ये वक्त है जब आपके घर के पास वाले सिनेमाघर मंदिर बन जाएंगे क्योंकि अगर क्रिकेट हमारे देश में धर्म है तो सचिन तेंदुलकर भगवान है और उनके करिश्मे को ये फिल्म बाखूबी दिखाती है.
डायरेक्टर जेम्स अर्सकिन की ये फिल्म मास्टर ब्लास्टर के करियर के हाई पॉइंट्स को जानने का मौका देती है. सचिन की पर्सनल जिंदगी के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं और ये फिल्म पुरानी फुटेज और वीडियो के जरिए आपको उन्हें करीब से जानने का मौका दे रही है.
सचिन इस फिल्म में एक नैरेटर और कमेंटेटर की भूमिका खुद निभा रहे हैं जो अपनी जिंदगी के बारे में सबकुछ बताते हैं. फिल्म में घुंघराले बालों वाले शरारती बच्चे की कहानी है जो अपने बड़े भाई अजित के संरक्षण और कोच आचरेकर की पैनी नजरों के बीच करोड़ों लोगों के लिए एक हौसला और गर्व का सिंबल बनता है.
फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक वक्त तो “सचिन..सचिन” का नारा तेंदुलकर को मोटिवेट करता है तो वहीं दूसरी तरफ जिंदगी में वो भी वक्त आता है जब वो करोड़ों लोगों की उम्मीदों को खुद के लिए दबाव मानते हैं.
फिल्म काफी भावुक भी कर देती है खासकर वो सीन जब हम सचिन के परिवार, उनकी पत्नी अंजलि और बच्चों (सारा और अर्जुन) से मिलते हैं. जब किसी फेमस मैच की हाइलाइट्स आती हैं तो कोई भी सचिन को चीयर करने से अपने आप को रोक नहीं पाता.
सचिन की जिंदगी के कुछ खराब लम्हे जैसे अजहरुद्दीन के साथ लड़ाई और मैच फिक्सिंग को फिल्म में दिखाया तो गया लेकिन खास तवज्जो नहीं दी गई. ये कहानी है एक सिंपल, मिडिल क्लास लड़के की जो अपने सपनों के पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है. सचिन की ये फिल्म बहुत स्पेशल है. सचिन के लिए इसे देखने जाइए...
5 में से 4 क्विंट
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)