डायरेक्टर सुजॉय घोष की साल 2012 में आई क्लासिक हिट फिल्म 'कहानी' के किरदार बॉब बिस्वास पर बनी फिल्म रिलीज हो गई है. इस किरदार को सुजॉय ने लिखा है और डायरेक्ट किया है उनकी बेटी दीया अन्नपूर्णा घोष ने.
डायरेक्टर दीया अन्नपूर्णा घोष की इस फिल्म में दिखाया गया है कि बॉब बिस्वास सालों बाद कोमा से बाहर आता है और उसकी याददाश्त जा चुकी है. लेकिन, हमें तो सबकुछ याद है.
बल्कि, बॉब बिस्वास ऐसा किरदार है, जिसे आसानी से भूला नहीं जा सकता. उसकी वो घूरती निगाहें किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती हैं.
'कहानी' फिल्म में बॉब बिस्वास का किरदार शाश्वत चटर्जी ने निभाया था, वहीं इस फिल्म में अभिषेक बनर्जी इस किरदार में नजर आ रहे हैं. वैसा ही चश्मा, साइड बैग और चाल-ढाल कॉपी कर अभिषेक बच्चन ने किरदार निभाने की पूरी कोशिश की है, लेकिन शाश्वत चटर्जी की यादों को मिटाना इतना आसान नहीं है, जिन्होंने इस किरदार में पूरी जान डाल दी थी.
इस फिल्म को देखने पर जल्द ही पता चल जाता है कि एक खतरनाक हत्यारे को मानवीय बनाने का प्रयास है. इस फिल्म में बॉब की पत्नी (चित्रांग्दा सिंह) हैं, एक बेटा और एक बेटी है.
हमारी सहानूभूति अभिषेक के साथ होनी चाहिए, क्योंकि उनके पास मुश्किल काम है. उन्होंने ऐसा किरदार निभाया है, जिसे एक दूसरा एक्टर क्लासिक बना चुका है. शायद इसलिए याददाश्त जाने वाला प्लॉट लाया गया है, ताकि अभिषेक के कंधों से थोड़ा बोझ कम किया जा सके. उन्हें एक खाली स्लेट दी गई है, ताकि वो कम परेशान हों और अपने मुताबिक खेल सकें.
बिना स्पॉयलर दिए, बस यही कहा जा सकता है कि फिल्म के वो भाग ठीक हैं, जहां बॉब और व्यूयर्स, दोनों ही दावों की सच्चाई के बारे में सोच रहे हैं. साइकोलॉजिकल एंगल से दिखाने की बजाय, हमें एक जल्दबाजी में पेश किया हुआ किरदार दे दिया गया है.
बॉब बिस्वास एक बेहतर स्पिन ऑफ का हकदार था. ये फिल्म हमें एक ऐसे बॉब के बारे में बताती है, जिसे हम जानना ही नहीं चाहते.
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