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अमेरिका-भारत के बीच क्या है 2+2 बातचीत? समझिए 5 कार्ड में

2+2 का मतलब दो देशों के वित्त और रक्षा मंत्री आपसी सामरिक और सुरक्षा हितों पर बातचीत है

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कुंजी
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लगातार टलती आ रही भारत और अमेरिका की बीच 2+2 डायलॉग या बातचीत 6 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाली है. पिछले कुछ सालों के दौरान भारत और अमेरिका के बीच गहराते संबंधों को यह बातचीत एक और अहम मोड़ दे सकती है. बातचीत में भारत की ओर से रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हिस्सा लेंगी जबकि अमेरिका की ओर से रक्षा मंत्री जेम्स मेटिस और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो यह पहल करेंगे. आखिर 2+2 डायलॉग क्या है और इसमें किन चीजों पर चर्चा होगी. आइए समझते हैं.

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2+2 डायलॉग क्या है?

दो देशों बीच बातचीत में इसका इस्तेमाल होता है. यह दो देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच एक डायलॉग मैकेनिज्म है. 2+2 का सीधा सा मतलब यह होता है कि दो देशों के वित्त और रक्षा मंत्री आपसी सामरिक और सुरक्षा हितों पर बातचीत करेंगे. इसका लक्ष्य दो देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच राजनयिक लेकिन नतीजे देने वाली बातचीत है.

जापान ने दूसरे देशों के साथ बातचीत में इस फॉर्मेट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया है. उसने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, रूस और भारत के साथ 2+2 डायलॉग किया है. भारत से वह 2010 से हर साल 2+2 की बातचीत करता आ रहा है.

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भारत-अमेरिकी बातचीत का मकसद क्या है?

2+2 का मतलब  दो देशों के वित्त और रक्षा मंत्री आपसी सामरिक और सुरक्षा हितों पर बातचीत है
भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मेटिस के बीच कई अहम रक्षा सौदों पर बातचीत होगी
(फोटो: PTI)

इस बातचीत का मकसद दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों को मंच पर लाना है. पिछले कुछ समय से यह महसूस किया जा रहा था कि भारत और अमेरिका के बीच सामरिक ( स्ट्रेटजिक) रिश्ता गहराता जा रहा है. दोनों के बीच सैन्य समझौते और सैन्य अभ्यास तो बढ़ रहे हैं लेकिन डिप्लोमटिक बातचीत रफ्तार नहीं पकड़ रही है. लिहाजा इस कमी को दुरुस्त करना है.

दोनों देशों के बीच नजदीकी डिप्लोमैटिक बातचीत के बावजूद अहम रक्षा समझौते पूरे नहीं हो सके हैं. अमेरिका से हाई टेक्नोलॉजी से जुड़े सौदे को वहां की संसद की मंजूरी नहीं मिली है. इसलिए फैसला हुआ कि नई दिल्ली में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की मुलाकात हो. इस मुलाकात में अमेरिका की साउथ एशिया पॉलिसी पर भी चर्चा होगी. अफगानिस्तान और एशिया प्रशांत रणनीति पर भी चर्चा होगी, जिसके केंद्र में भारत है.

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पहले क्यों टली और अब क्यों हो रही है बातचीत?

2+2 का मतलब  दो देशों के वित्त और रक्षा मंत्री आपसी सामरिक और सुरक्षा हितों पर बातचीत है
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से बातचीत में अपने अनुभव का पूरा इस्तेमाल करेंगी
(फोटो: PTI)

इस बातचीत के आइडिया पीएम नरेंद्र मोदी की जून में अमेरिका दौरे के दौरान विचार-विमर्श हुआ था. ट्रंप ने इसका ऐलान भी किया था. दोनों पक्ष अप्रैल में अमेरिका में बातचीत के लिए तैयार थे लेकिन ट्रंप प्रशासन की ओर से विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को हटा देने की वजह से यह टल गई. जुलाई में भी यह बातचीत नहीं हुई. क्योंकि उस समय विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को उत्तर कोरिया जाना पड़ा.

हालांकि इस बीच, अमेरिका ने ऑफर दिया कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण आकर बातचीत कर सकती हैं और इस दौरान 2+2 की बातचीत की तैयारी भी हो जाएगी. लेकिन भारत ने यह बात नहीं मानी. हालांकि यह कहा जा रहा था अमेरिका से रक्षा उपकरणों की खरीद में टेक्नोलॉजी से संबंधित सूचना साझा करने की शर्तों को लेकर भारत को कुछ आपत्ति है. इसलिए बातचीत टल रही है. यह भी कहा जा रहा था कि रूस से विमान सौदे पर अमेरिका अपने प्रतिबंधों के तहत अड़ंगा लगा रहा है. इसलिए भी 2+2 की सूरत नहीं बन रही है. यह भी कहा जा रहा था कि अमेरिका यह बातचीत नहीं करना चाह रहा है. बहरहाल सितंबर में इस बातचीत की तारीख तय होने के बाद यह आशंका खत्म हो गई है.

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क्या होगा इस बातचीत में?

2+2 का मतलब  दो देशों के वित्त और रक्षा मंत्री आपसी सामरिक और सुरक्षा हितों पर बातचीत है
पीएम मोदी और डोनल्ड ट्रंप की नजदीकियां बढ़ी हैं. ट्रंप गणतंत्र दिवस पर भारत आ सकते हैं. 
(फाइल फोटो: PTI)

बातचीत से पहले कहा गया कि 2+2 डायलॉग में इस बात पर चर्चा होगी कि अमेरिका भारत के साथ एक प्रमुख रक्षा पार्टनर के तौर आगे किस तरह से काम करे. द हिंदू की डिप्लोमेटिक अफेयर्स एडिटर के मुताबिक बातचीत में मिसाइल सिस्टम (NASAMS-II), हेलिकॉप्टर (24 सिकोरोस्की MH-60 Romeo समुद्री हेलीकॉप्टर) और ड्रोन (predator-B) सौदे के अलावा  Communications Compatibility and Security Agreement (COMCASA) पर दस्तख्त हो सकते हैं. यह काफी वक्त से लटका हुआ था. अमेरिकी CAATSA law पर भी बातचीत हो सकती है जिसके दायरे में अमेरिकी उन देशों के साथ सहयोग नहीं करता जब रूस से हथियार खरीदते हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की पर्मानेंट सीट और जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने पर चर्चा हो सकती है. पोम्पियो सीधे पाकिस्तान से भारत आएंगे इसलिए इस पर नजर रहेगी कि आखिर इन दो मुद्दों पर अमेरिका का रुख क्या रहता है. अमेरिका ईरान के मुद्दे पर भारत पर दबाव बनाएगा. हालांकि दबाव के बावजूद भारत ने ईरान से तेल की खरीद में ज्यादा कटौती नहीं की है.

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क्या ट्रेड वॉर का मुद्दा भी उठेगा?

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड को अब स्ट्रेटजिक इश्यू के तौर पर देखा जा रहा है. भारत और अमेरिका के बीच एक दूसरे के खिलाफ एक हल्का टैरिफ युद्ध छिड़ा हुआ है. दूसरी ओर ट्रंप भी लगातार डब्ल्यूटीओ से हटने की बात कर रहे हैं. सुहासिनी हैदर का कहना है कि इस बातचीत में डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ अमेरिका की कार्रवाई, रिजर्व बैंक डाटा लोकलाइजेशन आदेश और मेडिकल उपकरणों पर प्राइस कैप का मुद्दा उठ सकता है. ट्रंप को इसके जरिये भारत आने का निमंत्रण भी दिया जा सकता है. हो सकता है गणतंत्र दिवस पर ट्रंप को मुख्य अतिथि बनाया जाए.

ये भी पढ़ें : ईरान से तेल आयात पर अमेरिका की धमकी,भारत के जवाब के क्या हैं मायने

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