एक तो पहले से ही किसान कोरोना वायरस और लॉकडाउन की मार झेल रहे थे और अब टिड्डी दलों का आतंक अलग से उत्तर भारत के किसानों की चिंता बना हुआ है. उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में खतरनाक टिड्डी दल का आतंक चल रहा है. टिड्डी दल जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है रास्ते में आने वाली हरियाली को चट करता जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक भारत में टिड्डीयों का ये 26 साल का सबसे बड़ा हमला है और टिड्डियों का ये संकट मॉनसून के आने तक चल सकता है. एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि अगर टिड्डियों के आतंक पर काबू नहीं पाया जाता है तो ये हजारों करोड़ रुपये की फसल को चट कर सकते हैं.
ये टिड्डी दल क्या है?
टिड्डी दल छोटे-छोटे कीड़ों का झुंड होता है. इस झुंड में लाखों कीड़े शामिल होते हैं. कीड़ों का ये झुंड उत्तर पूर्वी अफ्रीका में तैयार होता है. ये ग्रासहॉपर समुदाय का एक सदस्य होता है. ये टिड्डे अपना झुंड बनाकर एक इलाके से दूसरे इलाके जाते हैं. आमतौर पर ये कीड़े अगर कम संख्या में हों तो खेती को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते. लेकिन जब ये लाखों की तादाद में झुंड में होते हैं तो तबाही मचा देते हैं.
एक साथ लाखों कीड़े कहां से आ जाते हैं?
जब इन कीड़ों को एक सूटेबल स्थिति जैसे हरियाली, बारिश वगैरह मिलती है. तो उनके दिमाग में सेरेटॉनिन नाम का रसायन कुछ बदलाव लाता है. इसके बाद वो एकदम से प्रजनन करने लगते हैं और उनकी तादाद में विस्फोटक बढ़ोतरी होती है. वो अपना झुंड जबरदस्त तरीके से बढ़ाते जाते हैं. फिर ये झुंड हरियाली की खोज में आगे बढ़ने लगता है. झुंड में बढ़ते हुए ये टिड्डी दल रास्ते में आने वाली फसलों, पौधों, पेड़ों को चट करते जाते हैं. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि ये कीड़े रेगिस्तानी इलाके में पैदा होते हैं और हरियाली वाले इलाकों का पीछा करते हुए आगे बढ़ते हैं. ये उसी दिशा में आगे बढ़ते हैं जिस दिशा की हवा चल रही होती है. मतलब ये हवा की दिशा के साथ ही अपना सफर तय करते हैं.
किसानों के लिए कितना बड़ा खतरा?
किसानों के लिए ये टिड्डी दल इसलिए खतरनाक है क्यों कि इस टिड्डी दल में लाखों कीड़े होते हैं बहुत तेजी से हरियाली चट करते हैं. कुछ मिनटों में ये दल पूरे के पूरे खेत चट कर जाते हैं. ये 50 से 100 गुना तेजी से अपनी संख्या में बढ़ोतरी करते हैं. अगर इन टिड्डियों को हरियाली मिलती जाती है तो ये और तेजी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं. किसानों को सलाह दी जाती है कि अगर टिड्डियों का दल आता दिखे तो जोर जोर से आवाज करके थाली पीटकर, ढोल ताशे बजाकर इस टिड्डी दल को भटकाया जा सकता है. इसके अलावा कीटनाशकों का भी छिड़काव किया जा सकता है.
भारत में कहां-कहां असर?
टिड्डी दल ने भारत में पाकिस्तान की तरफ से एंट्री ली. टिड्डी दल का हमला राजस्थान के गंगानगर से शुरू हुआ. इसके बाद जयपुर और आसपास के इलाकों में इसने किसानों की फसलों में तबाही मचाई. कुछ रिहायशी इलाकों में भी इस दल ने हमला किया. आमतौर पर ये टिड्डी दल सिर्फ गुजरात या राजस्थान तक ही सीमित रहते हैं लेकिन इस बार ये मध्य प्रदेश और अब उत्तर प्रदेश की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. मध्य प्रदेश में मालवा निमाड़ होते हुए अब ये टिड्डी दल बुंदेलखंड के छतरपुर तक पहुंच चुका है. यहां से अब ये उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर रहा है. हांलाकि कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अब ये टिड्डी दल 2-3 भागों में बंट गया है. जो कि राहत की बात है.
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा बताते हैं कि
किसानों पर पहले से ही कोरोना वायरस के बाद लगे लॉकडाउन की मार थी और अब इसके बाद इस टिड्डी दल के आतंक ने किसान को एक झटका और दिया है. जिन किसानों ने गर्मी के मौसम में फसलें ली हैं अगर उनकी फसलों पर टिड्डी दल हमला करता है तो फसलों में कुछ नहीं बचता है.देविंदर शर्मा, कृषि विशेषज्ञ
कृषि विज्ञान केंद्र में काम करने वाले एग्रोनॉमी वैज्ञानिक मनोज अहिरवार बताते हैं कि
‘टिड्डी दल के हमले के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार को किसानों तक इसके प्रसार की जानकारी तेजी से पहुंचानी होगी. साथ ही सरकार को इसके प्रसार को रोकने के लिए ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव वगैरह का सहारा लेना चाहिए.’मनोज अहिरवार, कृषि विज्ञान केंद्र, दमोह (MP)
अगर कोई आम किसान है और अगर उसको अपने इलाके में टिड्डी का हमला होते हुए दिखे तो उसके तेज आवाज करने वाले यंत्र बजाना चाहिए, पटाखे चला सकते हैं. इन सब उपायों से टिड्डियों का दल भटक जाता है और इस दल के टुकड़े हो जाते हैं. टिड्डियों के दल जितना ज्यादा बंटता जाएगा इसका घातक प्रभाव उतना ही कम होता जाएगा.
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