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महेश बाबू के पिता सुपरस्टार कृष्णा का निधन, अभिनेता से नेता बनने का कैसा रहा सफर

कृष्णा ने अपने पांच दशक के करियर में 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया

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दिग्गज टॉलीवुड अभिनेता और महेश बाबू (Mahesh Babu) के पिता कृष्णा का मंगलवार तड़के हैदराबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया, उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद यहां भर्ती कराया गया था. तेलुगु फिल्म उद्योग के दिग्गजों में से एक सुपरस्टार कृष्णा ने कॉन्टिनेंटल अस्पताल में अंतिम सांस ली. डॉक्टरों के मुताबिक अटैक आने के बाद उन्हें बेहोशी की हालत में अस्पताल में लाया गया था, लेकिन सीपीआर देने के 20 मिनट बाद उन्हें फिर से होश आ गया. हालांकि उनकी हालत गंभीर थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.

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कौन थे कृष्णा? घट्टामनेनी शिव राम कृष्ण मूर्ति यानी कृष्णा ने अपने पांच दशक के करियर में 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया. 31 मई, 1942 को आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के बुरिपालेम में जन्मे कृष्णा ने 1960 के दशक की शुरुआत में छोटी भूमिकाओं के साथ फिल्म उद्योग में एंट्री की, उन्होंने मुख्य अभिनेता के रूप में 1965 की फिल्म थेने मनसुलु से शुरुआत की, जो हिट रही.

कैसे बने सुपरस्टार? गुडाचारी 116 (1966), जासूसी फिल्म, सुपरहिट साबित हुई, जिसने कृष्णा को सबसे अधिक मांग वाले अभिनेताओं में से एक बना दिया. इस सफलता के साथ उन्हें 20 फिल्मों के ऑफर मिले. बाद में उन्होंने कम से कम छह जेम्स बॉन्ड जैसी फिल्मों में अभिनय किया.

साक्षी (1967) को ताशकंद फिल्म समारोह में आलोचकों की प्रशंसा मिली. उनकी 1972 की फिल्म पंडंती कपूरम ने उस साल के लिए तेलुगु में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड जीता. कृष्णा को अल्लूरी सीताराम राजू जैसी कई ऐतिहासिक फिल्मों के लिए जाना जाता है, जो टॉलीवुड में पहली सिनेमास्कोप फिल्म थी.

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कृष्णा ने 1965 में इंदिरा देवी से शादी की. महेश बाबू समेत दो बेटे और तीन बेटियां हैं. 1969 में उन्होंने अभिनेत्री विजया निर्मला से दूसरी शादी की और उनसे एक बेटा हुआ. निर्मला की 2019 में मौत हो गई.

सितंबर में पत्नी इंदिरा देवी की मृत्यु के बाद से वो काफी परेशान रहने लगे थे. इस साल की शुरुआत में उनके बड़े बेटे रमेश बाबू की भी मौत हो गई.

राजीव गांधी के भी करीबी- कृष्णा को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का करीबी माना जाता था. वह 1984 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए. कृष्णा ने एनटीआर रामाराव और उनकी सरकार की आलोचना करते हुए कुछ फिल्में बनाई थीं.

वह 1989 में एलुरु से लोकसभा के लिए चुने गए थे, लेकिन 1991 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव हार गए. राजीव गांधी की हत्या के बाद कृष्णा ने राजनीति से दूरी बना ली थी.

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