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Panchayat 2 Review:सचिव जी की चक्के वाली कुर्सी गायब,‘असली प्रधान’ ने लूटी महफिल

Panchayat 2 Review: शो में आपको TVF की वेब सीरीज बनाने में परिपक्वता-ग्रामीण आंचल की झलक मिलती है जो जोड़े रखती है.

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Panchayat 2 Review: सचिव जी को नहीं मिली चक्के वाली कुर्सी, ‘असली प्रधान’ ने लूटी महफिल

पंचातयत 2 (Panchayat 2) का इंतजार तय वक्त से दो दिन पहले ही खत्म हो गया और सीरीज एमाजोन प्राइम (Amazon Prime) पर रिलीज हो गई. दरअसल ये सीरीज टेलीग्राम पर लीक हो गई थी. बहरहाल सीरीज 8 एपिसोड के साथ आ चुकी है और पहले सीजन की तरह इस सीजन में भी पंचायत ने ग्रामीण आंचल की शानदार झलक पेश की है. सचिव जी को चक्के वाली कुर्सी नहीं मिली है लेकिन ‘जीतू भैया’ का जलवा कायम है.

हालांकि इस बार असली प्रधान को जरा ताकतवर बना दिया गया है और वो महफिल लूट ले गईं. भैया एक बात और इस बार उप प्रधान जी ने भी झंडे गाड़ दिये हैं, मने फुल इज्जत के हकदार हैं.
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कहानी

जरा रुकिये इस सीजन की कहानी भी सुनाएंगे पहले जरा पहले सीजन का फ्लैशबैक ले लीजिए. आपको याद होगा पहले सीजन में अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) की दोस्ती गांव के ‘प्रधान’ (रघुबीर यादव), उप प्रधान प्रह्लाद पांडे (फैसल मलिक) और विकास (चंदन रॉय) से हो गई थी. हालांकि सचिव जी पहले सीजन में फुलेरा में आकर फंसे थे और दूसरे में भी उससे निकलने की कोशिश ही कर रहे हैं. दूसरे सीजन की शुरुआत पहले सीजन की समाप्ति के दो महीने बाद से होती है.

अब सचिव जी को गांव फुलेरा में रहने की आदत सी हो गई है. उन्होंने खुद को गांव के हिसाब से ढाल लिया है और थोड़ा खुश भी रहने लगे हैं. इसीलिए पहले सीजन की मशहूर टंकी और चाय की चुस्की के साथ ‘जीतू भैया’ ने दूसरे सीजन में एंट्री मारी है. ये वही टंकी है जहां से पिछले सीजन में ‘जीतू भैया’ (जितेंद्र कुमार) को प्यार की आस जगी थी. अब उसी टंकी पर सचिव जी चाय की चुस्की लेने लगे हैं और गांव में नई समस्याओं ने जन्म ले लिया है. जैसे प्रधान जी ने चुनाव में सड़क बनवाने का वादा किया था लेकिन बनी नहीं है. गांव शौचमुक्त घोषित है लेकिन फिर भी कई लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं. कुछ मजबूरी में और कुछ शौकिया, प्रधानजी खुद खुले में जाते हैं क्योंकि उन्हें भी शौक है.

इस सीजन में भी ग्रामीण आंचल को बखूबी दर्शाया गया है. निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा ने कहानी को विधायक और राजनीति से जोड़कर थोड़ा बड़ा करने की तो कोशिश की है लेकिन जड़ें नहीं तोड़ी हैं जो आपको 8 एपिसोड बांधे रखता है.

निर्देशक ने पहले ही एपिसोड में उन सभी सवालों के जवाब उप प्रधान और सचिव सहायक से दिलवा दिये हैं, हम सबके मन में रिंकी और अभिषेक को एक साथ पानी की टंकी पर देखकर उठे थे. लेकिन जवाब मिलने के बाद भी नये प्रश्न उठे हैं जिनके जवाब खोजने आप पूरी सीरीज को एक टक देखना चाहते हैं. और हां जब-जब रिंकी और सचिव जी आपको स्क्रीन पर एक साथ दिखते हैं तब-तब लगता है कि अब इनके बीच कुछ होगा. अब होगा, लेकिन जैसे ग्रामीण आंचल की कहानी बैलगाड़ी की तरह धीरे चलती है. इनकी ‘लव स्टोरी’ भी पूरी सीरीज में वैसे ही चलती है.

अच्छा एक चीज और बता देते हैं चलो प्रधान जी की लौकी अब सचिव जी के साथ-साथ विधायक निवास तक जा पहुंची है कैसे...ये जानने के लिए सीरीज देखिए.
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कलाकारों का प्रदर्शन

जितेंद्र कुमार- सचिव की भूमिका में जितेंद्र इस वेब सीरीज के हीरो हैं लेकिन वो ऐसे सुपर हीरो नहीं हैं कि सब खुद ही कर ले रहे हैं. सचिव जी को देखकर आपको लगेगा कि हम भी तो ऐसे ही हैं. हां इस बार सचिव जी कम खीजे हैं और समझदारी बढ़ गई है. पागलपन और समझदारी के बीच जितेंद्र कुमार ने हमेशा की तरह शानदार एक्टिंग की है और इस रोल को और यादगार बना दिया है.

नीना गुप्ता-

असली प्रधान और ‘प्रधान जी’ की पत्नी के रूप में ‘रिंकी की मम्मी’ का किरदार दूसरे सीजन में थोड़ा बड़ा हो गया है, जिसे नीना गुप्ता ने अपनी अदाकारी से डबल कर दिया है. एक तरीके से उन्होंने महफिल लूट ली है.

रघुबीर यादव-

प्रधानपति के रूप में प्रधानी का मजा लूट रहे ‘प्रधानजी’ इस बार भी मौज ले रहे हैं. कुछ राजनीतिक परेशानियों से जूझते प्रधानजी गांव के लिए कई काम करने के जुगाड़ में लगे हैं और एक्टिंग तो कतई झन्नाटेदार है ही.

फैसल मलिक-

उप प्रधान प्रह्लाद पांडे ने इस बार कहानी में जबरदस्त उपस्थिति दी है. ग्रामीण कॉमेडी के साथ-साथ इस बार उन्होंने लोगों को रुला भी दिया है, क्यों और कैसे ये सीरीज देखकर पती कीजिएगा.

चंदन रॉय-

सचिव जी के सहायक विकास बाबू का जलवा अभी भी कायम है, हर दूसरे शॉट में उनकी एंट्री हो ही जाती है. क्योंकि सचिव जी का उनके बिना कोई काम नहीं चलता है. उनके डायल़ॉग और मासूमियत शानदार ह्यूमर लाती है.

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कौन गायब किसकी एंट्री?

शो में विधायक जी के साथ प्रधानजी की बेटी रिंकी (सानविका) की नई एंट्री है और जितनी जरूरत थी उतना स्क्रीन प्रजेंस उन्हें मिला है. हीरोइन के तड़के को डायरेक्टर ने ओवरलोड नहीं होने दिया है. शो में हालांकि चक्के वाली कुर्सी ले जाने वाले दामाद जी इस बार नहीं दिखे हैं हालांकि उनकी पत्नी ने गांव में एंट्री जरूर मारी है. लेकिन सबसे फेमस डायलॉग वाले दामाद जी भले ही ना दिखे हों फिर भी निर्देशक ने चक्के वाली कुर्सी को भुनाने की कोशिश की है और उसका जिक्र जरूर हुआ है.

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पंचायत 2 देखने के पांच कारण?

वैसे तो पंचायत 2 देखने के कई कारण हैं लेकिन अगर पांच कारणों की ही बात हो ते सबसे पहला होगा वेब सीरीज की दुनिया के बादशाह TVF का लोकल कनेक्शन, दूसरा ग्रामीण आंचल की शानदार झलक, तीसरा ह्यूमर के साथ ग्रामीण परिपेक्ष्य की कच्ची लव स्टोरी, चौथा जितेंद्र कुमार-नीना गुप्ता सरीखे कलाकारों की एक्टिंग और पांचवा है फुलेरा के विकास और नई समस्याओं से उपजा हास्य.

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