“ऐसे तो आदमी लाइफ में दो इच्च टाइम भागता है... ओलंपिक का रेस हो या फिर पुलिस का केस हो. तुम काय को भागता है मेन?”- अमर अकबर एंथनी (1977) फिल्म का ये डायलॉग लिखने वाले कादर खान की आज पुण्यतिथि है.
जब 70 और 80 के दशक में अमिताभ बच्चन का स्टारडम ऊंचाई पर था, अमिताभ बच्चन के मुंह से निकलने वाले एक के बाद एक डायलॉग हिट हो रहे थे, लोगों के जुबान पर मानो वो डायलॉग्स चिपक गए थे, तब शायद ही लोग जानते थे की वो लिखावट किसी और की नहीं बल्कि कादर खान की थी. कादर खान के लिखे डायलॉग कभी हंसा देते तो हंसते हुए को रुलाने की ताकत भी रखते. इसलिए हम लाए हैं आपके लिए फिल्म कालिया से लेकर कर्मा तक उनकी फिल्मों के डायलॉग की झलक.
ADVERTISEMENTREMOVE AD
‘हम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है’- कालिया (1981)
‘जिंदा है वो लोग जो मौत से टकराते हैं...’ मुकद्दर का सिकंदर (1978)
‘जिंदगी में तूफान आए, कयामत आए... मगर कभी दोस्ती में दरार ना आने पाए’- आतिश (1994)
‘अपन फेमस आदमी, बड़ा बड़ा पेपर में अपन का छोटा छोटा फोटो छपता है’- अमर अकबर एंथनी (1977)
‘इस थप्पड़ की गूंज सुनी तुमने?’ - कर्मा (1986)
‘विजय दीनानाथ चौहान... पूरा नाम’- अग्निपथ (1990)
‘दुनिया मेरा घर है, बस स्टैंड मेरा अड्डा है...’- कुली नंबर 1 (1995)
‘कत्ल करते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं”- खून भरी मांग (1988)
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)
0
क्विंट हिंदी पर लेटेस्ट न्यूज और ब्रेकिंग न्यूज़ पढ़ें, entertainment और bollywood के लिए ब्राउज़ करें
Published: