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असम गण परिषद ने नागरिकता विधेयक पर भाजपा से गठबंधन तोड़ा

असम गण परिषद ने नागरिकता विधेयक पर भाजपा से गठबंधन तोड़ा

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न्यूज
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नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)| मोदी सरकार द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को आगे बढ़ाने पर असम गण परिषद (एजीपी) ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अपना गठबंधन तोड़ लिया। विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। असम गण परिषद (एजीपी) के अध्यक्ष अतुल बोरा ने यह जानकारी उनकी अगुवाई में एजीपी के प्रतिनिधियों की केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद दी।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "हमने भाजपा नेतृत्व को विधेयक के नकारात्मक प्रभाव और असम की जनता का रुख समझाने की पूरी कोशिश की लेकिन भाजपा ने विधेयक को आगे बढ़ाने का फैसला कर हमें गठबंधन तोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।"

इससे पहले लोकसभा में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा अपनी संस्तुति पेश करने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 पर मुहर लगा दी थी। विधेयक पर मंगलवार को चर्चा हो सकती है।

एजीपी के गठबंधन तोड़ने से हालांकि असम में गठबंधन वाली भाजपा सरकार को कोई खतरा नहीं है।

126 सदस्यों वाली असम विधानसभा में भाजपा के 61 सदस्य हैं और उसे एक निर्दलीय विधायक का समर्थन प्राप्त है जबकि इसके सहयोगी बीपीएफ के 13 सदस्य हैं। एजीपी के 14 विधायक हैं। कांग्रेस के 24 तथा एआईयूडीएफ के 13 सदस्य हैं।

बोरा ने कहा, "नागरिकता विधेयक पर हमने लंबी जंग लड़ी है। हमने सड़कों पर प्रदर्शन किया और हम विभिन्न राजनीतिक दलों और जेपीसी के सदस्यों से मिले। हमने इस विधेयक को सरकार का हिस्सा बनने से रोकने के लिए पूरी कोशिश की। लेकिन, भाजपा ने अब इसके पक्ष में आगे बढ़ने का निश्चय कर लिया है तो हमारे पास गठबंधन से बाहर जाने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है।"

उन्होंने कहा कि 2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन समय की मांग थी।

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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