रामायण सीरियल में आज दिखाया जाता है कि राम, लक्ष्मण सहित हनुमान, सुग्रीव, अंगद और पूरी वानर सेना सीता माता की खोज में निकल पड़े हैं. मानवरूपी प्रभु राम के सामने अभी कई चुनौतियां सामने आने वाली हैं. सुग्रीव के किष्किन्धापति बनते ही वानरराज कहते हैं कि अब प्रभु माता सीता को खोजने की बारी है. प्रभु श्रीराम कहते हैं कि अभी उन्हें इस कार्य के लिए 4 माह रुकना पड़ेगा. चौमास शुरू हो चुका है और भारी वर्षा के कारण काफी मुश्किल होगी. श्रीराम कहते हैं कि वह लोग मिलकर सीता की खोज कार्तिक माह से शुरू करेंगे. इन चार महीनों का समय सुग्रीव अपने राज्य को दें. राम कहते हैं कि वह आने वाले 4 महीने गिरि पर्वत पर ठहरेगें.
हनुमंत श्रीराम की आज्ञा से निकले दक्षिण दिशा की ओर
श्रीरामचंद्र हनुमान को आज्ञा देते हैं वह दक्षिण दिशा जाएं और जानकी का पता लगाएं. राम कहते हैं कि ब्रह्मा विष्णु महेश उन्हें सफल करें.
हनुमान को रास्ते में मिलीं अन्नपूर्णा
हनुमान माता सीता की खोज के लिए अपने साथ अंगद को ले जाते हैं. रास्ते में उन्हें एक मायावी ऋषि मिलती हैं. वह किष्किन्धा का वीर वानरबल पहचान लेती हैं. हनुमान कहते हैं-, ‘’आपने हमें पहचान लिया, आप बताएं आप कौन हैं?’’. जिसके बाद वह बताती हैं कि वह अन्नपूर्णा हैं. हनुमान और पूरी वानरसेना को वह भोजन कराने आई हैं.
महासागर तट आ पहुंचे हनुमंत..
माता अन्नपूर्णा हनुमान, अंगद और पूरी वानर सेना को आंख बंद करने के लिए कहती हैं. आंखें मूंदते ही सभी महासागर तट पर पहुंच जाते हैं. अब हनुमान और सेना इस दुविधा में है कि इस भव सागर को कैसे पार किया जाएं?
हनुमान कैसे पार करेंगे ये भवसागर?
वानर सेना का साहस डगमगाने लगता है. लेकिन तभी सब कहते हैं कि वह इस तरह से अपना साहस नहीं छोड़ सकते हैं. सब के मन में विचार आता है कि अगर वह सीता मां की खबर के बिना वापस गए तो लक्ष्मण छोड़ेंगे नहीं. इस दौरान अंगद कहते हैं कि वह वापस नहीं जाएंगे भले ही अपने प्राण त्याग दें.
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