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‘परी’ रिव्यू: परियों की कहानी नहीं है! लेकिन डराती भी तो नहीं है

‘परी’ के कुछ सीक्वेंस डरावने हैं, लेकिन कहानी की वजह से ये हॉरर फिल्म से ज्यादा खून-खराबे वाली मूवी दिखती है.

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एक अच्छी हॉरर फिल्म में आपको क्या पसंद है? डर और खूब डर! जिससे रौंगटे खड़े हो जाए. लेकिन एक टिपिकल बॉलीवुड फिल्म, जिसका प्लॉट बेहद बुरी तरीके से लिखा गया हो वो भी इतनी ही डरावनी होती है! अब बात अनुष्का शर्मा की फिल्म परी की करें तो ये इन दोनों कंडिशन के बीच की है. यानी इतनी भी डरावनी नहीं है कि आप इसे सालोंसाल याद रख पाए, वहीं प्लॉट में खामियों के बावजूद इसे बेकार नहीं कहा जा सकता.

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'परी' के कुछ सीक्वेंस डरावने हैं, लेकिन कहानी की वजह से ये हॉरर फिल्म से ज्यादा खून-खराबे वाली मूवी दिखती है.

अनुष्का की दमदार एक्टिंग

डायरेक्टर प्रोसित रॉय ने अपनी डेब्यू फिल्म में ठीक ठाक काम किया है, डराने के लिए सूनसान जगह, अजीब सी झोपड़ी, खूंखार कुत्ते और चेन में बंधी औरत जैसे काफी सीन इस्तेमाल किए गए हैं. कहानी की शुरुआत होती है एक कार एक्सीडेंट से, इसके बाद कई तरह की डरा देने वाली घटनाओं से फिल्म आगे बढ़ती है. अर्नब नाम के शख्स का किरदार निभा रहे परमब्रत चटर्जी, रुखसाना यानी अनुष्का शर्मा को अपने घर में जगह देते हैं और फिर शुरू होती हैं मुसीबतें.

फिल्म का पहला हाफ काफी धीमा

परी का पहला हाफ बेहद धीमी गति से आगे बढ़ता है. बॉलीवुड की टिपिकल हॉरर फिल्मों जैसा ही बैकग्राउंड स्कोर, कई सारे अपशकुन वाले सीन और 'डरावनी औरत' कहानी को आगे बढ़ाते नजर नहीं आते. ऐसा लगता है कि कहानी को आगे बढ़ाने के लिए नहीं बस डराने की कोशिश के लिए ये सीन दिखाए जा रहे हैं. रजत कपूर बांग्लादेशी तांत्रिक के किरदार में नजर आए हैं जो अर्नब को 'शैतान' से बचाने के लिए आते हैं.

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दर्शकों को उम्मीद बंध सकती है कि दूसरे हाफ में कहानी तेजी से आगे बढ़ेगी, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है. दरअसल, ये फिल्म हॉरर से ज्यादा खून-खराबे और हिंसा से भरी हुई है. ऐसे में हॉरर के नाम पर ये फिल्म निराश करती दिखती है.

एक्टर्स की एक्टिंग में खामी नहीं

अनुष्का शर्मा, परमब्रत चटर्जी और रजत कपूर तीनों की एक्टिंग में कहीं खामी नहीं दिखती. अनुष्का ने फिल्म के लिए काफी मेहनत की है, वो कभी दीवारों पर चलती तो कभी स्पाइडर मैन की तरह लटकती नजर आईं हैं. वहीं परमब्रत ने अपने किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया है. रजत कपूर जब भी स्क्रीन पर नजर आए, दमदार लगे हैं.

फाइनल वर्डिक्ट!

अगर आप रौंगटे खड़े कर देने वाले हॉरर फिल्म के दीवाने हैं, तो ये फिल्म आपको निराश कर सकती है. कह सकते हैं कि एक अच्छे मौके को कहानी और राइटिंग के कारण गंवा दिया गया है. इस लिहाज से परी एक औसत दर्जे की फिल्म है. तो हम दे रहे हैं परी को 5 में से 2.5 क्विंट.

(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)

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