बातें बड़ी-बड़ी, लेकिन मौका आया, तो हिम्मत नहीं पड़ी. बॉलीवुड के सारे मर्द सुपरस्टार ऐसे क्यों होते हैं? अपने ही साथियों के लिए वो स्टैंड क्यों नहींं ले पाते? पर्दे पर लंबी-चौड़ी हांकने वाले सुपरस्टार हकीकत में पर्दे के पीछे छिप जाते हैं.
चलिए सीधे मुद्दे पर आते हैं. पद्मावती फिल्म के लिए करणी सेना से लेकर तमाम छोटे-मोटे संगठन रानी पद्ममिनी बनी दीपिका पादुकोण को धमकाए जा रहे हैं. कोई नाक काटने की चेतावनी दे रहा है, तो कोई सिर की कीमत लगा रहा है.
दीपिका तमाम धमकियों के बावजूद झुकने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा वो कलाकार हैं, धमकियों से डरती नहीं. 'पद्मावती' में काम करके उन्हें कोई पछतावा नहीं है.
शबाना आजमी ने भी खुलकर दीपिका का साथ देते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी सबका हक है. उन्होंने खुलकर करणी सेना और दूसरे संगठनों की धमकाने वाली हरकतों का विरोध किया.
अब हीरोगिरी दिखाने वालों का हाल भी देख लीजिए
दीपिका नहीं डर रही हैं, शबाना उनके साथ खड़ी हैं, तो क्या ऐसे में बॉलीवुड के मर्दों को मुकाबले के लिए दीपिका के साथ नहीं खड़े होना चाहिए था? लेकिन नहीं, उनके तो बोल ही नहीं निकल रहे हैं. तमाम एक्शन हीरो की बोलती ही बंद हो गई है.
इतना सन्नाटा क्यों है भाई
पहले ध्यान से जरा इन डायलॉग पर गौर फरमाइए और सोचिए आपके मन में कैसी बहादुरी की हलचल होती:
- “हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है”
- “ये पुलिस स्टेशन है, तुम्हारे बाप का घर नहीं”
- “ रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं, नाम है शहंशाह”
सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के ये डॉयलॉग सुनकर पर्दे पर 20-50 बदमाश पसीने-पसीने हो जाते थे... इन्हें सुनने के बाद तो 40 किलो का आदमी भी 80 किलो के पहलवान को धमकाने लगता था. लेकिन इन्हीं बच्चन साहब ने दीपिका और पद्मावती फिल्म के बारे में ऐसी रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है कि उकसाने पर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं, जबकि अमिताभ ने दीपिका के साथ भी काम किया है और संजय लीला भंसाली के साथ भी.
हर मुद्दे पर लोगों से संवाद करने वाले सीनियर बच्चन ट्विटर और फेसबुक पर भी पद्मावती के बारे में खामोशी ओढ़े हुए हैं. वो दीपिका या संजय लीला भंसाली के बारे में कुछ नहीं कह रहे.
लेकिन उनकी पत्नी जया बच्चन चुप नहीं हैं. उनके करीबी लोगों का कहना है कि जया ने पूरा मन बना लिया है कि संसद में वो इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगी कि सरकार इन धमकाने वालों से सख्ती क्यों नहीं कर रही है.
एक्शन हीरो साइलेंट मोड पर क्यों हैं
सबसे बड़े खिलाड़ी और एक्शन हीरो की हालत भी ऐसी ही है. फिल्मों वो कहते हैं, “सिंह जहां पैर रखता है, वो इलाका उसका हो जाता है” ये सुनकर तो हाल में बैठे सभी दर्शकों के मन में जोश और बहादुरी उफान मारने लगती है. फिर यही यही अक्षय कुमार अपनी फिल्म “बेबी” में तो पाकिस्तान में घुसकर अकेले ही आतंकवादी अड्डे में घुसकर सरगना पकड़कर भारत ले आते हैं. तो लोग यही कहते थे, गजब का हीरो है भाई.. लेकिन जब पर्दे से बाहर आते ही सारी बहादुरी लापता हो जाती है.
उन्होंने भी दीपिका की नाक काटने की धमकी के सामने मौनव्रत रखा हुआ है. दीपिका तो अक्षय कुमार की सहयोगी भी रही हैं.
लेकिन उनकी पत्नी ट्विंकल खन्ना चुप नहीं हैं. वो दीपिका और संजय लीला भंसाली के सिर पर 10 करोड़ का इनाम रखने वाले और सरकार, दोनों से भिड़ गईं. ट्विंकल ने सरकार पर कटाक्ष किया, “ सिर पर रखे 10 करोड़ रुपए के इनाम में जीएसटी शामिल है या नहीं?”
ट्विंकल ने तो एक कदम आगे जाते हुए लोगों से कहा पद्मावती फिल्म को अब तक की सबसे बड़ी हिट बनाकर विरोध करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दीजिए.
देवगन साहब, आपको क्या हुआ?
एक और एक्शन हीरो अजय देवगन भी लंबी खामोशी ओढ़कर बैठे हैं. फिल्मों में अपनी माशूका के लिए जमाने से टकरा जाते हैं, 50-100 गुंडों को अकेले धूल चटा चुके हैं. लेकिन पर्दे के बाहर सिर्फ बयान देने में या बोलने में घिग्घी बंध जाती है. ऐसा क्यों होता है? पर्दे के बाहर निकलते ही क्या केमिकल लोचा हो जाता है?
ऊपर से नरम, अंदर से सख्त, हिरोइन ने दिखाया आइना
ऊपर से सख्त दिखने वाले हीरो अंदर से कमजोर पड़ गए हैं, लेकिन नाजुक दिखने वाली हिरोइऩ अंदर से बहुत मजबूत हैं.
बॉलीवुड एक्ट्रेस के ये तेवर बताते हैं, भरोसा दिलाते हैं कि महिलाओं पर दबाव नहीं चलेगा. शबाना आजमी, जया बच्चन, ट्विंकल खन्ना जैसे बड़े नामों के अलावा सोनम कपूर, भूमि पेडनेकर जैसी अभिनेत्रियां भी दीपिका के साथ खुलकर खड़ी हैं.
यानी हकीकत और पर्दे का फर्क जान लीजिए. पर्दे में हिरोइन को हीरो मुश्किल से निकालता है, जबकि हकीकत में वो खुद मुसीबत से निकलना और मुकाबला करना जानती हैं. पर्दे पर भले ही कई बार वो बेचारी लगती हैं, पर वास्तविक संकट के सामने वो अपने हीरो से ज्यादा दबंग और बहादुर दिखाई देती हैं. ये रियल लाइफ स्टोरी है बॉलीवुड की.
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