दिल्ली में जन्मी एक्टर स्वरा भास्कर ने चकाचौंध और ग्लैमर से कोई सीधा संबंध न होने के बावजूद बॉलीवुड में अपना अलग मुकाम बनाया है. वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से समाजशास्त्र की स्टूडेंट रही हैं और मानती हैं कि पढ़ाई खत्म करने के बाद बॉलीवुड में कदम रखना एक जोखिम भरा कदम था.
28 साल की स्वरा ने बॉलीवुड में अपनी शुरुआत 2010 में आई फिल्म ‘माधोलाल कीप वाकिंग’ से की. ‘तनु वेड्स मनु’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ जैसी फिल्मों में सहायक रोल से ही सही, लेकिन इंडस्ट्री में उन्हें पहचान मिली.
इस समय फिल्म ‘निल बटे सन्नाटा’ में चंदा की उनकी भूमिका को खूब सराहा जा रहा है. उन्होंने अपने किरदार को बहुत ही भावुकता से निभाया.
स्वरा की यह फिल्म कहानी है एक घरेलू नौकरानी की, जो अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा देने के लिए कड़ी मेहनत करती है. इस फिल्म से जुड़े सवालों और फिल्म इंडस्ट्री के बारे में स्वरा ने खुलकर बात की.
इंडस्ट्री में बाहरी लोगों का क्या हाल होता है?
मैं बताऊं तो जिन लोगों का बॉलीवुड से कोई संबंध नहीं है, उन्हें यहां बहुत मुश्किल होती है. मैं इस पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं करना चाहती कि किसी स्टार के बच्चों की तुलना में बाहरी लोगों को कितनी मुश्किलें झेलनी होती हैं. लेकिन यह टफ है. और नए लोगों के लिए यह दुनिया बहुत बड़ी और स्ट्रेंज है.
पर क्या इंडस्ट्री में आने वाले नए लोगों को इसका पता होता है?
मुझे लगता है कि दुनिया को पता नहीं है कि बाहरी लोगों का यहां टिकना कितना मुश्किल होता है. यहां आना भी मुश्किल है. और टिकना तो बहुत मुश्किल है. मेरे ख्याल से यह जिंदगी का सबसे बड़ा जुआ है.
हजारों लोग हर साल सपने लेकर मुंबई आते हैं. संघर्ष करते हैं. उन्हें पता नहीं होता कि उनकी इच्छा पूरी होगी भी या नहीं...
मैं जो हूं उसके लिए खुद को बेहद भाग्यशाली मानती हूं. यहां बहुत सारे लोग हैं, जो मुझसे अधिक प्रतिभाशाली हैं. आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि जिन लोगों को आप स्क्रीन पर देख रहे हैं, वे मुझसे अधिक प्रतिभाशाली हैं. मुझे भी अच्छा काम ढूूंढने में काफी मुश्किलें हुईं. लेकिन मैं बाकी लोगों से खुद को भाग्यशाली समझती हूं, कि सही वक्त पर सही क्लिक हुए. मैं बॉलीवुड से बाहर की लड़की हूं. मुझे यहां लॉन्च करने के लिए कोई नहीं था. मैंने खुद ही काम ढूूंढा और ऑडिशन दिया. आज मैंने जो भी हासिल किया, वह खुद ही किया है.
क्या फिल्मों में मिली पसंदीदा भूमिकाएं भी भाग्य से जुड़ी हैं?
मेरे किरदारों के लिए डायलॉग ऐसे लिखे गए थे कि छोटी भूमिकाएं होने के बावजूद लोगों को ये किरदार याद रखे. लोगों ने मेरी छोटी भूमिकाओं को भुलाया नहीं. मैंने बड़ी फिल्मों में जितनी छोटी भूमिकाएं निभाई हैं, उतनी ही संख्या में छोटी फिल्मों में मुख्य किरदार भी निभाए हैं. इससे मैं संतुष्ट हूं.
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