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हरा, ब्राउन... खाने के पैकेट पर इन रंगों का क्या मतलब है, क्या हैं नियम?

दिल्ली HC ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सभी को ये जानने का अधिकार है वो किस चीज का सेवन कर रहे हैं.

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कुंजी
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दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को कहा है कि सभी फूड आइटम पर उनमें शामिल सामग्री की जानकारी देना अनिवार्य है. हाईकोर्ट ने कहा कि सभी को ये जानने का अधिकार है वो किस चीज का सेवन कर रहे हैं.

हाईकोर्ट ने कहा कि जानकारी न केवल उनके कोड नामों से होनी चाहिए, बल्कि ये भी खुलासा किया चाहिए कि वो प्लांट या एनिमल सोर्स से हैं या लैब में तैयार किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि भले ही फूड आइटम में इसका प्रतिशत कम हो, लेकिन ये जानकारी दी जानी चाहिए.

भारत में फूड पैकेजिंग और लेबलिंग को लेकर क्या हैं नियम? फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (FSSAI) ने इसके लिए कुछ दिशानिर्देश तय किए हैं.

हरा, ब्राउन... खाने के पैकेट पर इन रंगों का क्या मतलब है, क्या हैं नियम?

  1. 1. किस मामले पर सुनवाई कर रहा था दिल्ली हाईकोर्ट?

    ये आदेश एक गैर-सरकारी ट्रस्ट, राम गौ रक्षा दल की एक याचिका पर दिया गया है, जिसमें उन्होंने मांग की है उनके 'जानने के अधिकार' का सम्मान किया जाए. ट्रस्ट चाहता है कि अधिकारी फूड प्रोडक्ट्स और कॉस्मैटिक्स के लेबलिंग पर मौजूदा नियमों को सख्ती से लागू करें.

    द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रस्ट ने कोर्ट को बताया कि इसके सदस्य सिख धर्म के नामधारी संप्रदाय के अनुयायी हैं और सख्त शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं. ट्रस्ट ने कोर्ट में कहा, "सदस्यों को ये नहीं पता है कि बाजार में उपलब्ध कौन से उत्पाद सख्त शाकाहार का पालन करने वालों के लिए उपयुक्त हैं, क्योंकि खाने के कई उत्पादों में या तो मांसाहारी सामग्री होती है, या ये प्रोसेसिंग से गुजरते हैं. इस तरह से कि उन्हें पूरी तरह से शाकाहारी नहीं कहा जा सकता है."

    कोर्ट ने कहा कि इस तरह की खामियों की जांच करने में अधिकारियों की विफलता, न केवल FSSAI मानकों का अनुपालन नहीं करना है, बल्कि इससे जनता को फूड बिजनेस ऑपरेटर्स द्वारा धोखा भी मिल रहा है, खासकर जो सख्त शाकाहार का पालन करते हैं.

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  2. 2. फूड लेबलिंग को लेकर क्या हैं FSSAI के नियम?

    FSSAI ने अपने दिशानिर्देश में उन मानकों को साफ किया है, जिन्हें फूड आइटम पर लिखना अनिवार्य है. इन दिशानिर्देशों के मुताबिक, ये जानकारी हर फूड आइटम पर होनी चाहिए:

    • फूड आइटम का नाम

    • सामग्री की लिस्ट

    • न्यूट्रिशनल जानकारी

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  3. 3. किन फूड प्रोडक्ट्स को न्यूट्रिशनल लेबलिंग से छूट है?

    सिंगल इंग्रीडिएंट से बने अनप्रोसेस्ड प्रोडक्ट, कार्बन डाईऑक्साइड मिला पानी, मसाले, नमक, टेबल टॉप स्वीटनर्स, कॉफी एक्स्ट्रैक्ट, कई तरह की चाय, फर्मेंटेड विनेगर, फ्लेवर करने वाले आइटम, जेलेटिन, ईस्ट, च्विंग गम जैसे प्रोडक्ट्स को FSSAI के दिशानिर्देशों के तहत न्यूट्रिशनल लेबलिंग से छूट है.

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  4. 4. वेज और नॉन-वेज फूड आइटम को लेकर क्या हैं गाइडलाइन?

    FSSAI के दिशानिर्देशों के मुताबिक, सभी नॉन-वेजिटेरिएयन फूड में अगर एनिमल ओरिजिन से कुछ भी इंग्रीडिएंड गया है, तो उसके पैकेज पर ब्राउन कलर का कोड मार्क करना अनिवार्य है.

    दिल्ली HC ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सभी को ये जानने का अधिकार है वो किस चीज का सेवन कर रहे हैं.

    वहीं, वेजिटेरियन फूड में अगर प्लांट ओरिजिन का कोई भी इंग्रीडिएंट डाला गया है, तो उसपर हरे रंग का कोड मार्क देना अनिवार्य है.

    दिल्ली HC ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सभी को ये जानने का अधिकार है वो किस चीज का सेवन कर रहे हैं.

    फूड आइटम पर मैन्युफैक्चर या जो कंपनी मार्केट कर रही है, उसकी जानकारी देना भी अनिवार्य है. वहीं, अगर कोई फूड आइटम इंडिया एक्सपोर्ट किया गया है, तो पैकेज पर इंपोर्टर का पूरा नाम और पता होना भी जरूरी है.

    इसके अलावा, फूड बिजनेस ऑपरेटर को पैकेजिंग पर सामान बनने की तारीख और इसकी एक्सपायरी डेट भी डालनी होती है.

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किस मामले पर सुनवाई कर रहा था दिल्ली हाईकोर्ट?

ये आदेश एक गैर-सरकारी ट्रस्ट, राम गौ रक्षा दल की एक याचिका पर दिया गया है, जिसमें उन्होंने मांग की है उनके 'जानने के अधिकार' का सम्मान किया जाए. ट्रस्ट चाहता है कि अधिकारी फूड प्रोडक्ट्स और कॉस्मैटिक्स के लेबलिंग पर मौजूदा नियमों को सख्ती से लागू करें.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रस्ट ने कोर्ट को बताया कि इसके सदस्य सिख धर्म के नामधारी संप्रदाय के अनुयायी हैं और सख्त शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं. ट्रस्ट ने कोर्ट में कहा, "सदस्यों को ये नहीं पता है कि बाजार में उपलब्ध कौन से उत्पाद सख्त शाकाहार का पालन करने वालों के लिए उपयुक्त हैं, क्योंकि खाने के कई उत्पादों में या तो मांसाहारी सामग्री होती है, या ये प्रोसेसिंग से गुजरते हैं. इस तरह से कि उन्हें पूरी तरह से शाकाहारी नहीं कहा जा सकता है."

कोर्ट ने कहा कि इस तरह की खामियों की जांच करने में अधिकारियों की विफलता, न केवल FSSAI मानकों का अनुपालन नहीं करना है, बल्कि इससे जनता को फूड बिजनेस ऑपरेटर्स द्वारा धोखा भी मिल रहा है, खासकर जो सख्त शाकाहार का पालन करते हैं.

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फूड लेबलिंग को लेकर क्या हैं FSSAI के नियम?

FSSAI ने अपने दिशानिर्देश में उन मानकों को साफ किया है, जिन्हें फूड आइटम पर लिखना अनिवार्य है. इन दिशानिर्देशों के मुताबिक, ये जानकारी हर फूड आइटम पर होनी चाहिए:

  • फूड आइटम का नाम

  • सामग्री की लिस्ट

  • न्यूट्रिशनल जानकारी

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किन फूड प्रोडक्ट्स को न्यूट्रिशनल लेबलिंग से छूट है?

सिंगल इंग्रीडिएंट से बने अनप्रोसेस्ड प्रोडक्ट, कार्बन डाईऑक्साइड मिला पानी, मसाले, नमक, टेबल टॉप स्वीटनर्स, कॉफी एक्स्ट्रैक्ट, कई तरह की चाय, फर्मेंटेड विनेगर, फ्लेवर करने वाले आइटम, जेलेटिन, ईस्ट, च्विंग गम जैसे प्रोडक्ट्स को FSSAI के दिशानिर्देशों के तहत न्यूट्रिशनल लेबलिंग से छूट है.

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वेज और नॉन-वेज फूड आइटम को लेकर क्या हैं गाइडलाइन?

FSSAI के दिशानिर्देशों के मुताबिक, सभी नॉन-वेजिटेरिएयन फूड में अगर एनिमल ओरिजिन से कुछ भी इंग्रीडिएंड गया है, तो उसके पैकेज पर ब्राउन कलर का कोड मार्क करना अनिवार्य है.

दिल्ली HC ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सभी को ये जानने का अधिकार है वो किस चीज का सेवन कर रहे हैं.

वहीं, वेजिटेरियन फूड में अगर प्लांट ओरिजिन का कोई भी इंग्रीडिएंट डाला गया है, तो उसपर हरे रंग का कोड मार्क देना अनिवार्य है.

दिल्ली HC ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सभी को ये जानने का अधिकार है वो किस चीज का सेवन कर रहे हैं.

फूड आइटम पर मैन्युफैक्चर या जो कंपनी मार्केट कर रही है, उसकी जानकारी देना भी अनिवार्य है. वहीं, अगर कोई फूड आइटम इंडिया एक्सपोर्ट किया गया है, तो पैकेज पर इंपोर्टर का पूरा नाम और पता होना भी जरूरी है.

इसके अलावा, फूड बिजनेस ऑपरेटर को पैकेजिंग पर सामान बनने की तारीख और इसकी एक्सपायरी डेट भी डालनी होती है.

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