अमेरिका और चीन अब ट्रेड वॉर में बुरी तरह उलझ गए हैं. एक सप्ताह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले 200 अरब डॉलर के चीनी सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. इसके बाद उन्होंने चेतावनी दी कि चीन नहीं सुधरा तो और 300 अरब डॉलर के सामानों पर टैरिफ बढ़ाया जाएगा.
चीन ने ट्रेड डील की कोशिश की लेकिन यह नाकाम रही. इसके बाद चीन ने भी अमेरिका के 60 अरब डॉलर के सामानों पर 25 फीसदी तक टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया.आइए समझते हैं कि चीन और अमेरिका के बीच कारोबार को लेकर छिड़ी इस भयानक जंग का क्या अंजाम होगा. क्यों पूरी दुनिया के लिए यह सिरदर्द बन गई है.
ट्रेड वॉर को लेकर क्या है ताजा विवाद
पिछले सप्ताह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चीन को धमका और उकसा रहे थे. ट्रंप ने पिछले शुक्रवार को 200 अरब डॉलर के चीनी सामानों पर मौजूदा टैरिफ 10 फीसदी से बढ़ा कर 25 फीसदी करने का ऐलान किया था. इसके बाद उन्होंने जल्दी ही और 300 अरब डॉलर के चीनी सामानों पर 25 फीसदी लेवी लगाने की धमकी दे दी थी.
शनिवार को ट्रंप ने चीन को और बुरे अंजाम देने की चेतावनी दे डाली. ट्रंप ने कहा कि चीन को अभी ही कोई सौदा कर लेना चाहिए वरना दूसरी बार राष्ट्रपति बनने पर होने वाली डील उसके लिए बहुत बुरी साबित होगी. इस बीच चीनी उप प्रधानमंत्री वाशिंगटन में अमेरिका के साथ डील करने की कोशिश करते रहे लेकिन यह नाकाम रही. आखिरकार ट्रंप के इस हमलावर रुख के बाद सोमवार को चीन ने भी अमेरिकी टैरिफ के जवाब में लगभग 60 अरब डॉलर के अमेरिकी सामानों पर टैरिफ बढ़ा दिया. अब लगभग 5000 अमेरिकी सामान इस टैरिफ के दायरे में आएंगे.
अमेरिका का कितना नुकसान ?
अमेरिका में इस बात पर सहमति है कि चीन बरसों तक अमेरिकी इकनॉमी का फायदा उठाता रहा है. खास कर वह उसकी इंटेलक्चुअल प्रॉपर्टी चुरा कर लाखों अमेरीकियों की नौकरियां खा रहा है. इसी वजह से अमेरिका को चीन के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी है. अमेरिका को लगता है कि चीन का मुकाबला करना है तो उसे उसके कथित अनुचित कारोबारी तरीकों पर रोक लगाना होगा. ट्रंप के आने के बाद अमेरिका ने चीनी आयातों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति को लगता है कि ऐसा करने से चीनी सामान अमेरिका में कम बिकेंगे और चीन में सस्ता सामान बना कर अमेरिका को बेचने वाली कंपनियां वहां से निकल जाएंगीं. इस तरह चीन को सबक मिलेगा और वह अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश छोड़ देगा. लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि टैरिफ बढ़ा कर चीन को रास्ते पर नहीं लाया जा सकता. इससे अमेरिकी उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों को घाटा उठाना पड़ेगा. अमेरिकी रोजगार पर भी इसका नकारात्मक असर होगा. अमेरिकी कदम से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
चीन को भी कम नुकसान नहीं
टैरिफ पर अमेरिका से दो-दो हाथ करने का खामियाजा चीन को भी भुगतना पड़ सकता है. चीन का जीडीपी ग्रोथ रेट इस वक्त 6.4 फीसदी है. अमेरिकी कदम के असर से यह ग्रोथ रेट घट कर 6 फीसदी तक गिर कर सकती है. इसके अलावा इससे चीन में रोजगार पर भी असर पड़ेगा. महंगे आयात से चीनी उद्योगों की लागत बढ़ेगी और वह नौकरियों में कटौती कर सकते हैं. चीन में काम करने वाली अमेरिकी कंपनियों को भी झटका लगेगा. उनमें चीन के जवाबी हमले से हड़कंप मचा हुआ है.
ग्लोबल इकनॉमी को लगेगा करारा झटका
पिछले सप्ताह चीन और अमेरिका की भिड़ंत का सबसे पहला असर शेयर मार्केट पर दिखा. इस लड़ाई से भारत समेत दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट आई. चीन में काम कर रहीं टॉप अमेरिकी कंपनियों के शेयर गिर गए. वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के मुताबिक चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर और भीषण रूप लेता है तो 2019 में दुनिया की जीडीपी ग्रोथ में 0.7 फीसदी से लेकर 2.8 फीसदी की गिरावट आ सकती है. चीन के ग्रोथ में 0.9 फीसदी और यूरोप के ग्रोथ में 0.8 फीसदी की गिरावट हो सकती है. अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ 0.4 फीसदी गिर सकती है.
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर से भारत को कितना फायदा?
भारत और चीन के भी कारोबारी झगड़े हैं. लेकिन चीन और अमेरिका के ट्रेड वॉर में भारत, यूरोपीय यूनियन समेत कई देशों को फायदा हो सकता है. UNCTAD की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा फायदा ईयू को होगा. चीन को एक्सपोर्ट करने के मौके की वजह से उसका एक्सपोर्ट 70 फीसदी बढ़ सकता है. वियतनाम का एक्सपोर्ट पांच फीसदी, ऑस्ट्रेलिया का 4.6, ब्राजील का 3.8. फिलीपींस का 3.2 और भारत का एक्सपोर्ट 3.5 फीसदी बढ़ सकता है.
ट्रेड वॉर राजनीति का मोहरा बन रही है
ट्रेड वॉर अब एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई, जहां कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. ट्रंप इसका राजनीतिक फायदा ले रहे हैं. 2020 में राष्ट्रपति चुनाव होंगे. उन्हें लगता है कि चीन के खिलाफ कड़े रुख का उन्हें फायदा मिल सकता है. ट्रंप यह साबित करने में तुले हैं कि चीन अमेरिका के उद्योग और रोजगार को बरबाद करने पर तुला है. इसीलिए शायद उन्होंने कहा कि चीन अभी डील नहीं करना चाहता. उसे लगता है कि अगर कोई कमजोर डेमोक्रेट राष्ट्रपति चुना जाता है तो वो आगे भी अमेरिका को लूटते रहेंगे.
दूसरी ओर चीन किसी भी हालत में झुकता नहीं दिख रहा है. ट्रेड डील करने आए चीनी उप प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका देश किसी भी हालत में अपने अहम सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा. चीन को लगता है कि अमेरिका उसे नंबर वन की इकनॉमी बनने की राह में रोड़ा अटका रहा है.
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