यूरोप के कई देशों में गर्मी से हाहाकार मचा रखा है, अमेरिका (America) से लेकर ब्रिटेन तक गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं. यूरोप जिन देशों ने कभी गर्मी नहीं झेला वो देश भी इस बार बढ़ते पारे से बेहाल और परेशान हैं. फ्रांस, ग्रीस, पुर्तगाल, ब्रिटेन ये वो देश हैं जहां पारा 40 के पार हैं ओर लोग इतनी गर्मी झेल नहीं पा रहे हैं.
यूरोप में गर्मी से क्यों मचा हाहाकार? किन देशों पर असर,क्या है पारा बढ़ने की वजह
1. गर्मी से बेहाल ब्रिटेन
लंदन के ल्यूटन एयरपोर्ट की हवाई पट्टी गर्मी की वजह से पिघल गई और कई घंटों के लिए विमानों की आवाजाही को बंद करना पड़ा. ब्रिटेन के कई शहरों में स्कूल-कॉलेज गर्मी की वजह से बंद करना पड़ा है. देश में नेशनल इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई है और ब्रिटेन के इतिहास में रेड वॉर्निंग जारी करनी पड़ी है. ब्रिटेन में पारा मंगलवार को 40 डिग्री के पार चला गया. ब्रिटेन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है.
Expand2. कौन-कौन से देश प्रभावित?
फ्रांस गर्मी से पसीना-पसीना हो रहा है. स्पेन में पारा 44 के पार है और जंगल जल रहे हैं, आग को बुझाना प्रशासन के लिए किसी वॉर से कम नहीं है. गर्मी की वजह से 500 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. फ्रांस, स्पेन और कई अन्य देशों के लिए, पहली बार है जब पारा ऐतिहासिक रिकॉर्ड छू रहा है. पेरिस के एफिल टॉवर के सामने जहां लोग मौसम का मजा लेने पहुंचे थे, वो यहां जाने से कतरा रहे हैं. फ्रांस के मौसम एक्सपर्ट भविष्यवाणी की है कि इस सप्ताह गर्मी नए रिकॉर्ड बना सकती है.
इटली के कई हिस्सों में गर्मी का कहर है, मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक ये जानलेवा गर्मी से हाल-फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. स्कॉटलैंड और वेल्स इलाकों में भी तापमान ऊपर जा रहा है. पुर्तगाल में भी सैकड़ों लोग गर्मी की वजह से जान गंवा चुके हैं. पिछले एक हफ्ते में पूरे पुर्तगाल में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है, देश के एक मौसम विज्ञान केंद्र में पारा 47 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है., देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 7 जुलाई से 13 जुलाई के बीच लू लगने से 238 लोगों की मौत हो गई है.
सोमवार को नीदरलैंड सबसे गर्म दिन रहा, दक्षिण-पश्चिमी शहर वेस्टडोर्प में 33.6 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया. नीदरलैंड के दक्षिणी और मध्य हिस्से में तापमान बढ़कर 39 डिग्री तक जा सकता है.
Expand3. क्यों जल रहा है यूरोप?
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के मुताबिक यूरोप में चल रही हीटवेव, विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में अफ्रीका से आने वाली गर्म हवाओं के कारण हो रही है और इस गर्मी में इस तरह की और अधिक हीटवेव की उम्मीद है. WMO का कहना है कि इन हीटवेव को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराना जल्दबाजी होगी.
जलवायु परिवर्तन और हीटवेव
इंपीरियल कॉलेज लंदन में ग्रांथम इंस्टीट्यूट में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर डॉ फ्रेडरिक ओटो ने कहा, "जलवायु परिवर्तन इस हीटवेव को मुख्य वजह है. वहीं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी), जो कोयले, गैस और तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से आता है, वो हीटवेव को अधिक गर्म और खतरनाक बना रहा है.
गर्मी से 20 साल में लाखों लोगों की मौत
एक स्टडी के मुताबिक मौसम की मार लाखों लोगों पर हर साल पड़ती है. पिछले 20 सालों के रिकॉर्ड को देखें तो दुनिया भर में हर साल 50 लाख से अधिक लोग मारे जाते हैं. और इसमें से ज्यादातर लोग एशिया में हैं.
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गर्मी से बेहाल ब्रिटेन
लंदन के ल्यूटन एयरपोर्ट की हवाई पट्टी गर्मी की वजह से पिघल गई और कई घंटों के लिए विमानों की आवाजाही को बंद करना पड़ा. ब्रिटेन के कई शहरों में स्कूल-कॉलेज गर्मी की वजह से बंद करना पड़ा है. देश में नेशनल इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई है और ब्रिटेन के इतिहास में रेड वॉर्निंग जारी करनी पड़ी है. ब्रिटेन में पारा मंगलवार को 40 डिग्री के पार चला गया. ब्रिटेन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है.
कौन-कौन से देश प्रभावित?
फ्रांस गर्मी से पसीना-पसीना हो रहा है. स्पेन में पारा 44 के पार है और जंगल जल रहे हैं, आग को बुझाना प्रशासन के लिए किसी वॉर से कम नहीं है. गर्मी की वजह से 500 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. फ्रांस, स्पेन और कई अन्य देशों के लिए, पहली बार है जब पारा ऐतिहासिक रिकॉर्ड छू रहा है. पेरिस के एफिल टॉवर के सामने जहां लोग मौसम का मजा लेने पहुंचे थे, वो यहां जाने से कतरा रहे हैं. फ्रांस के मौसम एक्सपर्ट भविष्यवाणी की है कि इस सप्ताह गर्मी नए रिकॉर्ड बना सकती है.
इटली के कई हिस्सों में गर्मी का कहर है, मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक ये जानलेवा गर्मी से हाल-फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. स्कॉटलैंड और वेल्स इलाकों में भी तापमान ऊपर जा रहा है. पुर्तगाल में भी सैकड़ों लोग गर्मी की वजह से जान गंवा चुके हैं. पिछले एक हफ्ते में पूरे पुर्तगाल में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है, देश के एक मौसम विज्ञान केंद्र में पारा 47 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है., देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 7 जुलाई से 13 जुलाई के बीच लू लगने से 238 लोगों की मौत हो गई है.
सोमवार को नीदरलैंड सबसे गर्म दिन रहा, दक्षिण-पश्चिमी शहर वेस्टडोर्प में 33.6 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया. नीदरलैंड के दक्षिणी और मध्य हिस्से में तापमान बढ़कर 39 डिग्री तक जा सकता है.
क्यों जल रहा है यूरोप?
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के मुताबिक यूरोप में चल रही हीटवेव, विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में अफ्रीका से आने वाली गर्म हवाओं के कारण हो रही है और इस गर्मी में इस तरह की और अधिक हीटवेव की उम्मीद है. WMO का कहना है कि इन हीटवेव को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराना जल्दबाजी होगी.
जलवायु परिवर्तन और हीटवेव
इंपीरियल कॉलेज लंदन में ग्रांथम इंस्टीट्यूट में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर डॉ फ्रेडरिक ओटो ने कहा, "जलवायु परिवर्तन इस हीटवेव को मुख्य वजह है. वहीं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी), जो कोयले, गैस और तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से आता है, वो हीटवेव को अधिक गर्म और खतरनाक बना रहा है.
गर्मी से 20 साल में लाखों लोगों की मौत
एक स्टडी के मुताबिक मौसम की मार लाखों लोगों पर हर साल पड़ती है. पिछले 20 सालों के रिकॉर्ड को देखें तो दुनिया भर में हर साल 50 लाख से अधिक लोग मारे जाते हैं. और इसमें से ज्यादातर लोग एशिया में हैं.
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