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वेब सीरीज का बढ़ता क्रेज, क्यों हैं आज के युवाओं की पहली पसंद? 

वेब सीरीज में कोई सेंसरशिप नहीं होती है, इसलिए सीरीज मेकर अपनी पूरी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं

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मिकेश तीन साल बाद यूएस से मुंबई लौटता है. वापस आने के बाद सबसे पहले वो अपनी गर्लफ्रेंड से उसके रूम पर मिलता है और उसे शादी के लिए प्रपोज करता है. लेकिन अचानक शादी के प्रपोजल से तान्या कश्मकश में पड़ जाती है. इसी कश्मकश के बीच तान्या के पापा की एंट्री होती है. वह समझाते हैं तो तान्या इस बात पर राजी होती है कि शादी करने से पहले वह एक साल तक मिकेश के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहकर उसे समझेगी. लेकिन जिस फ्लैट में तान्या और उसकी रूममेट रह रहे होते हैं, वहां लड़के अलाउड नहीं होते. इसलिए दोनों एक दूसरा फ्लैट ढूंढ़ते हैं और यहां से शुरू होती है दोनों के साथ रहने और उनकी नोंक-झोंक की प्यारी सी कहानी.

साल 2014 में आई ‘परमानेंट रूममेट’ नाम की इस वेब सीरीज को लोगों ने खूब पंसद किया. आज भी ये सीरीज देखी जा रही और इसके देखने वालों की संख्या 50 मिलियन के पार हो गई है. ये सीरीज इतनी हिट हुई कि सीरीज मेकर ने साल 2016 में इसका दूसरा सीजन बनाया.

इसके बाद तो वेब सीरीज की लाइन लग गई. बेक्ड, ट्रिपलिंग, परमानेंट रूममेट सीजन 2, पिचर, बैंग बाजा बारात, गर्ल इन द सिटी और अलीशा जैसी तमाम सीरीज आईं. इनको भी देखने वालों की संख्या लाखों में है.

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वेब सीरीज में कोई सेंसरशिप नहीं होती है, इसलिए सीरीज मेकर अपनी पूरी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं
परमानेंट रूममेट का एक पोस्टर

बॉलीवुड भी इस रेस में

ये वेब सीरीज का ही तो क्रेज है जोकि राजकुमार राव ‘बोस’ नाम की वेब सीरीज में काम करने के लिए अपना सर मुंडवा लेते हैं. राम गोपाल वर्मा भी अंडरवर्ल्ड की कहानियां सुनाने के लिए इसी रेस में कूद पड़ते हैं. Guns And Thighs नाम की सीरीज में गोपाल वो सारी बातें बताना चाहते हैं जो वो फिल्मों में नहीं बता सकते. उधर, फरहान अख्तर और प्रोड्यूसर रितेश सिद्धवानी भी एक नई सीरीज लेकर आने वाले हैं.

आइए आपको बताते हैं कि ये बेव सीरीज आखिर क्यों लोकप्रिय हो रही हैं? खासतौर पर युवा वर्ग में क्योंकि उनकी ये शिकायत रहती है कि आजकल टीवी चैनल्स उनके लिए कार्यक्रम नहीं बना रहे हैं.

परमानेंट रूममेट के लीड एक्टर सुमित व्यास ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा कि,

इंडिया में लोग इंग्लिश सीरीज जैसे ‘गेम ऑफ थ्रोन’ देखना पसंद कर रहे थे. ऐसे में यहां भी कुछ आना चाहिए था, क्योंकि सीरीज बनाने के लिए भारत में भी काफी कहानियां हैं.
सुमित व्यास, एक्टर

समय की पाबंदी नहीं और फ्रेश कंटेंट

इन वेब सीरीज में समय की कोई पाबंदी नहीं है. आम तौर पर ऐसी सीरीज का एक एपिसोड 10 से 40 मिनट का होता है और एक सीरीज में करीब 5 एपिसोड हो सकते हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी पर आधारित सीरीज ‘बेक्ड’ में ओनी का किरदार निभाने वाले एक्टर शांतनु अनम ने क्विंट हिंदी से कहा,

टीवी पर अब युवाओं से जुड़ा फ्रेश कंटेट बहुत कम आता है. हालांकि, अब तो 90 के दशक के कंटेंट को भी इंटरनेट पर तड़का मार कर पेश किया जा रहा है. जैसे सारा भाई vs सारा भाई. लेकिन युवा तो हमेशा रहेंगे और उनकी फ्रेश कहानियां आती रहेंगी, जिससे वेब सीरीज आगे भी अच्छे कंटेंट के साथ आती रहेंगी.

ट्रिपलिंग के स्टार सुमित व्यास को लगता है कि वेब सीरीज ने टीवी के हर तरह के फॉर्मूले को तोड़ा है, तभी आज ऑडियंस को कुछ नया देखने को मिल रहा है.



वेब सीरीज में कोई सेंसरशिप नहीं होती है, इसलिए सीरीज मेकर अपनी पूरी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं

कोई सेंसरशिप नहीं

फिल्म या टीवी के सीरीयल्स की तरह इसमें कोई सेंसरशिप नहीं होती है. इसलिए सीरीज मेकर अपनी पूरी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं.

हम टीवी पर इसलिए नहीं गए क्योंकि ये कहानी डीयू के स्टूडेंट्स की है, जिसे उसी तरह दिखाया जाना था. इंटरनेट ऐसा मीडियम है जिसमें पहलाज निहलानी जैसा चक्कर नहीं पड़ता. 
शांतनु अनम, एक्टर


वेब सीरीज में कोई सेंसरशिप नहीं होती है, इसलिए सीरीज मेकर अपनी पूरी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं

हालांकि, सेंसरशिप न होने से कई सीरीज में एडल्ट कंटेंट और गालियों का इस्तेमाल भी खूब होता है.

कहीं भी और कभी भी

सबसे अच्छी बात तो ये है कि फोन में ही आप इसे घर में कहीं भी बैठकर, रेस्तरां में, अपने दोस्तों को इंतजार करते हुए या मेट्रो में आते-जाते कहीं भी देख सकते हैं. ये सीरीज टीवीएफ प्ले, नेटफ्लिक्स, हॉट स्टार और ज्यादातर यू-ट्यूब पर आराम से मिल जाती हैं.

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ेगी और हमारे स्मार्टफोन अपडेट होंगे. मोबाइल पर कहीं भी वेब सीरीज देखने का अनुभव और बढ़िया होगा.
शांतनु अनम, एक्टर 

इंटरनेट का बढ़ता इस्तेमाल

भारत में इंटरनेट तेजी से बढ़ रहा है. टेलीकॉम मंत्रालय के मुताबिक, 31 दिसंबर 2016 तक देश में 391.50 मिलियन इंटरनेट यूजर्स थे, उम्मीद है कि 2020 में ये संख्या बढ़कर 730 मिलियन हो जाएगी.

शांतनु का कहना है कि भारत में इंटरनेट सस्ता हो रहा है और जियो के आने से तो मार्केट में नेटपैक सस्ता करने की होड़ लग गई है.

इंटरनेट का उदाहरण तो इस बात से ही मिलता है कि कपिल शर्मा के शो की टीवी पर टीआरपी भले ही कितनी ही हो लेकिन यूट्यूब पर कपिल के शो को देखने वालों की संख्या करोड़ों में पहुंच जाती है.

वैसे तो इन सीरीज की व्यूअरशिप देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये सीरीज कितनी फेमस हैं. इंटरटेनमेंट कंटेंट की रेटिंग करने वाली वेबसाइट IMDb के मुताबिक, जो वेब सीरीज लोकप्रिय हैं उनके बारे में जानने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं.



वेब सीरीज में कोई सेंसरशिप नहीं होती है, इसलिए सीरीज मेकर अपनी पूरी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं

पूरे भारत में बढ़ रहा क्रेज

वैसे तो ज्यादातर वेब सीरीज हिंदी में बनना शुरू हुईं, लेकिन इनका क्रेज पूरे भारत में फैल गया और अब ये अलग-अलग भाषाओं में बन रही हैं.

हिंदी सीरीज- ट्रिपलिंग, परमानेंट रूममेट, पिचर, बैंग बाजा बारात, द ट्रिप, गर्ल इन द सिटी, बेक्ड, अलीशा, हैप्पी टू बी सिंगल, नॉट फिट, लेडीज रूम, मैन्स वर्ल्ड, आइशा- ए वर्चुअल गर्लफ्रेंड, लव शॉट्स, तन्हाइयां.

स्नैपशॉट
  • गुजराती- कचो पापड़ पको पापड़
  • मराठी- योलो
  • पंजाबी- स्लीपलेस नाइट
  • तेलुगु- ब्लैक शीप, हैप्पी अवर
  • तमिल- हैप्पी टू बी सिंगल
  • कन्नड़- हट्टीराडा दारी

वेब सीरीज ने छोटी-छोटी कहानियों का एक बेहतरीन ऑप्शन दिया है, जिससे लोगों को सालों साल चलने वाले लंबे-लंबे सीरियल नहीं झेलने पड़ेंगे.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इन सीरीज के आने से टीवी का स्कोप खत्म हो जाएगा, बल्कि ये एक और नया प्लेटफॉर्म है, जहां आपको इंटरटेनमेंट का एक नया मीडियम मिलता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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