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ट्रंप की बैचेनी बढ़ी,मिड टर्म इलेक्शन में अगर डेमोक्रेट जीत गए तो!

अगर रिपब्लिकन जीतते हैं तो ट्रंप के कुछ पुराने एजेंडों और अभियानों को बल मिलेगा.

Updated
कुंजी
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अमेरिका में 6 नवंबर को मिड टर्म इलेक्शन यानी मध्यावधि चुनाव होंगे. इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का लिटमस टेस्ट कहा जा रहा है. चार साल के राष्ट्रपति चुनाव के बीच में होने वाले इस चुनाव की काफी अहमियत होती है क्योंकि इसके नतीजों का उनके एजेंडे पर असर पड़ेगा. इसके साथ ही इस चुनाव को उनके कामकाज पर जनमत सर्वेक्षण भी माना जा रहा है. आइए जानते हैं क्या है यह इस चुनाव की अहमियत और क्या होगा इसका असर?

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क्या हैं अमेरिकी मध्यावधि चुनाव?

अमेरिकी मिड टर्म इलेक्शन यानी मध्यावधि चुनाव 6 नवंबर को होगा. अमेरिकी संसद के दो सदन-सीनेट और हाउस ऑफ रिजप्रजेंटेटिव के चुनाव अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल के चार साल  के दौरान दो साल बीतने पर होते हैं. हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सभी 435 सदस्य हर दो साल के लिए चुने जाते हैं. साथ ही सीनेट के एक तिहाई सदस्यों का भी चुनाव इस दौरान होता है.

सीनेट में बहुमत के लिए 51 सीटें और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में बहुमत के लिेए 218 सीटें चाहिए. इसके अलावा अमेरिका के 36 राज्यों में गवर्नर के चुनाव हो रहे हैं. अमेरिका के 50 राज्यों में 33 में रिपब्लिकन पार्टी के गवर्नर हैं. सिर्फ 16 में डेमोक्रेटिक पार्टी के गवर्नर है. अलास्का में निर्दलीय गवर्नर हैं.

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क्यों यह चुनाव इतना अहम?

अगर रिपब्लिकन जीतते हैं तो ट्रंप के कुछ पुराने एजेंडों और अभियानों को बल मिलेगा.

अमेरिकी संविधान राष्ट्रपति, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच ताकत का बंटवारा करता है. इसलिए कानूनों को रोकने और इसे आगे बढ़ाने में संसद और राष्ट्रपति की ताकत का बड़ी अहमियत है. अगर राष्ट्रपति की पार्टी जीतती है तो उन्हें अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद में आसानी होगी. दोनों सदनों में एक भी सदन में विपक्षी पार्टी का बहुमत हुआ तो राष्ट्रपति को अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में मुश्किल होगी.

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अगर विपक्ष जीता तो क्या होगा?

मध्यवाधि चुनाव के नतीजे अमेरिका का मौजूदा राजनीतिक माहौल पर जबरदस्त असर होगा. कांग्रेस में नियंत्रण कायम करने वाली पार्टी को अपने बिल से जु़ड़े एजेंडों का पारित कराने और विरोधी एजेंडे को रोकने में मदद मिल जाती है. अगर विपक्ष का वर्चस्व होगा तो उसे सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति की ओर से नामित उम्मीदवार को कन्फर्म होने से रोकने की ताकत मिल जाती है.

इसके अलावा गवर्नर के पद के लिए होने वाले चुनाव का भी लाखों नागरिकों के मताधिकार का काफी असर होता है. मिसाल के तौर पर फ्लोरिडा जैसे राज्य में अपराध में शामिल लोगों के लिए वोट का अधिकार हमेशा के लिए छिन जाता है. इस कानून की वजह से अब तक 15 लाख लोगों के मताधिकार छिन चुके हैं. 2011 में फ्लोरिडा के गवर्नर बने रिक स्कॉट. उन्होंने हिंसक अपराध में शामिल न रहे अपराधियों के मताधिकार बहाल करने की कोशिशों को उलट दिया. इससे ऐसे लोगों के लिए वोटिंग का अधिकार हासिल करना और मुश्किल हो गया.

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ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर चुनाव का क्या असर होगा?

अगर रिपब्लिकन जीतते हैं तो ट्रंप के कुछ पुराने एजेंडों और अभियानों को बल मिलेगा.

अगर रिपब्लिकन जीतते हैं तो ट्रंप के कुछ पुराने एजेंडों और अभियानों को और बल मिलेगा. अगर डेमोक्रेट्स जीतते हैं तो उन्हें हल्की बढ़त मिल जाएगी. ऐसी स्थिति में ट्रंप को हेल्थकेयर, सोशल सिक्यूरिटी पर किए जाने वाले खर्च, इमिग्रेशन जैसे कुछ अहम मुद्दों पर डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों से सौदेबाजी करनी होगी. सीनेट में डेमोक्रेट्स का नियंत्रण हुआ तो वे न्यायपालिका में नियुक्ति को नियंत्रित कर सकेंगे. हालांकि ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए उन्हें बड़े बहुमत की जरूरत होगी.

अगर रिपब्लिकन पार्टी दोनों सदनों में जीतती है तो न्यायपालिका में और कंजरवेटिव नियुक्तियां होंगी. ओबामाकेयर को खत्म करने की कोशिश बढ़ जाएगी ( पिछले साल ट्रंप की कोशिश नाकाम रही थी) और जब तक ट्रंप के बहुत बड़े अपराध या गलती सामने नहीं आ जाती उनके खिलाफ महाभियोग चलाना मुश्किल हो जाएगा.

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