भारत
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“हम सब गलत कर रहे हैं भाई, सक्सेस के बाद का प्लान सबके पास है लेकिन गलती से फेल हो गए तो उसके बाद क्या, इसकी कोई बात ही नहीं करता.”

‘छिछोरे’ फिल्म का ये डायलॉग इस दौर की असलियत के काफी करीब है. सुशांत सिंह राजपूत ने 34 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. सुसाइड के कारणों का पता नहीं चल सका है. लेकिन बताया जा रहा है कि उन्हें डिप्रेशन था. हैरान करने वाली बात ये है कि छिछोरे फिल्म का कॉन्सेप्ट ही था कि आखिर कैसे हार-जीत से अलग जिंदगी को जिंदादिल बनाए रखना है.

छिछोरे फिल्म का कॉन्सेप्ट ही था कि आखिर कैसे हार-जीत से अलग जिंदगी को जिंदादिल बनाए रखना है.
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इंजीनियरिंग कॉलेज, टीवी सीरियल, बैकग्राउंड डांसर के रास्ते होकर बॉलीवुड में एक मुकाम हासिल करने वाले सुशांत सिंह राजपूत की गिनती नए दौर के टॉप सितारों में होने लगी थी. महेंद्र सिंह धोनी पर बनी फिल्म ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ में उन्होंने जो एक्टिंग की, उसे कोई बॉलीवुड-स्पोर्ट्स फैन शायद ही कभी भूल सके.

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो आपकी जिंदगी के, आपके ख्वाबों के काफी करीब होती हैं. ‘एमएस धोनी’ फिल्म की खासियत धोनी की मिसाल जिंदगी तो थी ही, साथ ही एक ऐसे एक्टर, एक ऐसे ‘हाफ इंजीनियर’ की सफलता पर मुहर भी थी, जो अपनी जिंदगी से कुछ बड़ा चाहते हैं. कुल मिलाकर धोनी और सुशांत सिंह राजपूत का सफर इस फिल्म की जान थी.

हार नहीं मानने वाले थे सुशांत

फिल्म-सितारों से कोसो दूर पटना में जन्में सुशांत सिंह राजपूत ने भी वही किया, जो उनके जैसे हिंदी पट्टी के परिवारों में पैदा होने वाले ‘होनहार’ बच्चे करते हैं. टना के सेंट कैरेंस हाईस्कूल से पढ़ाई की, फिजिक्स में काफी अच्छे थे, ओलंपियाड जीत चुके थे, तो घरवालों और उनको भी लगा कि इंजीनियरिंग ही तो ऑप्शन है. इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम क्लीयर किए, जिनमें धनबाद का इंडियन स्कूल ऑफ माइंस भी शामिल है, फिर दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान सुशांत ने शामक डावर के डांस क्लास भी ज्वॉइन की थी. पढ़ाई में अच्छा होने के बावजूद, इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी, क्योंकि पता था कि आखिर करना क्या है. डांस में अपनी काबिलियत के दमपर सुशांत ने, शामक डावर के डांस ग्रुप की ओर से 2005 के फिल्मफेयर अवॉर्ड में बतौर बैकग्राउंड डांसर काम किया था.

छिछोरे फिल्म का कॉन्सेप्ट ही था कि आखिर कैसे हार-जीत से अलग जिंदगी को जिंदादिल बनाए रखना है.
हार नहीं मानने वाले थे सुशांत
(फोटो: फेसबुक)

साल 2006 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की ओपनिंग सेरेमनी में भी इसी डांस ग्रुप के सदस्य के तौर पर परफॉर्म किया था. इसके साथ ही उन्होंने एक एक्टिंग क्लास में भी दाखिला लिया, और एक्टिंग के गुर सीखने लगे. अपना पूरा ध्यान डांस और एक्टिंग में होने की वजह से पढ़ाई पर वो ध्यान नहीं दे पा रहे थे. और उनका सपना इन्हीं दोनों में करियर बनाने का था.

थियेटर-टीवी-फिल्म

फिल्मों में मौके की तलाश में सुशांत मुंबई चले गए और नादिरा बब्बर के एक्ज्यूट थिएटर ग्रुप में शामिल हो गए, और ढाई साल तक इसका हिस्सा बने रहे. उसी दौरान उन्हें नेस्ले मंच के टीवी विज्ञापन में देखा गया. उनके डांस को सबसे पहले बालाजी टेलीफिल्म्स की कास्टिंग टीम ने नोटिस किया. इसका फायदा यह हुआ कि उन्हें ‘किस देश में है मेरा दिल’ सीरियल में काम करने का मौका मिल गया.

छिछोरे फिल्म का कॉन्सेप्ट ही था कि आखिर कैसे हार-जीत से अलग जिंदगी को जिंदादिल बनाए रखना है.
बालाजी टेलीफिल्म्स के सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ से पहचान मिली.
(फोटो: फेसबुक)

हालांकि, उन्हें पहचान एकता कपूर के सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ से मिली. इस सीरियल में उनके काम की काफी तारीफ हुई. इसके लिए सुशांत को सर्वश्रेष्ठ पुरुष अभिनेता और सबसे लोकप्रिय अभिनेता के लिए तीन प्रमुख अवॉर्ड मिले.

छिछोरे फिल्म का कॉन्सेप्ट ही था कि आखिर कैसे हार-जीत से अलग जिंदगी को जिंदादिल बनाए रखना है.
सुशांत ने ‘काय पो चे’ फिल्म से अपना फिल्मी सफर शुरू किया था
(फोटो: फेसबुक)

इसके बाद सुशांत डांस रियलिटी शो ‘जरा नच के दिखा 2’ और ‘झलक दिखला जा 4’ में भी दिखाई दिए. इसके बाद सुशांत ने फिल्मों का रुख कर लिया और ‘काय पो चे’ फिल्म से अपना फिल्मी सफर शुरू किया. उसके बाद उन्होंने ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘पीके’, ‘राबता’, ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’, ‘सोन चिरैया’, ‘छिछोरे’, ‘केदारनाथ’ जैसी फिल्मों में काम किया. तारीफें भी मिलीं, अवॉर्ड नॉमिनेशन भी मिलें.

इतना कुछ हासिल किया... और अब महज 34 साल में दुनिया को अलविदा कह दिया.

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